अगर कल खिलाफत क़ायम हो जाये (भाग-3)

महकमा बराऐ दाखिली उमूर



इस महकमे का काम तमाम हिफाज़ती उमूर की निगरानी जिस में इंटेलिजेंस, एमरजेन्सी की सहूलियात और फौजी इंटेलिजेंस शामिल है. मौजूदा निज़ा को खत्म किया जायेगा क्योंकि इस में उम्मत की जासूसी भी शामिल है जिस की शरीअत में मुमानेअत है, अल्लाह सुबहानहु वतआला फ़रमाता है: “और एक दूसरे की खोज (जासूसी) न लागाओ” (तर्जुमा मआनीऐ क़ुरआने करीम, सूरा अलहुजरात:12)यह महकमा तीन हिस्सों पर मुश्तमिल होगा जो के एक दूसरे से जुदा होंगे और महकमे के सरबराह को रिपोर्ट करेंगे. पहले हिस्से का काम दुश्मन के बारे में मालूमात इक्ट्ठी करना है. इसे मिलीट्री इंटेलिजेंस कहते है. किसी भी फौजी की जासूसी करना क़तअन मना होगा क्योंकी अलफाज़ “जासूसी ना करो” अमूमी मआनी रखते है. दुश्मन की जासूसी करने की दलील हमें सुन्नते रसूल (स्वल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) से मिलती है जब के आप (स्वल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने अब्दुल्लाह बिन हजश को क़ुरेशे मक्का की जासूसी के लिये भेजा. दूसरे हिस्से का काम इस्लामी रियासत में सक़ीम ग़ैर-मुल्क शहरियों की निगरानी है. इस की दलील भी यही है, दुश्मन की जासूसी की इजाज़त है ख्वाह वोह हमारी रियासत में हो या बाहर.
तीसरा हिस्सा पुलिस पर मुश्तमिल होगा, इस का काम अमन व अमान को बहाल रखना है, चोरों को रोकना है और रात को गश्त करना है, पुलिस की मज़ीद मुख्तलिफ स्क़्वाड्स (squads) में तक़्सीम किया जायेगा.
एक स्क्वाड का काम हुकूमती अहकारों मसलन क़ाज़ी, गवरनर और दूसरे ओहदेदारों के साथ मिल कर काम करने का होगा. पुलिस के अलावा कोई भी इदारा किसी शहरी को गिरफ्तार नहीं कर सकता. ऐसा मुख्तलिफ इदारों को एक जैसी ताक़त नहीं देने के लिये है, जैसा की मौजूदा अरब मुमालिक में पुलिस, फौज और सिक्यूरिटी ऐजेंसियां तमाम के पास आम शहरी को पकड़ने और पूछ-गछ करने के इख्तियारात है, खिलाफत में ऐसा बिल्कुल नहीं होगा. सिर्फ पुलिस के पास यह इख्तियारात होंगे और वोह भी वारंट हासिल करने के बाद. दूसरा स्क्वाड ट्रेफिक और सीविल डिफेंस के लिये तैनात होगा, यह अमूमी ट्रांसपोर्ट पर सफर करने वाले शहरियों की निगरानी करेगा.
तीसरा स्क्वाड का काम रात को गश्त करना होगा. और जदीद आलात, कैमरों, मोबाइल, रेडियो और गाडियों से लैस किया जायेगा ताकि वोह चोरों को आसानी से पकड़ सके.
इस महकमे के तीनों हिस्सों का आपस में राब्ता भी यक़ीनी बनाया जाएगा. इस महकमे में काम करने वाले अफराद की तनख़्वाहें अच्छी और बराबर होंगी ताकि बद्दियानती और करप्शन से बचा जा सके और उन लोगों की हौसला शिकनी हो जो ज़्यादा तनख्वाह के लिये आपस में मुक़ाबला करते है और जिम्मेदारियां सहीह तरह से पूरी नहीं करते. मुख्तलिफ ग्रेड कामों से मुंसलिक होंगे ना की तनख्वाहों से. इंटेलिजेंस के दोनों इदारों को बहुत राज़दार तरीक़े से काम करना होगा, उन्हें जायज़ तरीक़े से उन मुमालिक में, जो हमारे साथ हालते जंग में है, मालूमात हासिल करने की इजाज़त होगी. मालूमात के लिये लड़कियां, नशे और शराब का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा. ज़रूरत पडने पर उन लोगों से जो वैसे भी इन जगहों पर जाते है इन तरीक़ो से मालूमात ली जा सकती है. इसलिये सियासी चालों और दुश्मन की अफ़वाज के बारे में मालूमात के लिये नये तरीक़े अपनाने होंगे.
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