सवाल (8): उन बागियों की क्या वास्तविकता हैं जो कि इस्लाम के बैनर के तहत जद्दोजहद कर रहे हैं?

नेशनल कोलिशन वोह गठबन्धन है, जो अमरीका, राशिया, ब्रिटेन मिलकर बनाना चाहते थे। इस बयान में इन्होनें यह भी कहा कि हम इस कोलिशन (गठबन्धन) को हमारा लीडर नही मानते और हमें दूसरे के बनाए हुए गठबन्धन कबूल नही हैं, हमारा मकसद इस्लामी रियासत क़याम हैं।
जैश अलइस्लाम के बयान मे उल्लेखित 38-40 ब्रिगेड या बटालियन ऐलान से पहले ही लिवा अल-इस्लाम मे शामिल थे. जैशुल इस्लाम के अलावा यह गिरोह अलग हैं जैसे कि अहरार अलशाम, जुब्बतुल नुसरा, सुकूर अश्शाम और आइ.एस.आइ.एस । यह गिरोह शुरू में तो इनके साथ थे लेकिन बाद में इनसे अलग हुए क्योंकि इनको लगा कि जैशुल इस्लाम में कुछ ऐसे लोग हैं जो बहुत ज़्यादा हावी हो गए हैं और वो अपनी मनमानी करना चाहते हैं। तो फिर इनको उनसे अलग होना पडा़।
सउदी अरब ने लीवा अल-इस्लाम को एक गिरोह बनाने मे केंद्रिय किरदार निभया. लीवा उल इस्लाम गिरोह चीफ ज़हरान अलोश था, उसका इसका सऊदी अरब से बहुत पुराना सम्बन्ध रहा हैं। कई गिरोहों के बीच इत्तहाद हथियारो की सप्लाई लाइन मे शरीक होने के आधार पर हुआ था न की कई गिरोहों को एक करने के आधार पर.
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