दुष्ट राज्य - भाग 2
1960 के दशक मे अमरीका ने क्यूबा के कम्यूनिस्ट लीडर फीडल कास्ट्रो की भी कई बार हत्या करवाने की कोशिश की. 1980 के दशक मे अमरीक के लेफ्टिनेंट करनल ओलिवर नोर्थ ने इरान-कोंट्रा घोटाले के सम्बन्ध मे अमरीकी संविधान के पाँंचवे संशोधन का पक्ष-समर्थन किया और उसके अपनी संविधानिक अधिकार से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाने पर उसने जवाब देने से इंकार कर दिया. बाद मे जब अमरीका सरकार ने इस खुफिया रिपोर्ट को आम किया तो पता चला की इरान को हथियार और दवाऐ बेचने पर मिली राशी से निकारागुआ (साउथ अमरीका का एक देश) की समाजवादी सरकार को उखाड फेंकने के लिये क्रांतिकारियों को फंड किया गया था.
अभी हाल ही मे सी.आई.ए. एक ग़ैर-मामूली आत्मसमर्पण (rendition) के मामले मे मुलव्विस थी. जिसमें किडनेप करने वाले सन्दिग्धो को दूसरे देशों मे पूछताछ के लिये खुफिया जेलों मे भेजा गया. वहाँ उनके पास कोई कानूनी अधिकार और सुरक्षा मौजूद नही थी. काउंसिल ऑफ यूरोप की सन 2007 की रिपोर्ट के मुताबिक 14 यूरोपीय देश इस बात के दोषी पाये गये के उन्होने सी.आई.ऐ को इन देशो मे नज़रबन्द केंद्र चलाने की इजाज़त दी या सन 2002 से 2005 तक खुफिया उडान भरने की इजाज़त दी.
अभी हाल ही मे सी.आई.ए. एक ग़ैर-मामूली आत्मसमर्पण (rendition) के मामले मे मुलव्विस थी. जिसमें किडनेप करने वाले सन्दिग्धो को दूसरे देशों मे पूछताछ के लिये खुफिया जेलों मे भेजा गया. वहाँ उनके पास कोई कानूनी अधिकार और सुरक्षा मौजूद नही थी. काउंसिल ऑफ यूरोप की सन 2007 की रिपोर्ट के मुताबिक 14 यूरोपीय देश इस बात के दोषी पाये गये के उन्होने सी.आई.ऐ को इन देशो मे नज़रबन्द केंद्र चलाने की इजाज़त दी या सन 2002 से 2005 तक खुफिया उडान भरने की इजाज़त दी.
ब्रिटेन: सर्व-श्रेष्ठवादी (Supremacist)
ब्रिटेन, जो इस ग़ैर-कानूनी तिकडी क़ा सबसे अहम साथी रहा है, अमरीका से साथ इस ग़ैर-कानूनी आत्मसमर्पण की उडानों के मामले मे सहयोगी रहा है. सन 2005-2007 के मध्य मे टोनी ब्लेयर और जेक स्ट्रो बरतानिया के इस मामले मे शामिल होने का लगातार खंडन करते रहे. फरवरी 2008 मे डेविड मिलीबेंड ने पार्लियामेंट मे दो “ग़ैर-मामूली आत्मसमर्पण” उडानो मे बरतानिया के शामिल होने की बात को कुबूल कर लिया. ऐसी कई अनगिनत आत्मसमर्पण उडानो की खबरे मिडीया मे रही जिसमें बरतानिया के कई ऐयरपोर्ट इस्तेमाल किये गये, जैसे की स्कोटलेंड का प्रेस्टविक ऐयरपोर्ट।
नोर्दन आयरलैंड ने ब्रिटेन की न्यायविरुद्धी की गहराई का पर्दा फाश कर दिया. लोयलिस्टों के खुदकुश हमलावरों ने, जिन के सम्बन्ध ब्रिटेन की सिक्यूरिटी फोर्सेज़ से दस्तावेजी तौर पर साबित है, नोर्थन आईलेंण मे रिपब्लिकन के सन्दिग्धों को सन 1970 और 1980 मे निशाना बनाया था और उस वक्त SAS ने इरिश रिपब्लिकन आर्मी (IRA) के मेम्बरों की हत्या जिब्राल्टा मे सन 1988 मे की थी.
सन 2003 मे इराक पर अमरीकी क़ब्ज़े के बाद ब्रिटेन के स्पेशल फोर्सेज़ की इराक़ मे खुफिया कार्यवाहियो की रिपोर्ट भी आती रही है. इराक़ मे ब्रिटिश ऐजेंट को रंगे हाथों अरबी पोशाकों और हथियारो के साथ पकडा गया जब इराक़ के बज़ारों, चौराहों और धार्मिक स्थलों मे सिलसिलावर बम धमाकों से दहला दिया गया था.
कीव (Kew) मे स्थित नेशनल आरकाईव मे मौजूद एक दस्तावेज़ पर आधारित रिपोर्ट के यह भेद खुला की ऐंथोनी ईडन, जुलाई 1943 मे ब्रिटेन के विदेश सचिव, ने मुसोलिनी की रोम मे स्थित उसके हेडक्वाटर मे हत्या की स्वीक़ृती दी थी. विंसटन चर्चिल ने भी इस हत्या की अपने स्पेशल ओपरेशन सचिव जनरल रेनहार्ड हेडरिच के ज़रिये से स्वीक़ृती दे दी थी.
उपसंहार
कई तरह से छुपाने की कोशिशे और् ओफिशियल सिक्रेट ऐक्ट्स के बावजूद भी ऐसी कई रिपोर्टों का लेखा-जोखा मौजूद है जिसमें ब्रिटेन, अमरीका और इज़राईल की अराजकता (lawlessness) का पर्दा फाश हमास के महमूद अल-मबहू दुबई मे हत्या से हो जाता है.
इन तीनो नियमविरोधीयों (outlawed) के आमाल उनकी मौजूदा अंतर्राष्ट्रिय हैसियत और मानव अधिकार के बढे बढे दावों के बिल्कुल विरोधी है. यह तीनों अपनी अराजकता कार्यवाहियों को अपने दुश्मन से जंग की हालत मे होने के दावे के साथ उचित ठहराते है. हालांकी यह कितनी हास्यस्पद बात है की चन्द व्यक्ति, जिन को अदालत मे लाने के बाद ही उनका सन्दिग्ध होना साबित हो सकता है, ब्रिटेन, अमरीका और इज़राईल के वजूद के लिये खतरा बन जाते है.
अगर ऐसा जंग की हालत मे होने की वजह से करवाया जाता है तो क्यूँ हत्या करवाने की इतनी लम्बी साज़िशें गढी जाती है? अगर इन तीनों को इतना यक़ीन है की वोह इंसाफ की तरफ है और सन्देहस्पद व्यक्ति मुजरिम है तो वोह उसे अदालत मे क्यो नही घसीटते? वोह किस बात से डरते है और वोह क्या बात छुपाना चाहते है?
हक़ीक़त यह है की यह तीनो अराजकता के साथी एक बेरहम गेंग की तरह है जो एक दूसरे के जुर्म को छुपाते हैं. अमरीका ने सन्युक्त राष्ट्र संघ के सिक्यूरिटी कॉंसिल मे दर्जनों बार इज़राईल को बचाने के लिये वीटो का इस्तेमाल किया है.
अगर दुनिया मे न्यायविरुद्ध ताक़ते हावी होंगी, जैसे की हम आज देख रहें है, तो नाइंसाफी हर तरफ फैलेगी जिस का कोई हल नहीं होगा. सिवाऐ उस वक्त तक जब तक की खिलाफत की स्थापन हो जाये और इन तीनो अराजकतावादी ताक़तो का हिसाब सही मायने मे लिया जाए.
स्रोत: खिलाफा मेगज़ीन, अप्रेल 2010
इन तीनो नियमविरोधीयों (outlawed) के आमाल उनकी मौजूदा अंतर्राष्ट्रिय हैसियत और मानव अधिकार के बढे बढे दावों के बिल्कुल विरोधी है. यह तीनों अपनी अराजकता कार्यवाहियों को अपने दुश्मन से जंग की हालत मे होने के दावे के साथ उचित ठहराते है. हालांकी यह कितनी हास्यस्पद बात है की चन्द व्यक्ति, जिन को अदालत मे लाने के बाद ही उनका सन्दिग्ध होना साबित हो सकता है, ब्रिटेन, अमरीका और इज़राईल के वजूद के लिये खतरा बन जाते है.
अगर ऐसा जंग की हालत मे होने की वजह से करवाया जाता है तो क्यूँ हत्या करवाने की इतनी लम्बी साज़िशें गढी जाती है? अगर इन तीनों को इतना यक़ीन है की वोह इंसाफ की तरफ है और सन्देहस्पद व्यक्ति मुजरिम है तो वोह उसे अदालत मे क्यो नही घसीटते? वोह किस बात से डरते है और वोह क्या बात छुपाना चाहते है?
हक़ीक़त यह है की यह तीनो अराजकता के साथी एक बेरहम गेंग की तरह है जो एक दूसरे के जुर्म को छुपाते हैं. अमरीका ने सन्युक्त राष्ट्र संघ के सिक्यूरिटी कॉंसिल मे दर्जनों बार इज़राईल को बचाने के लिये वीटो का इस्तेमाल किया है.
अगर दुनिया मे न्यायविरुद्ध ताक़ते हावी होंगी, जैसे की हम आज देख रहें है, तो नाइंसाफी हर तरफ फैलेगी जिस का कोई हल नहीं होगा. सिवाऐ उस वक्त तक जब तक की खिलाफत की स्थापन हो जाये और इन तीनो अराजकतावादी ताक़तो का हिसाब सही मायने मे लिया जाए.
स्रोत: खिलाफा मेगज़ीन, अप्रेल 2010
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