रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم)
के द्वारा स्थापित की गई मदीने की पहली इस्लामी हुकूमत एक सम्पूर्ण हुकूमत थी
इस हुकूमत के ज़रिए आप (صلى الله عليه وسلم)
ने लोगो को सम्पूर्ण से एक खुदा की इबादत मे लगा दिया यानी रस्मी इबादत (नमाज़, रोज़ा, हज वगैराह) से लेकर ज़िंदगी के
हर पहलू मे (सियासी, अदालती, आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक वगैराह मे) अल्लाह की
बंदगी करवाई. इसलिये आप (صلى
الله عليه وسلم) के जीवन को एक इलाही कानून पर आधारित राजनैतिक परिवर्तन माना जाये
और आप (صلى الله عليه
وسلم) की हयाते तय्यिबा को गौर से पढने पर यह पहलू बिल्कुल वाज़ेह हो जाता
है.
निम्नलिखित मज़ामीन आप (صلى الله عليه وسلم) की लोगो को इस्लाम व्यक्तिगर दावत से
लेकर पहली मदनी हुकूमत के क़याम और फिर 13 साल मदनी हुकूमत के चालाने की आप (صلى الله عليه وسلم) के सियासी खूबियों और हिक्मते अमलियों
पर शान्दार रोशनी डालते है.
रसूल्लुल्लाह की पाक सीरत (पवित्र
जीवनी) को किसी गैर-इस्लामी साधू-महात्मा और उन से जुडी हुई अवधारणाओं के चश्मे से
न देखा जाये और ना ही यहूदो/नसारा की अपनी मनधणंत और तौहीन आमेज़ छवी जो उन्होने पैगम्बरो के
लिये बना रखी, और
जो दूसरी काफिर क़ौमों के साधू-महात्मा की छवी से मुख्तलिफ नही है, से भी न देखा जाये.
आप (صلى الله عليه وسلم) दुनिया की सारी नई-पुरानी हस्तियों से
मुमताज़ (अदभुत) है और आप की हर अदा/अमल निराला और हुक्मे खुदावंदी से है, और यही मंसबे खत्मे नबुव्वत का
तक़ाज़ा है.
0 comments :
Post a Comment