अमरीका के हुक्म पर शिमाली वज़ीरिस्थान मे फौजी कार्यवाही शुरु
بِسْمِ اللّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
पाकिस्तान मे हिज़बुत तहरीर का मीडिया ऑफिस
प्रेस स्टेटमेंट
तारीख 14 जमादुस्सानी, 1431 हिजरी/28 मई 2010 इसवी,
न: पी आर 10034
अमरीका के हुक्म पर शिमाली वज़ीरिस्थान मे फौजी कार्यवाही शुरु
अमरीका, और पाकिस्तान मे उसके ऐजेंट हुक्मरानो ने शिमाली वज़ीरिस्थान मे फौजी कार्यवाही शुरु करने के समर्थन के लिये आतंकवादी हमले करवाना शुरू कर दिये
हिज़्बुत तहरीर ने उम्मत को पहले भी आगाह किया था की जब भी अमरीका और पाकिस्तान के दग़ाबाज़ हुक्मरान क़बाईली इलाक़ो मे फौजी कार्यवाही शुरू करेंगे, तो इसकी शुरूआत करने से कुछ दिनो पहले वोह बोम्बब्लासटो का एक सिलसिले जारी करेंगे.
हम ऐसे बोम्बब्लास्टों की कई मिसालें इस्लामिक यूनिवर्सिटी और रावलपिंडी मे परदे लेन मस्जिद मे पहले देख चुकें है और उसके साथ उन्होने एक विडियो भी जारी किया था जिसमें स्वात के इलाके मे एक नौजवान लडकी को कौडे मारते हुये दिखाया गया था। जिस दिन से अमरीका ने पाकिस्तना को शिमाली वज़ीरिस्तान मे हमला करने का हुक्म दिया है, उसी दिन से राजनैतिक समझ रखने वाले लोग ज़हनी तौर पर पहले से तय्यार थे की तमाम अहम शहरो मे बोमब्लास्टों का एक सिलसिला शुरू होने वाला है. सिर्फ यही काफी नही बल्कि इस फौजी कार्यवाही के बाद, लोगों को फिर से एक और जहन्नुम का सामना करना पडेगा - बिजली के नक़ली संकट का.
इस संकट के पीछे जो मक़सद होता है वोह यह की लोगों को अन्धेरे मे रखा जा सके ताकि उन्हें इस फौजी कार्यवाही से उन लाखों बेघर होने वाले लोगों की दुर्दशा का हाल मालूम न पडे जो की बाद मे हवाई हमलो के नतीज मे मारे जायेंगे. आज भी स्वात और जुनूबी वज़ीरिस्तान के 1.3 मिलीयन मुस्लिम जिन मे औरते, बच्चे और बूढे शामिल है, बेघर है और केम्पों मे ज़िन्दगी गुज़ारने पर मजबूर है. लेकिन “अज़ाद मीडिया” दुनिया के सामने उनकी हालते ज़ार को दिखाने के लिये तय्यार नही है!!!
वोह सेक्यूलरवादी कहाँ है जो यह दावा करते थे की उन्हे अगर स्वात मे फौजी कार्यवाही करने की इजाज़त दे दी जाये तो वोह आतंकवाद को जड से उखाड फेंकेगे?
वोह सारे बुद्धिजीवी कहाँ है जो यह कहते नही थकते थे सारे आतंकवाद की वजह शिमाली वजीरिस्तान है और एक बार वहाँ सफाई आपरेशन करने के बाद पाकिस्तान “दुनिया की जन्नत” मे तब्दील हो जायेगा.
बल्कि अमरीका ने एक-एक करके पूरे कबीलाई इलाक़ो मे आग लगादी है. अमरीका यह जानता है की अगर उसे पाकिस्तान के मुख्लिस जिहादी लोगों को पाकिस्तान क्रोस करके अफगानिस्तान जाने से रोकना है और अपनी फौजो के लिये आपूर्ति को जारी रखना है तो इसके लिये उसे पाकिस्तानी आर्मी और हिफाज़ती इदारों को जिहादियों के खिलाफ करना
होगा. इस तरह से अमरीका मुसलमान को मुसलमान से लडवा कर खुद अपनी हिफाज़त करेगा.
हिज़्बुत तहरीर अहले नुसरत और अहले हल वलअक़्द लोगों से यह मांग करती है की वोह अमरीका की इस साज़िश को समझे और फौरन इस अमरीकी जंग का साथ छोड दे वरना यह आग पूरे पाकिस्तान को जला डालेगी.
उसके साथ-साथ पाकिस्तानी फौजों की यह ज़िम्मेदारी है की वोह जनता को इन गद्दार ऐजेंट हुक्मरानो से आज़ादी दिलाये और हिज़्बुत तहरीर को खिलाफत के क़याम के लिये नुसरत (भौतिक सहायता) दे, जो अमरीका को इस क्षेत्र से निकाल बाहर करेगी और पूरी उम्मत को एक अमीर (हुक्मरान) के तहत मुत्तहिद कर देगी.
नवेद बट
पाकिस्तान मे हिज़्बुत तहरीर के प्रवक्ता
हम ऐसे बोम्बब्लास्टों की कई मिसालें इस्लामिक यूनिवर्सिटी और रावलपिंडी मे परदे लेन मस्जिद मे पहले देख चुकें है और उसके साथ उन्होने एक विडियो भी जारी किया था जिसमें स्वात के इलाके मे एक नौजवान लडकी को कौडे मारते हुये दिखाया गया था। जिस दिन से अमरीका ने पाकिस्तना को शिमाली वज़ीरिस्तान मे हमला करने का हुक्म दिया है, उसी दिन से राजनैतिक समझ रखने वाले लोग ज़हनी तौर पर पहले से तय्यार थे की तमाम अहम शहरो मे बोमब्लास्टों का एक सिलसिला शुरू होने वाला है. सिर्फ यही काफी नही बल्कि इस फौजी कार्यवाही के बाद, लोगों को फिर से एक और जहन्नुम का सामना करना पडेगा - बिजली के नक़ली संकट का.
इस संकट के पीछे जो मक़सद होता है वोह यह की लोगों को अन्धेरे मे रखा जा सके ताकि उन्हें इस फौजी कार्यवाही से उन लाखों बेघर होने वाले लोगों की दुर्दशा का हाल मालूम न पडे जो की बाद मे हवाई हमलो के नतीज मे मारे जायेंगे. आज भी स्वात और जुनूबी वज़ीरिस्तान के 1.3 मिलीयन मुस्लिम जिन मे औरते, बच्चे और बूढे शामिल है, बेघर है और केम्पों मे ज़िन्दगी गुज़ारने पर मजबूर है. लेकिन “अज़ाद मीडिया” दुनिया के सामने उनकी हालते ज़ार को दिखाने के लिये तय्यार नही है!!!
वोह सेक्यूलरवादी कहाँ है जो यह दावा करते थे की उन्हे अगर स्वात मे फौजी कार्यवाही करने की इजाज़त दे दी जाये तो वोह आतंकवाद को जड से उखाड फेंकेगे?
वोह सारे बुद्धिजीवी कहाँ है जो यह कहते नही थकते थे सारे आतंकवाद की वजह शिमाली वजीरिस्तान है और एक बार वहाँ सफाई आपरेशन करने के बाद पाकिस्तान “दुनिया की जन्नत” मे तब्दील हो जायेगा.
बल्कि अमरीका ने एक-एक करके पूरे कबीलाई इलाक़ो मे आग लगादी है. अमरीका यह जानता है की अगर उसे पाकिस्तान के मुख्लिस जिहादी लोगों को पाकिस्तान क्रोस करके अफगानिस्तान जाने से रोकना है और अपनी फौजो के लिये आपूर्ति को जारी रखना है तो इसके लिये उसे पाकिस्तानी आर्मी और हिफाज़ती इदारों को जिहादियों के खिलाफ करना
होगा. इस तरह से अमरीका मुसलमान को मुसलमान से लडवा कर खुद अपनी हिफाज़त करेगा.
हिज़्बुत तहरीर अहले नुसरत और अहले हल वलअक़्द लोगों से यह मांग करती है की वोह अमरीका की इस साज़िश को समझे और फौरन इस अमरीकी जंग का साथ छोड दे वरना यह आग पूरे पाकिस्तान को जला डालेगी.
उसके साथ-साथ पाकिस्तानी फौजों की यह ज़िम्मेदारी है की वोह जनता को इन गद्दार ऐजेंट हुक्मरानो से आज़ादी दिलाये और हिज़्बुत तहरीर को खिलाफत के क़याम के लिये नुसरत (भौतिक सहायता) दे, जो अमरीका को इस क्षेत्र से निकाल बाहर करेगी और पूरी उम्मत को एक अमीर (हुक्मरान) के तहत मुत्तहिद कर देगी.
नवेद बट
पाकिस्तान मे हिज़्बुत तहरीर के प्रवक्ता
5 comments :
आईये जाने .... प्रतिभाएं ही ईश्वर हैं !
आचार्य जी
nice
चलिए बकरी की मां भी कब तक खैर मनाती !
बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाय?
पाकिस्तान और भारत मे होने वाले आतंकवादी हमले खुद उनकी अपनी सरकारों, सियासी पार्टियों, और बाहरी तत्व जैसे अमरीका और ब्रिटेन करवाते है. हिन्दुस्तान मे खास तौर से दंगो के इतीहास और उसके कारणो से जनता बखूबी वाकिफ है. पूंजीवादी सेक्यूलर व्यवस्था मे यह हमले सियासी पार्टियाँ वक्ती फायदे हासिल करने के लिये और सरकार अपने काले करतूतों पर पर्दा डालने के लिए करवाती है. इस बात से सियासतदान और उच्च वर्ग़िय अफसरान, बल्कि मीडिया भी वाकिफ होता है.
वक्त दूर नही की जिन को इस बात पर अभी यक़ीन नही होता है उन्हें भी यक़ीन आ जायेगा.
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