दुष्ट राज्य - भाग 1

दुष्ट राज्य


हाल ही मे दुबई के महमूद अल-मबहू के सियासी क़त्ल ने हुकूमती दहशतगर्दी के मामले को दोबारा उठाया है - यानी बडी बेरहमी के साथ अपने सियासी मुखालिफ (प्रतिद्वन्दी) को रास्ते से हटाना. हुकूमती दहशतगर्दी का तसव्वुर उस दौर से ताल्लुक रखता है जब जंगल का क़ानून हावी होता था. खुफिया ऐजेंसियां, जासूसी हवाईजहाज़, कारों मे बम रखना जैसे कुछ माध्यम है जिन से रियासते (राज्य) आज अपने राजनैतिक प्रतिद्वन्दीयों को, मय उनके परिवार, बीवी, बच्चे और राह चलते राहगीर समेत क़त्ल करवा देती है.


ऐसे क़त्ल के लिये ना तो क़ानून की ज़रूरत पडती है और न ही लम्बे चौडे कानून के चक्करों मे पडने की नौबत आती है: यानी लम्बी लम्बी ट्रायल्स, गवाहों के बुलाना और सुबूत इकट्टे करने वग़ैराह की. दरहक़ीक़त जो कत्ल का हुक्म देता है वही खुद जज, जूरी और सजा देना का काम भी अंजाम देता है.
इज़्राईल, अमरीका और बरतानिया ने दुनिया के सामने अपनी छवी ऐसे राष्ट्रो की ज़ाहिर कर रखी है जो अंतर्राष्ट्रिय क़ानून की पालना करते है और कूटनितक (diplomatic) माध्यमों से सियासी उद्देश्य हासिल करते है. अमरीका और बर्तानिया सन्युक्त राष्ट्र संघ की सिक्योरिटी कोंसिल के पांच मे से दो परमानेंट मेम्बर्स है जिन को वीटो पावर भी हासिल है. इस्राईल समेत तीनो ने अंत्रराष्ट्रिय ह्युमन राईट्स जैसे कई समझौतों पर साईन भी कर रखे है, जिनमे जिनेवा कंवेंशन भी शामिल है.


हक़ीक़त मे यह तीनो राज्य जिस क़ानून पर चलते है वोह जंगल का कानून है. इज़्राईल राजनैतिक हत्याऐ करवाने मे और हत्याओं की कोशिशों करने का लम्बा इतिहास है. हालही मे अमरीकी के ड्रोन हमलावर हवाईजहाज़ (मनुष्य रहित हवाईजहाज़) अफग़ानिस्तान और पाकिस्तान मे तथाकथित “अल-क़ायदा” के लीडरों को “जड से उख़ाडने” मे मसरूफ है जबकि अमरीका की सरकारी खुफिया ऐजेंसी सी.आई.ऐ. (C.I.A.) का सेंट्रल और साउथ अमरीका मे अपने कम्यूनिस्ट और समाजवादी दुश्मनों के खिलाफ दहशतगर्द संगठनों की मदद करने का पुराना इतिहास है. अमरीका और बर्तानिया सन्दिग्ध अपराधियों को उठा कर या उन्हें किड्नेप करवा कर मश्रिक़ी यूरोप की खुफिया जेलों मे डाल देतें है जो अंतर्राष्ट्रिय मानव अधिकार ऐजेंसियों की निगाहों से दूर होती है.


विंसटन चर्चिल ने द्वितिय विश्व युद्ध की दौरान जनरल रैनहार्ड हेडरिच और कई लोगों का कत्ल इस्पेशल ओपरेशन इक्ज़ेक्यूटिव के ज़रिये करवाया और बरतानिया की खुफिया ऐजेंसियों की रिप्यूटेशन तो “क़त्ल करने का लाइसेंस” लेकर घूमने वाले की सी रही है, जिसको अक्सर कई फिल्मों मे भी हल्के अन्दाज़ मे दर्शाया गया है.


इज़्राईल: एक दुष्ट राज्य



दो दर्जन से ज़्यादा इज़्राईली कार्यकर्ताओं ने एक बहुत ही “साहसी” ओपरेशन के तहत, जिसमें उन्होने कई अंतर्राष्ट्रिय पासपोर्ट का इस्तेमाल किया, हमास के राजनैतिक प्रतिद्वन्दी महमूद अल-मबहू का दुबई मे कत्ल कर दिया. कई टीकाकारो की राय भी यही है की इस क़त्ल के पीछे इज़राईल की मुसाद का हाथ है. ऐसा इसलिये भी है की इज़राईल की खुफिया ऐजेंसी मुसाद ऐसी कूटनितिक दहशतगर्द के लिये जानी जाती है. हमेशा की तरह इस बार भी इज़राईल ने ना तो इस क़त्ल की ज़िम्मेदारी ली है और ना ही इससे इंकार किया है.

इज़राईल की कूटनितिक दहशतगर्दी की सिर्फ यह एक छोटी सी मिसाल है जिस पर 26 फरवरी 2010 को फाईनेन शियल टाईम्स ने रोशनी डाली है. इसकी चन्द और मिसाले ज़ेरे गौर है:
– यासिर अराफात के सहायक अली हसन सलामेह का क़त्ल बैरूत मे 1979 मे, एक कार मे बोम बलास्ट के ज़रिये करवा गया.
– पी.एल.ओ. लीडर, खलील अल वज़ीर (अबू जिहाद) का क़त्ल ट्यूनिस मे 1988 मे हुआ.

– अब्बास मूसवी, हिज़्बुल्लाह से समबन्ध रखने वाले एक मौलवी पर एक इज़राईली बन्दूकी जहाज़ से उनके बीवी, बेटा और चार दूसरे लोगों सहित हमला किया गया.

– मुसाद के ऐजेंटो ने अम्मान मे हमास के खालिद मशाल के क़त्ल की कोशिश की जिन्हे बाद मे 1997 मे गिरफ्तार कर लिया गया.


– कई नाकाम कोशिशों के बाद हमास के बानी और जिस्म से लाचार, शेख अहमद इस्माईल हसन यासीन को एक हेलीकोप्टर गनशिप से सन 2004 मे क़त्ल कर दिया गया.

– सन 2006 मे इज़राईल ने लेबनान पर क़ब्ज़ा करने और तबाह करने की कोशिश की जो की पहली कोशिश नही थी.

– सन 2009 मे इज़राईल ने गाज़ा पर रात और दिन मुसलसल तीन हफ्तो तक बमों से हमले किये जिसमें 60 लोग प्रतिदिन की दर से क़त्ल किया जिसमें औरतें और बच्चे शामिल थे.

इसके बावजूद भी की इज़राईल को खाडी देशो मे सिर्फ एक अकेला लोकतांत्रिक देश कहा जाता है. इज़राईल ऐसे हालात मे ना तो कोई ट्राईल (मुकदमे) चलाता है, न इन केसों मे कोई फैसले और सज़ाऐं होती है. वोह मानता है की ऐसे मामलात मे कानूनी कार्यवाही करने की ज़रूरत होती ही नही है. उसका यह दुष्ट व्यवहार चौंका देने वाला है, फिर भी वह पूरे अंतर्राष्ट्रिय जगत मे अपने आप को बेचारा और दुश्मन अरब देशों का द्वारा पीडित बनने की छवी लिये घूमता है.


अमरीका – एकपक्षिय शक्ति (The Unilateralist)

अमरीका की अराजकता (न्यायविरूध्दी) की लिस्ट इज़राईल से भी बहुत लम्बी है. जनवरी सन 2010 दस मे अमरीका ने यह रिपोर्ट दी की उसके ड्रोन हमलावर हवाई जहाज़ो ने पाकिस्तान के तालिबान लीडर हकीमुल्लाह महसूद को मार गिराया. इस हमले मे, जिस मे सन्दिग्ध को मारने की बात कही गई है, उसमे 12 आम शहरी भी मारे गये. सन 2009 मे उस वक्त के तालीबानी लिडर बैतुल्लाह महसूद को दक्षिणी वज़ीरिस्तान मे उसके के घर पर ड्रोन जहाज़ो के ज़रिऐ हमला करके क़त्ल किया गया.

जब से पाकिस्तान मे अमरीका ने ग़ैर-ऐलानिया जंग शुरू की है, सी.आई.ऐ ने ड्रोन (मनुष्य रहित हवाईजहाज़) के द्वारा तथाकथित लडाका लोगों के साथ साथ अब तक सैंकडों आम शहरियों का भी क़त्ले आम कर चुकी है. यह वोह पूर्वक्रिया हमले (preemptive strikes) होते है जिन के ज़रिये से सन्दिग्ध लोगों को बिना किसी मुकदमे और सज़ा के ठिकाने लगा दिया जाता है.


अमरीका का 2003 से इराक पर क़ब्ज़े के बाद एक नीजी सिक्यूरिटी ऐजेंसी, ब्लेकवाटर, जिसका अमरीकी हुकूमत और फौज से गहरा समबन्ध है, विवाद का कारण बनी थी. सन 2010 मे इराक की अमरीकी कठपुतली हुकूमत ने ब्लेकवाटर को देश छोडने के लिये कहा जब ब्लेकवाटर के कई ग़ार्डों ने बग़दाद के निसोर स्क्वायर मे कई दर्जन लोगों को मौत के घाट उतार दिया.

............. मज़मून जारी
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2 comments :

Randhir Singh Suman said...

अमरीका की सरकारी खुफिया ऐजेंसी सी.आई.ऐ. (C.I.A.) का सेंट्रल और साउथ अमरीका मे अपने कम्यूनिस्ट और समाजवादी दुश्मनों के खिलाफ दहशतगर्द संगठनों की मदद करने का पुराना इतिहास है. अमरीका और बर्तानिया सन्दिग्ध अपराधियों को उठा कर या उन्हें किड्नेप करवा कर मश्रिक़ी यूरोप की खुफिया जेलों मे डाल देतें है जो अंतर्राष्ट्रिय मानव अधिकार ऐजेंसियों की निगाहों से दूर होती है.nice

Khilafat.Hindi said...

शुक्रिया

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