बांग्लादेश ने हिज्ब उत् तहरीर पर प्रतिबन्ध लगाया

पूंजीवादी मीडिया का इस्लाम और इस्लामी आन्दोलनो की गतिवीधियों को पेश करने का अपना एक खास तरीका है. एक जीवन व्यवस्था की हैसियत से इस्लाम का आज पूंजीवाद के साथ सीधा मुकाबला है. एक इंसानी विचारधारा होनी की हैसियत से पूंजीवाद का अंत हो जाना उस का मुक़द्दर है. जब पूंजीवाद का मुक़ाबला साम्यवाद (कम्यूनिज़म) से था तो उसका हर कार्यकर्ता और समर्थन करने वाला आतंकवादी कहलाता था. उम्मीद है की हमारे पाठक इन खबरों को इसी सन्दर्भ मे देखेंगे.

बांग्लादेशी इस्लामी संस्था पर प्रतिबंध

संगठन ने इस प्रतिबंध की निंदी की है
बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने देश में सक्रिय इस्लामी संगठन हिज़्ब उत तहरीर पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.
बांग्लादेश के गृह सचिव सोभन सिकदर ने बताया कि देश में शांतिपूर्ण जीवन के लिए हिज़्ब उत तहरीर एक ख़तरा है.
ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ऐसी इस्लामी संस्था,जिस पर किसी तरह के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप न हो, उसे प्रतिबंधित किया गया है.
संगठन ने इस प्रतिबंध की निंदा की है और कहा है कि सरकार उन्हें चुप नहीं करा सकती है. संगठन का आरोप है कि सरकार साम्राज्यवादी शक्तियों के साथ है.
सिकदर ने बताया, "सरकार ने हिज़्ब उत तहरीर पर प्रतिबंध लगाने का निश्चय किया है क्योंकि यह संस्था कानून और लोगों की सुरक्षा के लिए ख़तरा बन कर उपस्थित है."
मैं आपको अच्छी तरह से बता देना चाहता हूँ कि दुनिया के किसी भी भाग में जब भी किसी दमनकारी सरकार ने हम पर प्रतिबंध लगाया, हम चुप नहीं रहे. हमने साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ हमेशा से आवाज़ उठाई है. हम इस सरकार की भी साम्राज्यवादी नीतियों को उजागर करते रहेंगे
इस वर्ष की शुरुआत में सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने विद्रोह किया था जिसमें सेना के 50 से ज़्यादा अधिकारी मारे गए थे. कथित तौर पर इस संगठन ने विद्रोह के समर्थन में पर्चे बांटे थे और इस वजह से हिज़्ब उत तहरीर के क़रीब 40 सदस्यों को गिरफ़्तार किया गया था.
साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़
सिकदर ने बताया कि खुफ़िया विभाग 12 संगठनों पर लगातार निगरानी रखे हुए था. इनमें से चार संगठनों को पहले ही प्रतिबंध किया गया था. इन संगठनों पर सरकार ने 'आंतकवादी' और 'राज्य के ख़िलाफ़' गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है.
हालांकि हिज़्ब उत तहरीर के प्रमुख प्रोफ़ेसर मोहीउद्दीन अहमद ने आंतकवादी गतिविधियों में संगठन के शामिल होने के आरोप को ख़ारिज किया है.
उनका कहना है कि संगठन आंतकवाद और अन्य हिंसक कार्रवाई को इस्लाम की शिक्षा से पूरी तरह उलट मानती है. प्रोफ़ेसर अहमद ने कहा कि पहले भी सरकार की इस तरह की कार्रवाई से उनका संगठन चुप नहीं हुआ और अब भी ऐसा ही होगा.
उन्होंने बताया, "मैं आपको अच्छी तरह से बता देना चाहता हूँ कि दुनिया के किसी भी भाग में जब भी किसी दमनकारी सरकार ने हम पर प्रतिबंध लगाया, हम चुप नहीं रहे. हमने साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ हमेशा से आवाज़ उठाई है. हम इस सरकार की भी साम्राज्यवादी नीतियों को उजागर करते रहेंगे."
गृह सचिव का कहना है कि खुफ़िया एजेंसी हिज़्ब उत तहरीर पर अपनी निगरानी जारी रखेगी जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके संगठन किसी अन्य नाम से फिर से उठ खड़ा न हो. बीबीसी के बंगाली सेवा संपादक साबिर मुस्तफ़ा का कहना है कि हिज़्ब उत तहरीर, जिसके तार दुनिया भर में फैले हैं, विश्वविद्यालयों में सक्रिय रहा है. छात्रों के बीच बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए सरकार संगठन से चिंतित थी.
http://www.bbc.co.uk/hindi/southasia/2009/10/091023_bangladesh_ban_adas.shtml

शुक्रवार, 23 अक्तूबर, 2009 को 12:12 GMT तक के समाचार


बांग्लादेश ने हिज्ब उत् तहरीर पर प्रतिबन्ध लगाया
ढाका। बांग्लादेश ने विवादास्पद अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक समूह हिज्ब उत् तहरीर को देश को अस्थिर करने के आरोप में प्रतिबन्धित कर दिया है। गृह मंत्री सहारा खार्तूम ने बताया कि हिज्ब उत् तहरीर को राष्ट्र विरोधी, सरकार विरोधी, जन विरोधी और लोकतंत्र विरोधी गतिविधियां चलाने के आरोप में प्रतिबंधित किया गया है। विध्वंसकारी गतिविधियां चलाने के संदेह में इस संगठन को प्रतिबन्धित दस संगठनों में शीर्ष पर रखा गया है। प्रतिबन्ध को लेकर हिज्ब उत् तहरीर का मुखिया मोइनुद्दीन अहमद शुक्रवार को मीडिया को बयान देने वाला था लेकिन पुलिस ने उसके घर छापा मारकर संवाददाता सम्मेलन बाधित कर दिया। ढाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर काम करने वाला अहमद पुलिस के छापे से ठीक पहले वहां से भाग निकला।

http://www.patrika.com/news.aspx?id=262425s

http://www.voanews.com/hindi/archive/2009-10/2009-10-23-voa9.cfm?CFID=390850346&CFTOKEN=31990424&jsessionid=88305efa0846e816894972bb213336482c36


प्रतिबंधित समूह से जुड़े प्रोफेसर की छुट्टी
Agency Tuesday, October 27, 2009 01:11 [IST]
ढाका. ढाका विश्वविद्यालय ने अपने एसोसिएट प्रोफेसर मोहिउद्दीन अहमद को एक प्रतिबंधित संगठन से जुड़े होने की वजह से अनिश्चितकालीन अवकाश पर भेजने का फैसला किया है।
बांग्लादेश सरकार ने वीरवार को अहमद के संगठन हिज्ब उत तहरीर पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने इस संगठन के सभी बैंक खाते सील करने के आदेश दिए हैं।
इसके बाद से पुलिस ने संस्थान के परिसर में स्थित अहमद के आवास को घेर कर एक तरह से उन्हें नजरबंद कर दिया था। विधि प्रवर्तन एजेंसियों ने तहरीर के ढाका स्थित मुख्यालय और सिलहट स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में छापा मारने के बाद रविवार को उसके सभी प्रकाशन और कंप्यूटर जब्त कर लिए थे। अधिकारियों ने बताया कि इस संगठन पर पाकिस्तान सहित 20 अन्य देशों में उसका उग्रवादियों से संबंध होने के संदेह में प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश, हरकतुल जिहाद अल इस्लामी, जगराता मुस्लिम जनता बांग्लादेश और शहादत ए अल हिकमा के बाद यह पांचवां ऐसा संगठन है, जिस पर प्रतिबंध लगाया गया है।
http://www.bhaskar.com/2009/10/27/091027011249_dhaka_university.html


हिज़्ब उत तहरीर पर प्रतिबंध
Saturday, 24 October 2009 19:18 administrator
बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने देश में सक्रिय इस्लामी संगठन हिज़्ब उत तहरीर पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.बांग्लादेश के गृह सचिव सोभन सिकदर ने बताया कि देश में शांतिपूर्ण जीवन के लिए हिज़्ब उत तहरीर एक ख़तरा है.ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ऐसी इस्लामी संस्था, जिस पर किसी तरह के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप न हो, उसे प्रतिबंधित किया गया है.संगठन ने इस प्रतिबंध की निंदा की है और कहा है कि सरकार उन्हें चुप नहीं करा सकती है। संगठन का आरोप है कि सरकार साम्राज्यवादी शक्तियों के साथ है.सिकदर ने बताया, "सरकार ने हिज़्ब उत तहरीर पर प्रतिबंध लगाने का निश्चय किया है क्योंकि यह संस्था कानून और लोगों की सुरक्षा के लिए ख़तरा बन कर उपस्थित है।"मैं आपको अच्छी तरह से बता देना चाहता हूँ कि दुनिया के किसी भी भाग में जब भी किसी दमनकारी सरकार ने हम पर प्रतिबंध लगाया, हम चुप नहीं रहे. हमने साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ हमेशा से आवाज़ उठाई है। हम इस सरकार की भी साम्राज्यवादी नीतियों को उजागर करते रहेंगे।
इस वर्ष की शुरुआत में सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने विद्रोह किया था जिसमें सेना के 50 से ज़्यादा अधिकारी मारे गए थे. कथित तौर पर इस संगठन ने विद्रोह के समर्थन में पर्चे बांटे थे और इस वजह से हिज़्ब उत तहरीर के क़रीब 40 सदस्यों को गिरफ़्तार किया गया था.सिकदर ने बताया कि खुफ़िया विभाग 12 संगठनों पर लगातार निगरानी रखे हुए था. इनमें से चार संगठनों को पहले ही प्रतिबंध किया गया था. इन संगठनों पर सरकार ने 'आंतकवादी' और 'राज्य के ख़िलाफ़' गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है.हालांकि हिज़्ब उत तहरीर के प्रमुख प्रोफ़ेसर मोहीउद्दीन अहमद ने आंतकवादी गतिविधियों में संगठन के शामिल होने के आरोप को ख़ारिज किया है।उनका कहना है कि संगठन आंतकवाद और अन्य हिंसक कार्रवाई को इस्लाम की शिक्षा से पूरी तरह उलट मानती है।प्रोफ़ेसर अहमद ने कहा कि पहले भी सरकार की इस तरह की कार्रवाई से उनका संगठन चुप नहीं हुआ और अब भी ऐसा ही होगा.उन्होंने बताया, "मैं आपको अच्छी तरह से बता देना चाहता हूँ कि दुनिया के किसी भी भाग में जब भी किसी दमनकारी सरकार ने हम पर प्रतिबंध लगाया, हम चुप नहीं रहे. हमने साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ हमेशा से आवाज़ उठाई है. हम इस सरकार की भी साम्राज्यवादी नीतियों को उजागर करते रहेंगे।"गृह सचिव का कहना है कि खुफ़िया एजेंसी हिज़्ब उत तहरीर पर अपनी निगरानी जारी रखेगी जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके संगठन किसी अन्य नाम से फिर से उठ खड़ा न हो।

http://www.lokmanch.com/cms/index.php/society/6891-ban-on-tahreer-
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