नोट: अंतर्राष्ट्रिय खिलाफात कांफ्रेंस 2007, इंडोनेशिया, वर्तमान मे होने वाली बहुत से असाधरण घटनाओं मे से है जिसका अहसास और ज्ञान मुस्लिम और ग़ैरमुस्लिम जनसाधरण को नही है. इतिहास के पन्नो मे लिखे जाने वाली और पूंजीवादी धर्मनिर्पेक्ष व्यवस्था की काली रात के खात्मे का ऐलान करने मे इस कांफ्रेंस का बहुत बडा योगदान है. इस बात का अहसास सारी पूंजीवादी सूपर पावर्स को है इसी लिये इस कांफ्रेंस को सभी अंतर्राष्टिय अखबारों और टी.वी चेनल्स ने सुर्खियों मे लिया और काफी वाबेला भी मचाया. अंतर्राष्ट्रिय स्तर पर हो रही खिलाफत व्यवस्था को लागू करने की जद्दो जहद की खबरों के लिये हिन्दुस्तानी मिडिया को अभी चुप्पी साधने के लिये कहा गया है खास तौर से हिन्दी मिडिया को. फिर भी इस खबर को हिन्दुस्तानी राष्ट्रिय अखबारों मे जगह मिली।
ख़लीफ़ा व्यवस्था के लिए सम्मेलन
सम्मेलन में सिर्फ़ इण्डोनेशिया के ही लगभग 80 हज़ार लोग शामिल हुए मुस्लिम जगत में ख़लीफ़ा की व्यवस्था को फिर से स्थापित करने के उद्देश्य से इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में एक सम्मेलन बुलाया गया है.
दुनियाभर से 80 हज़ार मुस्लिम इसमें हिस्सा लेने के लिए जमा हुए हैं.
ख़लीफ़ा व्यवस्था 1924 तक कायम थी.
सम्मेलन को आयोजित करने वाले इस्लामिक गुट हिज़्ब उत- तहरीर ने दावा किया है कि पूरी दुनिया से आए मुस्लिमों का ये अब तक का सबसे बड़ा जमावड़ा है.
हिज़्ब उत- तहरीर के मुताबिक़ ख़लीफ़ा की व्यवस्था सरकार या शासन चलाने की एक आदर्श व्यवस्था है, और यह मानव के बनाए गए क़ानूनों के बजाय क़ुरान में बताये गये नियमों पर यकीन रखता है.
प्रतिबंध
हिज़्ब उत- तहरीर गुट मध्यपूर्व तथा पूर्वी यूरोप के कई देशों में प्रतिबंधित है और इसके कई बड़े वक्ताओं को इंडोनेशिया आने की इजाज़त नहीं दी गई है.
इस इस्लामिक गुट का कहना है कि वह अहिंसक तरीके से ख़लीफ़ा की व्यवस्था लागू करना चाहते हैं. जबकि जानकारों का मानना है कि यह एक कट्टर जेहादी गुट है.
जकार्ता में मौजूद बीबीसी संवाददाता ने बताया है कि सम्मेलन में भाग लेने आए लगभग एक लाख लोगों से जकार्ता का स्टेडियम ख़चाखच भरा हुआ था. और इसमें आश्चर्यजनक तरीके से सबसे ज़्यादा भागीदारी महिलाओं की थी.
संवाददाता के मुताबिक़ सम्मेलन में जमा लोगों के मुक़ाबले वक्ताओं की कमी थी. आमंत्रित किए गए कई वक्ता विभिन्न कारणों से नहीं पहुँचे.
इंडोनेशिया के मौलवी अबू बासिर को सुरक्षा कारणों से सम्मेलन में आने से रोक दिया गया था जबकि तीन बड़े राष्ट्रीय नेता भी सम्मेलन में नहीं पहुंचे.
हिज़्ब उत- तहरीर के प्रवक्ता ने कहा कि वह इन समस्याओं से निराश हैं और इंडोनेशियाई अधिकारियों ने वक्ताओं पर प्रतिबंध के कारणों को स्पष्ट भी नहीं किया है.
हिज़्ब उत- तहरीर या लिबरेशन पार्टी की स्थापना यरुशलम में 1950 में हुई थी. इसे ताकिउद्दीन नभानी नाम के एक फ़लस्तीनी धार्मिक विद्वान ने स्थापित किया था.
इस गुट की गतिविधियां मध्यपूर्व के देशों में हैं और मध्य एशिया में यह गुट काफी सक्रिय है जहां इसके कई कार्यकर्ता जेलों में बंद हैं. पश्चिमी देशों में भी इसकी उपस्थिति है. लंदन इसका मुख्य केंद्र माना जाता है.
http://www.bbc.co.uk/hindi/news/story/2007/08/070812_jakarta_caliphate.shtml
सम्मेलन में सिर्फ़ इण्डोनेशिया के ही लगभग 80 हज़ार लोग शामिल हुए मुस्लिम जगत में ख़लीफ़ा की व्यवस्था को फिर से स्थापित करने के उद्देश्य से इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में एक सम्मेलन बुलाया गया है.
दुनियाभर से 80 हज़ार मुस्लिम इसमें हिस्सा लेने के लिए जमा हुए हैं.
ख़लीफ़ा व्यवस्था 1924 तक कायम थी.
सम्मेलन को आयोजित करने वाले इस्लामिक गुट हिज़्ब उत- तहरीर ने दावा किया है कि पूरी दुनिया से आए मुस्लिमों का ये अब तक का सबसे बड़ा जमावड़ा है.
हिज़्ब उत- तहरीर के मुताबिक़ ख़लीफ़ा की व्यवस्था सरकार या शासन चलाने की एक आदर्श व्यवस्था है, और यह मानव के बनाए गए क़ानूनों के बजाय क़ुरान में बताये गये नियमों पर यकीन रखता है.
प्रतिबंध
हिज़्ब उत- तहरीर गुट मध्यपूर्व तथा पूर्वी यूरोप के कई देशों में प्रतिबंधित है और इसके कई बड़े वक्ताओं को इंडोनेशिया आने की इजाज़त नहीं दी गई है.
इस इस्लामिक गुट का कहना है कि वह अहिंसक तरीके से ख़लीफ़ा की व्यवस्था लागू करना चाहते हैं. जबकि जानकारों का मानना है कि यह एक कट्टर जेहादी गुट है.
जकार्ता में मौजूद बीबीसी संवाददाता ने बताया है कि सम्मेलन में भाग लेने आए लगभग एक लाख लोगों से जकार्ता का स्टेडियम ख़चाखच भरा हुआ था. और इसमें आश्चर्यजनक तरीके से सबसे ज़्यादा भागीदारी महिलाओं की थी.
संवाददाता के मुताबिक़ सम्मेलन में जमा लोगों के मुक़ाबले वक्ताओं की कमी थी. आमंत्रित किए गए कई वक्ता विभिन्न कारणों से नहीं पहुँचे.
इंडोनेशिया के मौलवी अबू बासिर को सुरक्षा कारणों से सम्मेलन में आने से रोक दिया गया था जबकि तीन बड़े राष्ट्रीय नेता भी सम्मेलन में नहीं पहुंचे.
हिज़्ब उत- तहरीर के प्रवक्ता ने कहा कि वह इन समस्याओं से निराश हैं और इंडोनेशियाई अधिकारियों ने वक्ताओं पर प्रतिबंध के कारणों को स्पष्ट भी नहीं किया है.
हिज़्ब उत- तहरीर या लिबरेशन पार्टी की स्थापना यरुशलम में 1950 में हुई थी. इसे ताकिउद्दीन नभानी नाम के एक फ़लस्तीनी धार्मिक विद्वान ने स्थापित किया था.
इस गुट की गतिविधियां मध्यपूर्व के देशों में हैं और मध्य एशिया में यह गुट काफी सक्रिय है जहां इसके कई कार्यकर्ता जेलों में बंद हैं. पश्चिमी देशों में भी इसकी उपस्थिति है. लंदन इसका मुख्य केंद्र माना जाता है.
http://www.bbc.co.uk/hindi/news/story/2007/08/070812_jakarta_caliphate.shtml
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