सवाल: खिलाफत मे ग़ैर-मुस्लिमों के साथ कैसा सुलूक किया जाता है?
जवाब: मश्हूर इस्लामी स्कालर इमाम क़रज़ी लिखते है “मुसलमानों की अहले ज़िम्मा (ग़ैर-मुस्लिम) की जानिब यह ज़िम्मेदारी है की उन के कमज़ोरों का ख्याल रखे, ग़रीबों की ज़रूरियात पूरी करें, भूखों के खाना खिलायें, उनको लिबास उपलब्ध कराऐं, उनसे नर्मी से मुखातिब हों और अगर वोह पडोसी हों तो उन की तकलीफ भी बरदाश्त करें अगरचे मुसलमान ग़ालिब होते है। मसलमानों का कर्तव्य है की उन के मामलात मे उन्हें बहतरीन नसीहत करें और अगर कोई उन्हें या उनके खान्दान को नुक्सान पहुंचा रहा हो, कोई उनकी दौलत लूट रहा हो, उन के अधिकारों का हनन कर रहा हो तो उसकी हिफाज़त करें।
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