अमरीकी जंग को रोको !


अमरीकी जंग को रोको ! जो मुसलमानों को मुसलमानों से लड़ा रही है!!!



7 मई को पाकिस्तान के मीडिया चैनल पर अवाम से खिताब करते हुए पाकिस्तान के वज़ीर ए आज़म यूसुफ रज़ा गीलानी ने इन अलफाज़ के साथ स्वात में जंग करने का ऐलान किया: “पाक सरज़मीन के तक़द्दुस, कौमी विक़ार की सरबुलन्दी, असकरियत पसन्दों का खात्मा करने के लिये और अवाम की सलामती को यक़ीनी बनाए रखने के लिये फौज तलब की जा रही है.....” ताहम वज़ीरे आज़म का यह क़दम पाक सरज़मीन के तक़द्दुस को बहाल करने और अवाम की सलामती को यक़ीनी बनाने के लिये नहीं बल्कि बुज़दिल अमरीका के तक़द्दुस को बहाल करने और अफग़ानिस्तान में उस की सलामती को यक़ीनी बनाने के लिये है, जो अपने नये सदर ओबामा की क़यादत में अफग़ानिस्तान के दलदल से निकलने की कोशिश कर रहा है.
अमरीका के लिये अफग़ानिस्तान को कंट्रोल में रखना उन मुजाहिदीन को कुचले बगैर मुम्किन नहीं जो अफग़ानिस्तान में अमरीकी फौज के खिलाफ लड़ रहे है. ताहम अमरीका और नाटो की बुज़दिल अफ़वाज हर किस्म का जदीद असलहा रखने के बावजूद मामूली असलहे के लैस मुट्ठी भर मुजाहिदीन का सामना करने घबराती है. दूसरी तरफ अमरीका की मईशत तमामतर इक़दामात के बावजूद ज़वाल की तरफ जा रही है, और सियासी लिहाज़ से अमरीका क़ब्ज़े और तसल्लुत की इस जंग में आलमी सतह पर अपने इत्तेहादियों की भरपूर हिमायत से महरूम हो चुका है, जबकि चीन जैसे मुमालिक खुल्लम खुल्ला अमरीका की मौजूदगी पर अपने शुबह का इज़हार कर रहे है. पस इस सूरते हाल में अमरीका अफग़ानिस्तान की सूरतेहाल से निपटने की सलाहियत नहीं रखता.
यही वजह है की अमरीका चाहता है की पाकिस्तानी फौज इस दलदल से निकलने में उसकी मदद करे, और पाकिस्तानी फौज अमरीका के साथ मिल कर क़ब्ज़े और तसल्लुत को बरक़रार रखने की इस जंग में पूरी तुन्दही से लडे. अमरीका इस बात से बखूबी वाक़िफ है की पाकिस्तान के मुसलमान, जो अमरीका से सख्त नफरत करते है और खित्ते में अमरीका की मौजूदगी को एक लम्हे के लिये भी क़ुबूल करने पर राज़ी नहीं, वो अपनी फौज को इस जंग में झोंकने पर हर गिज़ तैयार नहीं और खुद पाकिस्तानी फौज में भी अमरीका की इस जंग के खिलाफ राय आम्मा पाइ जाती है. यह सूरते हाल पाकिस्तान की असकरी मदद हासिल करने में एक बडी रुकावट है. पस अमरीका के लिये ज़रूरी था के अन्दर एक इंतेशार और खौफ को पैदा किया जाये, जिसे बुनियाद बना कर पाकिस्तान के अन्दर ही फौजी ऑपरेशंस किये जायें, ताके एक तरफ तो इन मुजाहिदीन को मसरुफ किया जा सके, जो अफग़ानिस्तान में अमरीका के खिलाफ जिहाद करना चाहते है, पस वोह अपने असली दुश्मन अमरीका को नज़र अन्दाज़ करके अपने हथियारों का रुख पाक फौज में मौजूद अपने ही मुसलमान भाईयों के खिलाफ कर लें और दूसरी तरफ पाकिस्तान के अवाम की नज़र से इस बात को औझल किया जाये के खित्ते का असल मसला अफग़ानिस्तान पर अमरीका का नाजायज़ क़ब्ज़ा है, और पाकिस्तान की हुकूमत इस क़ब्ज़े को बरक़रार रखने में मदद के तौर पर अफग़ानिस्तान में मौजूद अमरीकी और नैटो अफवाज को असलहा, खुराक़, और आलात के लिये मुसलसल राहदारी फराहम कर रही है. नैज़ पाकिस्तान ने अपनी फौज को हज़ारों की तादाद में पाक-अफग़ान सरहद पर तैनात कर रखा है ताकि अफग़ानिस्तान में अमरीका और नैटो को पाकिस्तानी मुसलमानों के असकरी हमलों से महफूज़ बनाया जाए.
यह है इन फौजी कार्यवाहियों की हक़ीक़त जो पाकिस्तानी हुकूमत ने पहले पहल क़बाईली इलाक़ो में शुरू की और फिर इसे सूबे सरहद के शहरों और तक फैला दिया. जिस के नतीजे में लाखो लोग बेघर हो चुके है. इफ्फत मआब औरते खुले आसमान तले दिन गुज़ार रही है. बूढे और बच्चे करबो तकलीफ से दो-चार है, खानदान के खानदान कसमपुरसी के आलम में घिरे हुए है. घर, बाज़ार, स्कूल, दुकाने मलबे के ढेर में तबदील हो चुके है और मुसलमानों का खून बदरीग बह रहा है.
पाकिस्तान की फौज का अपने ही भाईयों के खिलाफ मुहाज़ में उतारने के साथ-साथ हुकूमत ने एक खबीस प्रोपगंडा शुरु किया है ताकि लोग सूरते हाल को उस आईने में देखना शुरु कर दें. जो हुकूमती इक़दाम को इन के लिये क़ाबिले क़ुबूल बना देता है. पस हुकूमत लाल मस्जिद के वाक़िये से तजुर्बा हासिल करते हुए फूंक फूंक कर क़दम उठा रही है. और एक मुनज़्ज़म मीडिया मुहिम के ज़रिये कोशिश कर रही है के पाकिस्तान की अवाम की राय को इस फौजी ऑपरेशंस के हक़ में किया जाए. मनावा में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में हमले, और लड़की को कोडे मारने का एक हदफ, उन फौजी ऑपरेशंस के लिये एक फज़ा तैयार करना था जिसकी मंसूबा बन्दी कई हफ्तो पहले की जा चुकी थी, और फिर वज़ीरे आज़म गिलानी ने अपनी तक़रीर में सवात में शुरु किये जाने वाले फौजी ऑपरेशन का जवाज़ पेश करते हुए कहा के यह लोग हुकूमत की रिट को चैलेंज कर रहे थे, जिस की कोई हुकूमत कभी भी इजाज़त नहीं दे सकती. पाकिस्तान के मुसलमान सवाल करते है की क्या पाकिस्तान की रिट उस वक्त चैलेंज नहीं होती जब अमरीका ड्रोन हमले करके वाना, वज़ीरीस्तान और बनूं में मासूम बच्चों, औरतों और बूढ़ों को हलाक कर देता है? आखिर क्यों वज़ीरे आज़म ने मिडिया में आकर इन ड्रोन हमलों के खिलाफ फौजी इक़दाम का ऐलान नहीं किया. जब की बार-बार के ऐहतिजाज के बावजूद अमरीका इन ड्रोन हमलो के ज़रिये पाकिस्तान की रिट को चैलेंज कर रहा है? और क्या खित्ते में भारत की बालादस्ती क़ायम करने का अमरीकी मंसूबा पाकिस्तान की रिट बल्के पाकिस्तान के इस्तेहकाम के लिये खतरे का बाअस नहीं, के जिस मंसूबे को पूरा करने में पाकिस्तान हुकूमत बज़ाते खुद मदद फराहम कर रही है. चुनांचे पाकिस्तान के हिलेरी किलिंटन की सरपरस्ती में वाशिंगटन में बैठ कर पाक अफग़ान ट्रांज़िट ट्रेड (transit trade), मुआहिदे की मफाहमती दस्तावेज़ पर दस्तखत किये. ट्रांज़िट ट्रेड का सियासी और मआशी फायदा सिर्फ और सिर्फ भारत को पहुंचेगा. इसके अलावा वज़ीरे आज़म गीलानी ने स्वात की औरतों की इज़्ज़त की हिफाज़त फौजी ऑपरेशन के लिये जवाज़ के तौर पर पेश किया. लेकिन वज़ीरे आज़म गीलानी को पाकिस्तान की मुसलमान बेटी डॉ. आफिया सिद्दीक़ी की इज़्ज़त की हिफाज़त की फिक्र क्यों नहीं है. जो अमरीका में क़ैद है और उसके बच्चे अभी तक लापता है. बल्कि गिलानी हुकूमत ने तो ओबामा और उसकी इंतेज़ामिया से हालिया मुलाक़ात के दौरान ज़मीनी तौर पर भी डॉ. आफिया सिद्दीक़ी का ज़िक्र करना भी पसन्द नहीं किया.
ऐ मुसलमानों!
यह हुक्मरान महज़ झूठे है और इस्लाम और उम्मते मुस्लिमा के साथ खयानत कर रहे है. इनका तमाम तर इख़्लास अपने इक़्तेदार की बक़ा के लिये इस्तेमारी () कुफ्फार के मफादात को पूरा करना है. यह हुक्मरान अमरीका को बचाने कि खातिर मुसलमानों को मुसलमानों के खिलाफ लड़ा रहे है. अगरचे अल्लाह तआला क़ुरआन में इरशाद फरमाता है “जो कोई किसी मुस्लिम को क़सदन क़त्ल कर डाले, उसकी सज़ा जहन्नुम है, जिस में वोह हमेशा रहेगा. इस पर अल्लाह तआला का ग़ज़ब है, और इस पर अल्लाह तआला की लानत है और अल्लाह ने इसके लिये अज़ीम अज़ाब तैयार कर रखा है. (तर्जुमा मआनीए क़ुरआने करीम, सूरह निसा, आयत: 93) और रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने फरमाया “मुसलमान को गाली देना फिस्क़ है और उसे क़त्ल करना कुफ्र”. (बुखारी और मुस्लिम)
और रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने फरमाया: “जब दो मुसलमान एक दूसरे से लडते है, तो क़ातिल और मक़तूल दोनो जहन्नुम की आग में है. सहाबा (رضی اللہ عنھم) ने पूछा की क़ातिल के मुताल्लिक़ ऐसा है लेकिन मक़्तूल क्यों जहन्नुम में जाएगा. आप (صلى الله عليه وسلم) ने जवाब दिया इस लिये के वोह भी अपने मुसलमान भाई को क़त्ल करना चाहता था. (बुखारी)
इन हुक्मरानों की खबासत तो इस हद तक बढ चुकी है के वो अमरीका की इस जंग के खातिर पाकिस्तान के मुसलमानों के माबेन फिरक़ावारियत की आग को भडकाने की कोशिश कर रहे है. जब के इस से क़ब्ल अमरीका ने इराक़ में भी यह हरबा इस्तेमाल किया था. जहां इसने शिया और सुन्नी मसअले को भडका कर के अपने क़दम मज़बूत बनाने की राह हमवार की थी. अल्लाह इन हुक्मरानों को तबाह करे! यह कुफ्फार को खुश करने के लिये किस हद तक जाने के लिये तैय्यार है. इन हुक्मरानों की हक़ीक़त वही है जो रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने बयान की है, और हर मुसलमान को इनकी बातों और आमाल से खबरदार रहना चाहिये, आप (صلى الله عليه وسلم) ने फरमाया: “ आल्लाह तुम्हें अहमक़ लोगों की कियादत से अपनी पनाह में रखे. एक शख्स ने कहा कौन लोग अहमक़ कियादत होंगे? आप (صلى الله عليه وسلم) ने फरमाया: वो हुक्मरान जो उस वक्त आऐगें जब मैं न होगांम वो न तो मेरी हिदायत की परवाह करेंगे और न ही मेरी सुन्नत पर अमल करेंगे. चुनांचे जिस किसी ने उन (अहमक़ लोगों) के झूठ की ताईद की और उनके ज़ुल्म में उनकी मदद की वों मुझसे नहीं है और न ही में उनमे से हूँ. और उन्हें क़यामत के रोज़ मेरे हौज़े कौसर पर आने की इजाज़त न होगी. और जिस किसी ने न तो उनके झूठ को माना और न ही उनके ज़ुल्म में उनकी मदद की वो मुझ में से है और में उनमे से हूं और वो (क़यामत के रोज़) हौज़े कौसर पर मुझ से मुलाक़ात करेंगे.” (मसनद अहमद)
और न ही इन हुक्मरानों को इन “मोहज़्ज़ब” अमरीकियों से मुलाक़ात करने में घिन आती है, जिन्हें देख कर फिरओन भी शरमा जाये. अमरीका के क़ायम करदा अक़ूबत खानो में मुसलमान मर्दों और औरतों को बरहना करके एक दूसरे के उपर ढेर कर दिया गया, क़ुरआने करीम को निजासत में फैंका गया, कैदियों के मुंह को बैतुल खलाह के फलैश में डाल कर टंकी को चलाया गया, उन्हें बिजली के झटके लगाये गये. इन सब वहशियाना सज़ाओं के बावजूद इन हुक्मरानों के नज़दीक अमरीका तहज़ीब के आला तरीन दर्जों पर फाइज़ है. और यह हुक्मरान अमरीकी ओहदेदारो से मुलाक़ात करने को अपने लिये इज़्ज़त और शर्फ का बाईस समझते है. और दुनिया में इन हुक्मरानों के नज़दीक कोई चीज़ बुरी है तो इस्लाम की सज़ाऐं और क़ुरआन के अहकामात हैं!
ऐ मुसलमानों! आप किस तरह खामोश रह सकते है, जब आप की आँखों के सामने पाकिस्तानी एयरफोर्स में मौजूद आपके बेटे अपने ही मुसलमान भाइयों पर बम्बारी कर रहे है. उठो! और इस फौजी ऑपरेशन को रोकने के लिये अहले खिलाफत के साथ मिल कर मुतहर्रिक़ हो जाओ. अल्लाह ने इस ज़ुल्म और अज़ीम खयानत पर हुक्मरानों के खिलाफ खड़ा होने को आप पर फर्ज़ किया ह, रसूल अल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने फरमाया “अल्लाह की क़सम! तुम ज़रुर नेकी का हुक्म दो और बुराई से मना करो, और ज़ुल्म के हाथ को पकडो और इसे हक़ की तरफ मोडो और इसे हक़ पर क़ायम रखो, वरना अल्लाह तुम्हारे क़ल्बो को आपस में टकराएगा और तुम पर इसी तरह लानत करेगा जैसे बनी इसराईल पर की”. (अबू-दाउद)
ऐ उलमा-ए-मुसलमान: लाल मस्जिद के सानिहे के मौके पर आपने नीम दिलाना तरज़े अमल इख्तियार किया और मुशर्रफ पाकिस्तान के दारुल हुकूमत के वस्त में मस्जिद और मदरसे में मौजूद बापर्दा ख़वातीन और बच्चों के ख़ून की होली खेलने में कामयाब हो गया. इस सानिहे का ग़म आज भी पाकिस्तान की आवाम के सिने में ताज़ा है. आज यह जम्हूरी हुक्मरान स्वात और क़बाईली इलाक़ो में अमरीका के इशारे पर ऐसी कई लाल मस्जिद जैसे वाक़ये पेश करने जा रहे है. तो क्या आप अब भी नहीं उठेंगे और इन हुक्मरानों को इस खूनी खेल से नहीं रोकेंगे. उठो! और अपने तालिबे इल्मो को मदरसों से बाहर निकालो और इन हुक्मरानों के ऐवानों का रुख करो, इस से क़ब्ल के अमरीका अफग़ानिस्तान और क़बाईली व सरहदी इलाक़ो से मस्जिदों और मदरसों का वुजूद खत्म करदे.
ऐ मुसलमानों कि सियासी जमाअतों! आपका दावा है की आपकी काम लोगों के उमूर की देख-भाल है. और आपकी आँखों के सामने मुसलमानों को मुसलमानों के खिलाफ लडाया जा रहा है, तो क्या आप में कोई मुख्लिस शख्स मौजूद है जो आगे बढ़ कर इन हुक्मरानों का मुहासिबा करे जैसा की मुहासिबा करने का हक़ है, और इनका हाथ पकड़े. अगर आप ने ऐसा न किया तो कही ऐसा न हो कि क़यामत के दिन अल्लाह आपको भी इन हुक्मरानों के साथ ज़ालिमों की सफ़ में खड़ा कर दे. रसूल अल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने इरशाद फरमाया: “बेशक अल्लाह तआला चन्द मख़सूस लोगों के बुरे आमाल की वजह से सब लोगों को सज़ा नहीं देता, जब तक की वोह अपने दर्मियान मुंकर देखे और इसे मना करने की क़ुदरत रखने के बावजूद मना न करें. पस जब उन्होने ऐसा किया तो अल्लाह तआला दोनों को अज़ाब देगा. (मसनद अहमद)
ऐ अफवाजे मुसलमान! क्या आप यह आरज़ू नहीं करते के आपका लहू अल्लाह की राह में अल्लाह के दीन को सरबुलन्द करने के लिये इस्तेमाल हो, न के इसे इस खित्ते के मुसलमानों के सरों पर अमरीकी राज को बरक़रार रखने के लिये इस्तेमाल किया जाये. आखिर कब तक यह हुक्मरान आप को अमरीका की इस जंग के लिये इंधन के तौर पर इस्तेमाल करते रहेंगे. इन हुक्मरानों को अपनी गर्दन से उतार फैंको और इस खिलाफत के क़याम कि लिये अहले खिलाफत को मदद दें जो आपको इस ज़िल्लत आमेज सूरते हाल से निजात दिलाएगी.

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7 comments :

रंजीत/ Ranjit said...

ek dam sahi aaklan. America aaj dunia ke kodhn kaa khaaj ban gaya hai,vidambanaa yah hai kee ham unke jaal me jaanbujhkar phaste rahte hain.
Ranjit

Anonymous said...

If you are a True Indian, then why do you have problem in this instance. Let be US do what he want to do and let PAK do whatever he wants to do, why U are worried? If you are an Indian U shuod be happy... but I think you are Pakistani...

response said...

aapka kam acha ha

Khilafat.Hindi said...

It is not to do with nationalism or whether one is Pakistani or Indian, it is rather to be aware of the same fate that imperialist nation imposed upon all.
The issue of enemity between Pakistan and Indian has been originated and exacerberated by the secularist ideology. Did Pakistan was not a part of India for thousand years under Khilafah system and under roof of which Muslims and Non-Muslim were living in peace and Harmony.
The emotions that we have made to believe (i.e. nationalism) as the truth is the outcome of Divide and Rule of Secular Capitalist ideology which has failed in all aspect to solve the problems of mankind. India and Pakistan is also doomed because of the adoption of this system which they inherited from British (Secularist ideologues). The only solution remained for the mankind is the Khilafah system to establish peace and justice as was in the past.

Mohammad Amjad said...

there are many mistakes in your website pls. re read your blog
'Khilafa Kya hai' there are many spelling mistake. pls correct them they are on Prophet Mohammad (PBUH).
when first i read it i thought that this will be a non-muslim blog
pleassssssssssssssssssssssssss
correct.........it.
thank you

Khilafat.Hindi said...

JazakAllah for your response. Please specify a few mistakes so that I can correct them. there is some problem in the web template which reversed the direction of the script in the old posts.

Starz said...

Anonymous ka na koi naam na pehchaan na uski baaton mein dam...inn janaab ki baat itni hi bejaan aur tarkheen hai ya kahna chahiye bachkaani hai jaisey ek parindaa aankhein meench kar ye farz karey ki raat ho gayi aur billi ab ussey nahi dekh paayegi...wah miyan wah jago baaboo...yahan baat India aur Pakistaan ki nahi ho rahi hai baat ho rahi hai Adlon Insaaf ki...

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इस्लामी एक मब्दा (ideology) है जिस से एक निज़ाम फूटता है. सियासत इस्लाम का नागुज़ीर हिस्सा है.

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अल्लाह के रसूल (صلى الله عليه وسلم) की मदीने की जानिब हिजरत का मक़सद पहली इस्लामी रियासत का क़याम था जिसके तहत इस्लाम का जामे और हमागीर निफाज़ मुमकिन हो सका.

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इस्लाम एक मुकम्म जीवन व्यवस्था है जो ज़िंदगी के सम्पूर्ण क्षेत्र को अपने अंदर समाये हुए है. इस्लामी रियासत का 1350 साल का इतिहास इस बात का साक्षी है. इस्लामी रियासत की गैर-मौजूदगी मे भी मुसलमान अपना सब कुछ क़ुर्बान करके भी इस्लामी तहज़ीब के मामले मे समझौता नही करना चाहते. यह इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी की खुली हुई निशानी है.