पी आर न: १००३९
तारीख मंगल 25 रजब, 1431 हिजरी
6/07/2010
प्रेस स्टेटमेंट
हिज़्बुत्तहरीर एक राजनैतिक संघठन है, इसका हिंसा से कोई सम्बन्ध नहीं है
हिज़्बुत्तहरीर खिलाफत की स्थापना के लिये अहिंसावादी संधर्ष जारी रखेगी
एक बार फिर हिज़्बुत्तहरीर का नाम दूसरे हिंसावादी संघठनों के साथ प्रकाशित किया जा रहा है और प्रशासनिक संस्थान यह साबित करने की कोशिश कर रहें है की हिज़्बुत्तहरीर दूसरे संघठनों की तरह कोई हिंसावादी संघठन है. और उसे दहशतगर्दी के साथ जोडने की नाकाम कोशिश की जा रही है. इस अमरीकी चाल मे पंजाब राज्य की सरकार केन्द्रिय सरकार के साथ कन्धे से कन्धा मिला कर चलती हुई नज़र आ रही है. हिज़्बुत्तहरीर इस घटिया कोशिश की शदीद मज़म्मत करती है और इस अज़्म को दोहराती है की इस किस्म के इल्ज़ामात हिज़्बुत्तहरीर को खिलाफत के स्थापना के लिये अपने अहिंसावादी संघर्ष से नहीं रोक सकेंगे. हिज़्बुत्तहरीर पर पाबन्दी की रिट हाईकोर्ट मे गुज़िश्ता चार साल से ठंडे बस्ते मे पडा हुआ है और इस पर कोई कार्यवाही नही की जा रही है. “स्वतंत्र न्यायलय” के लिये यह रिट एक चेलेंज की हैसियत रखती है.
अमरीकी गुलामी मे नाम पाने वाली मुशर्रफ सरकार से पंजाब की “लोकतांत्रिक सरकार” किसी भी तरह से पीछे नही रही। बल्कि दहशत गर्दी के नाम पर जारी इस्लाम विरोधी पॉलिसीयों मे वोह ज़रदारी जैसे ऐजेंटो की मुकम्मल दोस्त है.
आज पंजाब सरकार केन्द्रिय सरकार की तरह उसी काफिर अमरीका के इशारों पर नाच रही है जो इस खित्ते मे इस्लामे को मिटाने के लिये दिन रात एक किये हुए है.
लाहौर बम दमाके के फौरन बाद, जैसा की हमने उम्मत को अगाह किया था, सरकार इस्लामी संघठनों और मदरसों के खिलाफ ओपरेशन शुरू करने के लिये कमरबस्ता हो गई गोया की वोह इसी धमाके का इंतेज़ार कर रही थी। यह उसी पॉलिसी का सिलसिला है जो अमरीका ने इस क्षेत्र के लिये 9/11 के बाद तैयार की थी. इस पॉलिसी के अनुसार उन तमाम तत्वों को कुचलना ज़रूरी था जो अमरीकी क़ब्ज़े और जनता को सेक्यूलर बनाने मे किसी भी किस्म की रूकावटे डाल सकते है. इस लिये जिहाद के मतवालों और इस कुफ्रिया निज़ाम के खिलाफ संघर्ष करने वाली अहिंसावादी संघठन, दोनों को दहशतगर्द करार दे कर उम्मत से काटने और फिर उन्हे क्रश करने की कोशिश शुरू हो गई. यही नही बल्कि तालीमी इदारों मे पाठ्यक्रम को और अधिक सेक्यूलर बनाया गया और मदरसा सुधार के नाम पर उनका पाठ्यक्रम भी बदलने की कोशिश की गई.
क़बाईली इलाकों मे उन लोगों के कुचलने के बाद जो अमरीका का विरोध करने का सामर्थ रखते थे, अब अमरीकी पंजाब का रूख करना चाहता है और पंजाब सरकार इसमे उनका मुकम्मल साथ दे रही है। इसके अलावा प्रशासन हिज़्बुत्तहरीर को भी हिन्सावादी संघठन साबित करने की कोशिश कर रहा है क्योकि वोह जानते है की हिज़्बुत्तहरीर ही वोह संघठन है जो अमरीकी साज़िशों का भांडा जनता के सामने फोड सकती है और कुफ्रिया पूंजीवादी व्यव्स्था को उखाड कर खिलाफते राशिदा की व्यवस्था की स्थापना करने का सामर्थ रखती है. यह है वोह अमरीकी योजना जिसको कार्यांवित करने के लिये अमरीकी ऐजेंसिया जगह जगह बम धमाके करवा कर सरकार के द्वारा फौजी ऑपरेशन करने के लिये औचित्य पैदा कर रही है. पाकिस्तान मे फैली यह दहशतगर्दी अमरीका के देश मे आने से शुरू हुई और यह अमरीका के निकल जाने के बाद ही खत्म होगा. इस हकीकत मे उम्मत को कोई शक नहीं! सरकार इस ज़रूरी कर्तव्य से अपना दामन छुडा रही है, चुनाचे यह ज़िम्मेदारी जनता और अहले ताक़त को अपने सर लेंनी होगी.
उम्मत को चाहिए की वोह अमरीकी सप्लाई को शांति पूर्वक तरीके से रोके चाहे इसके लिये उन्हें जी।टी। रोड ब्लोक करनी पडे या टेंकर मालिकों का सामाजिक बॉयकॉट करना पडे। अमरीकी सप्लाई ही वोह खून की रग है जिसको काट कर अमरीका को इस खित्ते से निकाला जा सकता है।
नवेद बट
पाकिस्तान मे हिज़्बुत्तहरीर के प्रवक्ता
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