इस्लामी तालीमी पालिसी
1. तालीम का बुनियादी मक़सद इस्लामी शख्सियत पैदा करना और तालिबे इल्म को ज़िन्दगी के मसाईल को मुताल्लिक़ उलूम और मारिफ से लैस करना है.
2. प्राईमरी और सेकंड्री स्कूल तक तालीम मुफ्त फराहम करना रियासत की ज़िम्मेदारी होगी. नैज़ यह तमाम पर लाज़मी भी होगी.
3. हर मर्द और औरत पर यह फर्ज़ है की वोह रोज़मर्राह की ज़िन्दगी के मुताल्लिक़ शरई अहकामात का खातिर ख्वाह इल्म रखता हो.
4. पूरी रियासत मे तालीमी निसाब एक ही होगा और प्राईवेट तालिमी इदारो या मदारिस को रियासत के निसाब के अलावा किसी और निसाब को अपनाने की इजाज़त नही होगी. चुनाचे आग़ाख़ान फाउन्डेशन और इन जैसे दूसरे इदारो के मग़रिबी कुफ्रिया निसाब पढाने की हरगिज़ इजाज़त नही होगी.
5. किसी भी गैर-मुल्कि स्कूल की इजाज़त नहीं होगी.
6. मख़लूत तालीम की इजाज़त नही होगी. सिवऐ ब-सूरते मजबूरी अगर आला तालीमी शोबे बनाने के लिए रियासत के पास फंड न हो.
7. साईंस और टेकनालोजी और उनके समरात गैर-मुस्लिमो से भी अख़ज़ किये जा सकते है, मसलन असलहा, खलाई टेकनालोजी, टी.वी., डी.वी.डी. इंटरनेट, पौधो और जानवरों का क्लोनिंग वगैराह. लेकिन वोह मज़ामीन जो मग़रिबी सक़ाफत और उनके नज़रियात मसलन डारविनिज़म वगैराह को फरोग़ दें, उन की प्राईमरी और सेकंडरी दरजात मे तदरीस की इजाज़त नही होगी. ताहम यह मौज़ूआत मय उनके रद्द के, आला तालीमी इदारों मे पढाऐ जाऐगें.
8. इल्म के छुपाने की इजाज़त नही होती. चुनाचे कॉपी राईट्स या इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी राईट्स के सरमायादाराना क़वानीन की कोई गुंजाईश नही होगी जिनका मक़सद बडा मुनाफा बनाने के अलावा दिगर अक़वाम को सांईसी मैदान मे पसमान्दा रखना होता है. साईंस और टेकनालोजी पर ग़ासिबाना तसल्लुत क़ायम रखने के लिये मग़रिब ने WTO के नाम पर जो क़वानीन मुतारिर्फ करवाऐ हैं उन्हें रियासत किसी भी तौर पर क़ुबूल नही करेगी. लिहाज़ा अदवियात, बीज, मशीनरी, और दिगर टेकनलोजी वगैराह निहायत सस्ते दामो मे मयस्सर होंगे और अवामुन्नास इन समरात के बखूबी फाईदा उठा सकेंगे.
9. दिफाई और भारी सनअत की तरक्क़ी को तरजीही बुनियादों पर इस्तेवार किया जाऐगा. नेज़ यहॉ पर होने वाली तहक़ीक़ को दिगर इंडस्ट्रीज़ के साथ मरबूत किया जाऐगा ताकि तहक़ीक़ के फवाहिद आम आदमी तक पहुंच सके.
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