खारजा पालिसी
1. इस्लाम की दावत और उसके निज़ामो का फरोग खारजा पोलिसी की बुनियाद और असास होती है. जिसका अमली तरीक़ा दावत और जिहाद होगा ताके इंसानियत को इस्तेमारी निज़ाम के ज़ुल्म से निजात दिलाइ जा सके.
2. रियासत को किसी भी ऐसे बैनुल अक़वामी इदारे का हिस्सा बनने की इजाज़त नहीं होगी जिसमें गलबा और मजमूई इख्तियार कुफ्फारों के पास हो मस्लन, अक़वामे मुत्तहिदा, नेटो, WTO, वगैरा.
3. मुस्लिम इलाक़ो मे क़ायम गैर शरई रियासतो के साथ सिफारती ताल्लुक़ात क़ायम करने की इजाज़त नहीं होगी. इन इलाक़ो को खिलाफत मे ज़म करने के लिए रियासत पुरअमन ज़राए इस्तेमाल करने कि हर मुम्किन कोशिश करेगी ताहम ज़रुरत पडने पर अस्करी ज़राए भी इस्तेमाल किये जा सकते हैं.
4. वोह ममालिक जो मुसलमानो के खिलाफ अमलन बरसरे पैकार हैं मसलन इसराईल, अमरीका, बरतानिया हिन्दुस्तान वगैराह के साथ किसी किस्म के सिफारती ताल्लुक़ात नही होंगे. इन ममालिको के साथ हालते जंग के शरई क़वानीन लागू होंगे.
5. दिगर गैर-मुस्लिम रियासतो से महदूद मुद्दत के मुआहिदे करके सिफारती ताल्लुक़ात क़ायम किये जाएगें ताकि इन के साथ मिल कर बडे सियासी हरीफ के खिलाफ सियासी और इक़्तसादी ब्लोक बनाया जा सके.
6. मुआहिद रियासतों के साथ दो तरफा तिजारत और साईसं और टेकनोलोजी के फरोग के लिये राबते बढाए जाएगे ताके रियासत को हर शोबे मे खुद किफालत से हमकिनार किया जा सके.
7. खिलाफत मुसलमानो के वसाईल और फौजो को मुत्तहिद करते हुए कश्मीर, फीलिस्तीन, ईराक़, अफगानिस्तान, और दिगर मुस्लिम मक़बूज़ा ईलाक़ो को बज़रिये जिहाद हुर्रीयत दिलाएगी.
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