खिलाफत क्या है? (मुआशारती निज़ाम)



मुआशारती निज़ाम

1. इफ्फत और अज़मत की हिफाज़त को बुनियादी हैसियत हासिल है. चुनाचे मर्द और औरत पर तोहमत लगाने वाले को सख्त सज़ा दी जाएगी. नैज़ तमाम तमद्दुनी पहलुओं, यानि लिबास की तराश खराश, इमारतो की तामीर वगैराह मे इसी बुनियाद को मलहूज़ रखा जोएगा. चुनाचे मुस्लिम और गैर-मुस्लिम औरतें चहरे और हाथों के अलावा जिस्म का कोई हिस्सा बरहना करके बाहर नही आ सकेगी. इसी तरह मर्दों को भी अपने सतर ढांक कर बाहर निकलना होगा.
2. नान नक़फे की ज़िम्मेदारी मर्द की है. बच्चों और घर की देख-भाल औरत की अव्वलीन ज़िम्मेदारी है.
3. औरत के भी वही हुक़ूक़ और फराईज़ है जो मर्दों के हैं सिवाए उनके जो इस्लाम ने ब-हैसियते औरत उसके साथ मखसूस कर दिये है. चुनाचे औरत तिजारत, ज़राअत, तदरीस, तिब, सनअत व हुरफत, सियासत वगैराह मे अपना मुस्बत किरदार अदा कर सकती है बशरते उसकी अव्वलीन ज़िम्मेदारी मुतास्सिर नहीं होती हो.
4. औरत तमाम हुकूमती ओहदो पर फाईज़ हो सकती है सिवाए खलीफा, महकमातुल मज़ालिम के क़ाज़ी, वाली (गवर्नर), आमिल और ऐसे ओहदे के, जो बराहे रास्त हुक्मरानी के ज़ुमरे मे आता हो.
5. औरत और मर्दो की जिंसियत को पैसे कमाने के लिये ईस्तेमाल करने की इजाज़त नही होगी. चुनाचे वोह तमाम पैशे रख्नने की इजाज़त नही होगी जो औरत और मर्द की जिंसियत को इस्तेमाल करते हैं.
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