महकमा-ऐ-खज़ाना
(Department of Treasury)
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खलीफा इस महकमे का सरबराह मुंतखिब करेगा जिस का एक हेडक्वाटर होगा जिस को बैतुलमाल कहेंगे। यह मकमा फौज और हुकूमती मुलाज़ीमीन के खरचे का इंतेज़ाम करने का ज़िम्मेदार है. इस के अलावा उन लोगों की माली इमदाद करना जो की अपनी ज़िम्मेदारी की वजह से कारोबार नहीं कर सकते जो बैरूने मुल्क बेरूने मुल्क इस्लाम का पैग़ाम पहुंचाने के ज़िम्मेदार है और सिफारतकार है. यह महकमा मशीनों की तैय्यारी और असलहे साज़ी के प्रोग्राम के आग़ाज़ के लिये दरकार फंड का भी इंतेज़ाम करेगा. शुरू में उन्ही फ़ंड्ज़ पर इक्तिफा किया जायेगा जो पिछली हुकूमत के खज़ाने में मौजूद है और वोह सूद का पैसा जो की बैंकों और अवामी कम्पनियों से ज़ब्त किया जाऐगा और वोह पैसा जो के उस नफअ से हासिल किया जाऐगा जो की ऐसी कम्पनियों और महकमों ने कमाया जो के निजी मिल्कियत में से नहीं हो सकते मसलन तेल की कम्पंनिया, सीमेंट और कानकनी की कम्पनियां और फंड जो पुराने हुक्मरानों, इंशोरेंस कम्पनियों और अवामी जायदाद से हासिल होगा. अमीर अफराद पर ज़रूरत के मुताबिक़ टैक्स लगाया जायेगा. यह टेक्स सिर्फ मुसलमान शहरियों से लिया जायेगा न कि ग़ैर-मुस्लिम शहरियों से. एक अलग सेंटर क़ायम किया जायेगा जो के नये सोने और चान्दी से सिक्को का इजरा करेगा, बेरूनी ममालिकों से सोना खरीदा जायेगा और उसको खज़ाने में जमा किया जाएगा. इसके मुतबादिल नोट और सिक्के जारी किये जायेंगे, पुराने नोट और सिक्कों की क़िमत में कोई कमी नहीं होगी बल्कि उनकी जगह नये नोट और सिक्के जारी किये जायेंगे ताकि करंसी का सोना किसी और मक़सद के लिये इस्तेमाल ना हो सके क्योंकि यह उम्मत और रियासत की मिल्कियत है, जैसा की रियासत की मज़बूती का इन्हेसार उस की मईशत इस लिये बैतुलमाल को कभी भी मुकम्मल खाली नहीं होने दिया जायेगा जैसा की इमाम अली (रज़िअल्लाहो अन्हु) के ज़माने में था. माल का इजरा बैतुलमाल की आमदनी के लिहाज़ से किया जायेगा.
इस महकमे का एक हिस्सा ओक़ाफ के माली उमूर सम्भालेगा जैसा की जायदाद और इमारत वग़ैराह। मौजूदा वज़ारते माली उमूर के कुछ हिस्से खत्म कर दिये जायेंगे जैसे की पेंशन और सोशियत सिक्यूरिटी जिस से काफी तादाद में मुलाज़ीमीन में कमी आयेगी, खास तौर पर वोह जो की मरकज़ी बैंक में काम करते है.स्टेट बैंक क़ायम किया जायेगा. किसी और बेंक को काम करने की इजाज़त नहीं होगी. यह बैंक शरीअत के मुताबिक़ शरीअत के मुताबिक़ लोगों को पैसे फराहम करेगा. इस का मक़सद बैरूनी तिजारत और दरआमद की होंसला अफज़ाई है. बजट भी शरीअत के क़वानीन की रोशनी में मुरत्तिब किया जायेगा.
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