इदारा बराऐ अदालती उमूर
(Judiciary)
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खलीफा मौजूद वज़ारते इंसाफ और उसके मातेहत इदारों के खत्म करके उनकी जगह एक नया इदारा क़ायम करेगा जिस के तहत तीन महकमे होंगे:
अदालते मज़ालिम
क़ाज़ी आम
क़ाज़ी हिसबा (मोहतसिब)
खलीफा इस इदारे का सरबराह (चीफ जस्टिस) मुकर्रर करेगा जिस के पास जजों की नफरी का इख्तियार होगा। इस सिलसिले में इक़दामात फौरन किये जायेंगे, लोगों के तनाज़ात हल करने के लिये शुरू में फिक़ की कोई किताब इख्तियार की जायेगी, जैसे की इमाम सरखोसी की अल-मलबूसात जिस का ताल्लुक़ हनफी मसलक से है या फिर इब्ने क़ुदामा की अल-मुग़नी जिस का ताल्लुक़ हम्बली मसलक से है. यह उस वक़्त तक होगा जब तक जजों के लिये तनाज़ात के फैसले के ताल्लुक़ से एक जामेअ क़ानून न मुरत्तिब कर लिया जाये. मौजूदा जजों और वकला को अपने मंसबों से हटा दिया जायेगा क्योकिं वोह उन क़वानीन में फैसला करते है जो इस्लाम से नहीं है. इन क़वानीन में कोई इंसाफ या नेकी नहीं पाई जाती और उन लोगों के पास फिक़ का इल्म मौजूद नहीं जिस के मुताबिक़ यह सही फैसला दे सकें.
चूंकि इस्लाम में क़ाज़ी का फैसला तबदीली के लिये बग़ौर नहीं लाया जा सकता इस लिये अपील की अदालतें और हाई कोर्ट वग़ैराह को खत्म कर दिया जायेगा. उन लोगों के लिये जो इन मंसूबों के ख्वाहिशम्न्द होंगे, खास कोर्सेज़ शुरू किये जायेंगे.
इस इदारे के सिलसिले में मुन्दरजा ज़ेल इक़दामात फौरन उठाये जायेंगे:
1। हर गांव और कस्बे में जजो की तक़र्रुरी की जायेगी ताकि अवाम को इंसाफ के लिये दूर तक न जाना पड़े.
2। तनाज़ात को फौरन हल किया जायेगा ताकि लोगों को फौरी इंसाफ हासिल हो सके। इंसाफी सेशन लगा कर तनाज़ात को फौरी हल किया जायेगा जब तक कोई ऐसा मसला न हो जिस के लिये ज़्यादा वक्त दरकार हो।
3। मीडिया सिर्फ अदालत की कार्यवाही को रिपोर्ट कर सकता है, किसी खास केस पर मख़सूस राय का इज़हार करने की इजाज़त नहीं होगी।
4. क़ाज़ी हिस्बा (मोहतसिब) की तादाद को ज़्यादा से ज़्यादा किया जायेगा और उन्हें तमाम इलाक़ों में फैला दिया जायेगा ताकि मौजूद ज़माने की बेईमानी, करप्शन और धोकेबाज़ी की ज़िन्दगी से अवाम को छुटकारा मिल सके. अवाम मौजूदा हालात में क़वानीन को तोडने की आदी हो चुकी है क्योंकि उन्हें इस बात का यक़ीन हो चुका है की हुकूमत उन का खून चूस रही है और उन पर कुफ्र नाफिज़ कर रही है. मुआशरे में ऐसी फिज़ा पैदा की जायेगी की अवाम अपने आमाल अल्लाह के अहकामात के मुताबिक़ करें ऐसी फिज़ा पैदा होने के बाद उन जजों की तादाद में कमी कर दी जायेगी.
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