अगर कल खिलाफत क़ायम हो जाये! (महकमा-ए-सेहत)

महकमा-ए-सेहत
(Department for Health Affairs)


खलीफा इस महकमे का सरबराह मुकर्रर करेगा. तमाम वोह कमेटियाँ और इकाईयॉ जिन की कोई खास काम नहीं खत्म दी जायेंगी. यह महकमा अपनी तमामतर तवज्जो मरीज़ों की देखभाल और नई दवाईयॉ बनाने में मरकूज़ करेगा. यह महकमा मुख्तलिफ बीमारियों के लिये इलाज दरयाफ्त करने के लिये रिसर्च की होंसला अफज़ाई करेगा. डॉक्टर्स से इंतज़ामी काम नहीं लिया जायेगा और जदीद मेडिकल अलात तमाम डॉक्टरों को मुहय्या किये जायेंगे. मुल्कि ज़रूरत की पेशे नज़र तमाम इलाक़ो में डॉक्टरों के तैनात किया जायेगा. उन की तंख्वाहों में खातिर ख्वाह इज़ाफा किया जायेगा ताकि उन को प्राईवेट क्लीनिक खोलने की ज़रूरत न पड़े. मौजूदा सूरतेहाल में हर डॉक्टर के पास इतने मरीज़ देखने के लिये होते है की वोह अपना काम सहीह तरह से अन्जाम दे सके. इस मसले को भी हल किया जायेगा.
तमाम क़सबों और देहात में डॉक्टर तैनात किये जायेंगे ताकि शहरों से मरीज़ों का बोझ कम हो सके और लोगों के देहात में सहुलियत मुहय्या हो सके. वहाँ पर भी डॉक्टरों को जदीद एक्सरे के आलात और मेडिकल लेबोरेटरियां मुहय्या की जायेगी. यह इदारा तमाम डॉक्टरों की निगरानी करेगा और इस बात को यक़ीनी बनाया जासकेगा की तमाम डॉक्टर अपना काम सहीह तरह अंजाम दें।

सरकारी अस्पतालों की तादाद में खातिर ख्वाह इज़ाफा किया जायेगा. जिहाद के वक्त में ज़ख्मियों जी तिब्बी इमदाद के लिये मेडिकल मराकिज़ क़ायम किये जायेंगे. इस्टाफ में इंसानी हमदर्दी और दिली जज़्बे को फरोग़ दिया जायेगा. इनामात और खास मुराआत के ज़रिये इस मैदान में रिसर्च करने वालों की होंसला अफज़ाई की जायेगी. यह इदारा वज़ारते तालीम के साथ मिल कर ऐसा लाइहे अमल तय करेगा की मुस्तक़बिल में इस मैदान में आने वाले तलबा को अमली तरबियत हासिल हो सके और उन की तालीम सिर्फ निसाबी तर्ज़ की न हो. मुख्तलिफ मोहलक बिमारियों से बचाओ के लिये मुल्कगीर मुहिम का भी आग़ाज़ किया जायेगा. यह इदारा बूढ़ों, मददगारों और माज़ूरों की देखभाल का भी ज़िम्मेदार होगा.
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