ख़िलाफत का संविधान: भाग - 11: बैतुलमाल और मीडिया

बैतुलमाल


(Treasury)


दफा नं. 102: बैतुलमाल का शोबा हांसिल होने वाले अमवाल और उन के तसर्रुफ का इंतेज़ाम अहकामे शरीअत के मुताबिक़ करेगा, यानी उन का जमा करना, उनकी हिफाज़त और उन्हे खर्च करना। शोबाऐ बैतुलमाल का सरबराह “खाज़िने बैतुलमाल” कहलाता है। हर विलाया में बैतुलमाल की शाखें होगी और हर शाख का सरबराह “साहिबे बैतुलमाल” कहलाऐगा।

मीडिया

Media


दफा नं. 103: मीडिया वोह शोबा है जो रियासत की मीडिया पॉलिसी वज़ेअ करता है, और उसे नाफिज़ करता है ताकि इस्लाम और मुसलमानो के मफाद को पूरा किया जाए। दाखिली तौर पर यह एक क़वी और मुत्तहिद व मरबूत इस्लामी मआशरे की तशकील करता है, जो खबासत को निकाल बहार करे और तय्यब चीज़ों को फरोग़ दे। खारजी तौर पर यह इस्लाम को अमन और जंग के दौरान इस अन्दाज़ से पेश करता है जो इस्लाम की अज़मत, उसके अद्ल, और उस की फौजी क़व्वत को ज़ाहिर करे और इंसानो के बनाऐ हुए निज़ामों के फसाद और ज़ुल्म को बयान करे और उन की अफवाज की कमज़ोरी को आशकार करे।



दफा नं. 104: वोह लोग जिन के पास रियासत की शहरियत मौजूद है, उन्हे अपना मिडिया खोलने की इजाज़त है। इस बात के लिये उन्हे रियासत की इजाज़त की ज़रुरत नहीं। बल्कि ‘इल्मो खबर’ (मीडिया के शोबे) को इत्तिला दे देना हि काफी है की वोह किस नोइयत का मीडिया खोलना चाह रहा है। इस मीडिया का मालिक और एडीटर्स इस पर नशर होने वाली हर मीडिया या खबर के ज़िम्मेदार होंगे। और रियासत के किसी भी शहरी के मानिन्द, मीडिया या नशर या शाये होने वाली किसी चीज़ के शरीअत के खिलाफ होने पर इनका भी मुहासिबा किया जायेगा।

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