ख़िलाफत का संविधान: भाग - 2: निज़ामे हुकूमत

निज़ामे हुकूमत

दफा नं. 16: हुकूमत का निज़ाम वहदत का होगा, और यह इत्तिहाद नोइयत का नहीं होगा।

दफा नं. 17: हुकूमत मरकज़ी होगी और इंतज़ामी उमूर लामरकज़ियत की बुनियाद पर होंगे।

दफा नं. 18: हुक्काम चार है: ख़लीफा, मुआविने तफवीज़, वाली और आमिल। इनके अलावा बाकी सब मुलाज़िम है, हुक्काम नहीं।

दफा नं. 19: हुकूमत या हुकूमत से मुताल्लिका उमूर जिनको हुकूमत में शुमार किया जाता है चलाने वाला सिर्फ आजाद, बालिग़, आक़िल, आदिल मर्द और मुसलमान ही हो सकता है और यह की वोह इस काम की सलाहियत रखता हो।

दफा नं. 20: हुक्काम का मुहासबा मुसलमानों का हक़ भी है और यह उन पर फर्ज़े किफाया भी है। रिआया के ग़ैर-मुस्लिम अफराद को हुक्मराँ के ज़ुल्म या इस्लामी आहकामात को ग़लत अंदाज से नाफिज़ करने की िशकायत के इज़हार का हक़ हासिल है।

दफा नं. 21: हुक्काम के मुहासबे या उम्मत के ज़रिये हुकूमत तक पहंुचने के लिये मुसलमानों को सियासी पाटियाँ बनाने की इजाज़त है, बशर्ते कि यह पाटियाँ इस्लामी अक़ीदे की बुनियाद पर हों और जिन आहकामात की इन पाटियाँ ने तबन्नी की हो वोह शरई आहकामात हों। पार्टी बनाने के लिये किसी से इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं होगी। ग़ैर-इस्लामी बुनियाद पर हर किस्म की पार्टी साजी ममून (निषेद) होगी।

दफा नं. 22: हुकूमत की यह चार बुनियादी उसूल है:

(अ) इिक्तदारे आला शरियत को हासिल होगा ना कि अवाम को।

(ब) अथोरिटी (इख्तियार) उम्मत को हासिल होगी।

(स) रियासत के लिये एक ही सरबराह (ख़लीफा) का तक़र्रुर करना मुसलमानों पर फर्ज़ है।

(द) सिर्फ रियासत का सरबराह (ख़लीफा) ही आहकामे शरिया की तबन्नी करेगा ओर वो ही दस्तूर और तमाम कवानीन मुरत्तब करेगा।

दफा नं. 23: रियासत तेराह ढांचो पर पर मुश्तमिल होगी:

(1) ख़लीफा

(2) मोआविनीन (वुज़राऐ तफवीज़) (Delegated Assistant)

(3) वुज़राए तनफीज़ (Execuation Assiatant)

(4) वाली (Governors)

(5) अमीरे जिहाद

(6) अन्दरुनी सलामती (Internal Security)

(7) ख़ारिजी उमूर (Foreign Affairs)

(8) सनअत (Industries)

(9) अदलिया (Judiciary)

(10) मफादे आम्मा की देखभाल का इंतज़ामी ढांचा

(11) बैतुलमाल (Treasury)

(12) मिडिया (Media)

(13) मजलिसे उम्मत (शूरा और मुहासिबा)

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