ख़िलाफत का संविधान: भाग - 9: खिलाफत के इंतज़ामी शोबे


शोबाऐ दाखिली अमन व सलामती


(Department of Internal and External Security)

दफा नं. 70: शोबाऐ दाखिली अमन व सलामती वोह शोबा है जो अमनो आमान से मुताल्लिक़ हर चीज़ का ज़िम्मेदार है और हर उस चीज़ को रोकने का ज़िम्मेदार है जो दाखिली अमन व सलामती के लिये खतरे का बाईस हो। अमन कि हिफाज़त पुलिस के ज़रिये की जायेगी। शोबाऐ अमन व सलामती फौज को इस मक़सद के लिये इस्तेमाल नहीं कर सकता, मासिवाऐ खलीफा उसे इस बात की इजाज़त दे। इस शोबे का सरबराह (director) ‘डारेक्टर बराऐ दाखिली अमन व सलामती’ होगा। हर सूबे में इस की शाख होगी जो ‘दाखिली अमन व सलामती का इदारा’ कहलायेगी, और उस का सरबराह साहिबे शुरता कहलाऐगा।


दफा नं. 71: पुलिस की दो क़िस्मे है: मिलिट्री पुलिस जो के अमीरे जिहाद यानी यानी शोबाऐ हरब के ताबे होगी। पुलिस की दूसरी क़िस्म जो के अमन व सलामती के तहफ्फुज़ के लिये अदलिया के हाथ में होगी, और यह ‘शोबाऐ अमन व सलामती’ के ताबे होगी। पुलिस की इन दो क़िस्मो को खास तरबियत और सक़ाफत दी जाती है ताकी वोह अपनी ज़िम्मेदारियों को अहसन तरीके से पूरा कर सकें।


दफा नं. 72: शोबाऐ दाखिली अमन व सलामती बुनियादी तौर पर जिन खतरात की रोकथाम करेगा वोह यह है: इरतिदाद, बग़ावत व हराबा, लोगों के माल व दौलत पर हमला, लोगों की जान व इज्ज़त पर दस्तदराज़ी, और उन मुश्तबा लोगों से निपटना जो हरफी कुफ्फार के लिये जासूसी करते हैं।

शोबाऐ खारजा


(Department of Foreign Affairs)


दफा नं. 73: शोबाऐ खारज़ा उन तमाम खारजी उमूर को सर अंजाम देता है, जिन का ताल्लुक़ रियासते ख़िलाफत के दिगर रियासतों के साथ ताल्लुक़ के साथ है। ख्वाह यह ताल्लुक़ात सियासी नौइयत के हो या इक़तिसादी या सनअती या ज़रई या तिजारती नौइयत के, या इन ताल्लुक़ात की नौयत मवासलाती राबते की हो, ख्वाह यह राब्ता डाक के ज़रिये हो या टेलीकम्यूनिकेशन राब्ता हो या कोई और।

शोबाऐ सनअत


(Department of Industries)


दफा नं. 74: शोबाऐ सनअत वह महकमा (department) है जो सनअत से मुताल्लिक़ तमाम उमूर का ज़िम्मेदार है ख्वाह इस का ताल्लुक़ भारी सनअत से हो जैसे इन्ज़न और आलात साज़ी, गाडियों के ढांचे, इलेक्ट्रोनिक आलात साज़ी, गाडियों के ढांचे, इलेक्ट्रोनिक आलात, और दिगर अशया की सनअत, या फिर यह हल्की (छोटी) सनअत हो। वोह कारखाने जिन का हरबी (जंगी) सनअत से ताल्लुक़ हो, इस शोबे के तहत आते है। ख्वाह उन कारखानो में तैय्यार करदा माल आम मिल्कियत से ताल्लुक़ रखता हो या इंफरादी मिल्कियत से। तमाम कारखाने जंगी पालिसी की बुनियाद पर इस्तेवार होना चाहिये।
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