अख़्लाक़े हसना (8): मामूली गुनाहों की जुर्रत करना,मालदार का किसी के हक़ को मारना,बुरी हमसायगीः

22 मामूली गुनाहों की जुर्रत करनाः


मुसनद अहमद में हज़रत सहल बिन साद (رضي الله عنه) से रिवायत है, जिसे हैसमी ने सही अलसनद और इमाम मुंज़री ने रावियों को मुहतज बताया है कहते हैं के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم)  ने फ़रमायाः
((إیاکم و محقرات الذنوب،فإنما محقرات الذنوب کمثل قوم نزلوا بطن واد،فجاء ذا بعود وجاء ذا بعود حتی حملوا ماأنضجوا بہ خبزھم،و إن محقرات الذنوب متی یوخذ بھا صاحبھا تھلکہ))

मामूली गुनाहों से बचो, मामूली गुनाहों की मिसाल एैसी है जैसे कोई क़ौम वादी के दरमियान क़ियाम करे तो एक लकड़ी लेकर आए और दूसरा दूसरी लकड़ी ले कर आए यहाँ तक वो इतना (ईंधन) जमा कर लें जिस से उनकी रोटी पक जाये। ये मामूली गुनाह हैं जब उनके साथ उनके करने वाले का मुआख़िज़ा होगा तो यह गुनाह उसे हलाक कर देंगे।

मुसनद अहमद, सुनन अन्नसाई, इब्ने माजा और इब्ने हिब्बान में हज़रत आईशा (رضي الله عنها)  से रिवायत नक़ल है जिसे अ़ल्लामा हैसमी ने सही अलसनद और इसके रिजाल को सक़ा बताया है के रसूले अकरम (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः

((إیاک ومحقرات الذنوب فإن لھا من اللّٰہ طالباً))
गुनाहे सग़ीरा से ख़बरदार! क्योंकि अल्लाह سبحانه وتعالیٰ के पास (ऐसे लोग होंगे जो इन गुनाहों का हक़) तलब करेंगे।
बुख़ारी शरीफ़ में हज़रत अनस (رضي الله عنه) से उनका क़ौल मरवी है केः

तुम लोग ऐसे काम करते हो जो तुम्हारी नज़रों में बाल से भी ज़्यादा बारीक हैं, हालाँके आँहज़रत (صلى الله عليه وسلم) के ज़माने में लोग उन्हें मोबिक़ात (कबाइर) में शुमार करते थे। अबू अ़ब्दुल्लाह (बुख़ारी) ने कहा, के मोबिक़ात से मुराद मुहलिकात (हलाक करने वाली हैं)।

23 मालदार का किसी के हक़ को मारनाः


فَاِنْ اَمِنَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا فَلْيُؤَدِّ الَّذِي اؤْتُمِنَ اَمَانَتَهٗ
फिर अगर तुम में से एक दूसरे पर एतेबार करे तो जिस पर एतेमाद किया है उसे चाहिए के अपने अमीन होने को मुहक़्क़िक़ कर दे। (तर्जुमा मआनीये क़ुरआने करीमः अल बक़रा-283)

हज़रत अबू हुरैराह (رضي الله عنه) से बुख़ारी और मुस्लिम शरीफ़ में रिवायत नक़ल है के आँहज़रत (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः

((مطل الغني ظلم،و إذا اتبع أحدکم علی مليء فلیتبع))
मालदार के लिए क़र्ज़ख़्वाह के हक़ अदा करने में ताख़ीर करना ज़ुल्म है, लिहाज़ा जब किसी का क़र्ज़ किसी मालदार के हवाले कर दिया जाये तो उसे चाहिए के वो उसे क़ुबूल कर ले।

हज़रत शरीद बिन सुवैद सक़फ़ी  (رضي الله عنه) से इब्ने हिब्बान और हाकिम में रिवायत नक़ल है जिसे उन्होंने सही बताया है जिस से अ़ल्लामा ज़ेहबी ने इत्तिफाक़ किया, नीज़ मुसनद अहमद, सुनन अबी दाऊद और इब्ने माजा में भी ये रिवायत मिलती है के हुज़ूर अक़दस (صلى الله عليه وسلم)  ने फ़रमायाः

((ليّ الواجد یحل عرضہ و عقوبتہ))
किसी मालदार का क़र्ज़ की अदायगी में टाल मटोल करना उसकी आबरूरैज़ी और उस पर सज़ा को हलाल कर देता है।
हज़रत अबूज़र (رضي الله عنه) से इब्ने ख़ुज़ैमा, इब्ने हिब्बान और हाकिम की मुस्तदरक में रिवायत नक़ल है जिसे उन्होंने सही बताया है जिस से अ़ल्लामा ज़ेहबी मुत्तफिक़ हैं, नीज़ मुसनद अहमद, सुनन नसाई और तिरमिज़ी में भी रिवायत है के नबी अकरम (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः

((ثلاثۃ یحبھم اللّٰہ و ثلاثۃ یبغضھم اللّٰہ))
तीन लोगों से अल्लाह मुहब्बत करता है और तीन लोगों से नफ़रत करता है

इसके बाद अबुज़र ने हदीस सुनाई और यहाँ तक पहूँचे :

((والثلاثۃ الذین یبغضھم اللّٰہ :الشیخ الزانی،الفقیر المختال والغني الظلوم)) तीन लोग हैं जिन से अल्लाह नफ़रत करता है एक बूढ़ा ज़िना कार, मुतकब्बिर फ़क़ीर, मालदार ज़ालिम हक़ मारने वाला।

24 बुरी हमसायगीः

बुख़ारी और मुस्लिम शरीफ़ में हज़रत अबू हुरैराह (رضي الله عنه) से रिवायत है जिसे बुख़ारी शरीफ़ में हज़रत अबी शुरेह अलक़ाबी (رضي الله عنه) से भी नक़ल किया है के रसूले अकरम (صلى الله عليه وسلم)  ने फ़रमायाः

((واللّٰہ لا یؤمن، واللّٰہ لا یؤمن،واللّٰہ لا یؤمن،قیل من یا رسول اللّٰہ؟ قال:الذي لا یأمن جارہ بوائقہ))
अल्लाह की क़सम मोमिन नहीं हो सकता, अल्लाह की क़सम मोमिन नहीं हो सकता, अल्लाह की क़सम मोमिन नहीं सकता, कहा गयाः कौन या रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم)? आप  ने फ़रमायाः
वो शख़्स जिस का पड़ोसी उसके शर (फ़ित्ने) से मेहफ़ूज़ ना हो।

नीज़ बुख़ारी और मुस्लिम में हज़रत अबू हुरैराह (رضي الله عنه) से मरवी है के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم)  ने फ़रमायाः

((من کان یؤمن باللّٰہ والیوم الآخر فلایؤذ جارہ۔۔۔))
जो शख़्स अल्लाह और यौमे क़यामत पर ईमान रखता हो तो वो अपने पड़ोसी को अज़ीयत ना दे। (मुत्तफिक़ अ़लैह)

इब्ने हिब्बान ने अपनी सही में, नीज़ सुनन नसाई, इमाम बुख़ारी ने अल अदब अल मुफर्रद में और हाकिम ने हज़रत अबू हुरैराह (رضي الله عنه) से रिवायत नक़ल की है के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم)  फ़रमाया करते थेः

((اللھم إني أعوذبک من جار السوء في دار المقامۃ فإن جار البادیۃ یتحول))
ऐ अल्लाह में अपनी जाये रिहायश में बुरे पड़ोसी से तेरी पनाह चाहता हूँ क्योंकि ख़ानाबदोश पड़ोसी तो बहरहाल बदल जाता है।

इब्ने हिब्बान ने अपनी सही में, नीज़, इमाम बुख़ारी ने अदब अल मुफर्रद में सुनन अबू दाऊद और हाकिम ने हज़रत अबू हुरैराह (رضي الله عنه) से रिवायत नक़ल की है के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم)  ने फ़रमायाः

((جاء رجل إلی رسول اللّٰہا یشکو جارہ،فقال لہ:اذھب فاصبر،فأتاہ مرتین أو ثلاثاً فقال:اذھب فاطرح متاعک فی الطریق،ففعل فجعل الناس یمرون ویسألونہ فیخبرھم خبر جارہ،فجعلوا یلعونہ فعل اللّٰہ بہ وفعل،وبعضھم یدعو علیہ،فجاء إلیہ جارہ فقال:ارجع فإنک لن تری مني شیئاً تکرھہ))

एक शख़्स रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم)  के पास अपने पड़ोसी की शिकायत लेकर आया, आप (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः जाओ और सब्र से काम लो। मगर वो दो या तीन मर्तबा आया तो आप ने फ़रमायाः जाओ और अपने घर के सामान को रास्ते में डाल दो। उस ने ऐसा ही किया लोग गुज़रते और सवाल करते तो आदमी अपने पड़ोसी के बारे में बताता चुनांचे लोग उसको लानत करने लगे और अल्लाह से उसके ख़िलाफ़ दुआ की तो फिर उसका पड़ोसी उस शख़्स के पास आया और उस से कहाः तुम अपने घर लौट जाओ और तुम अब कोई एैसी बात नहीं पाओगे जो तुम्हें नागवार हो।

हज़रत अबू हुरैराह (رضي الله عنه) से मुसनद अहमद और अल बज़्ज़ार में रिवायत है जिस के बारे में हैसमी कहते हैं के इसके रिजाल क़ाबिले एतिमाद हैं, नीज़ इस रिवायत को हाकिम ने और इब्ने हिब्बान ने अपनी सही में नक़ल किया है और इसे सही बताया है, नीज़ इब्ने अबी शेबा ने सही सनद से रिवायत किया है जिसे अ़ल्लामा मुंज़री ने सही कहा हैः

((قال رجل: یا رسول اللّٰہ إن فلانۃ یذکر من کثرۃ صلاتھا و صدقاتھا و صیامھا غیر أنھا تؤذي جیرانھا بلسانھا،قال: ھي في النار۔۔۔ ))
एक शख़्स ने कहाः या रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم)  फ़ुलाँ औरत कसरते सलात, कसरते सद्क़ा और कसरते सय्याम के लिए मशहूर है, मगर अपनी ज़बान से पड़ोसी को अज़ीयत देती है। आप  ने फ़रमायाः वो जहन्नुम में होगी।

इब्ने हिब्बान की सही और मुसनद अहमद में सही सनद से हज़रत साद बिन अबी वक़्क़ास (رضي الله عنه) की रिवायत नक़ल है के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم)  ने फ़रमायाः

((أربع من السعادۃ۔۔۔ و أربع من الشقاء: الجار السوء و المرأۃ السوء والمرکب السوء والمسکن الضیق))
चार चीज़ ख़ुशबख़्ती में से हैं, और चार चीज़ें बदबख़्ती में से हैं। बुरा पड़ोसी, बुरी औरत, बुरी सवारी और तंग घर।
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