हदीस 2:
تَكُونُ النُّبُوَّةُ فِيكُمْ مَا شَاءَ اللَّهُ أَنْ
تَكُونَ ، ثُمَّ يَرْفَعُهَا تَبَارَكَ وَتَعَالَى إِذَا شَاءَ ، ثُمَّ تَكُونُ
الْخِلاَفَةُ عَلَى مِنْهَاجِ النُّبُوَّةِ فَتَكُونُ مَا شَاءَ اللَّهُ أَنْ
تَكُونَ ، ثُمَّ يَرْفَعُهَا إِذَا شَاءَ أَنْ يَرْفَعَهَا ، ثُمَّ يَكُونُ
مُلْكًا عَاضًّا فَتَكُونُ مُلْكًا مَا شَاءَ اللَّهُ ، ثُمَّ يَرْفَعُهُ إِذَا
شَاءَ أَنْ يَرْفَعَهُ مُلْكًا جَبْرِيَّةً ، ثُمَّ تَكُونُ خِلاَفَةٌ عَلَى
مِنْهَاجِ النُّبُوَّةِ ، ثُمَّ سَكَتَ
हज़रत हुज़ेफ़ा रजि़. ने कहा कि हुज़ूरे अकरम (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमाया:
‘‘तुम
में उस वक़्त तक नबूवत रहेगी जब तक अल्लाह तआला की मर्ज़ी होगी कि नबूवत रहे, फिर
अल्लाह तआला जब चाहेगा उसे उठा लेगा।’’ फिर
ऎन नबूवत ही की तज़र् पर खि़लाफ़त होगी तो वह रहेगी जब तक अल्लाह तआला की मर्ज़ी होगी, फिर
वह जब चाहेगा उसे उसे उठा लेगा। फिर काट खाने वाली बादशाहत होगी तो वह रहेगी जब तक अल्लाह तआला की मर्ज़ी होगी, फिर
वह जब चाहेगा उसे उठा लेगा। फिर जबरी और इसतबदादी हुकूमत होगी तो वह रहेगी जब तक अल्लाह तआला की मर्ज़ी होगी, फिर
वह जब चाहेगा उसे उठा लेगा। फिर ऐन नबूवत ही की तर्ज़ पर खि़लाफ़त क़ायम होगी। फिर आप सल्ल. ख़ामोश हो गये। (अहमद)
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