हदीस नं. 28:
إِنَّ رِجَالاً يَتَخَوَّضُونَ فِي مَالِ اللهِ بِغَيْرِ
حَقٍّ فَلَهُمُ النَّارُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ.
‘जो लोग अल्लाह की मिल्कियत को बिना किसी हक़ के खर्च
करते है वो क़यामत के दिन आग मे दाखिल होगें।’ (बुखारी)
हदीस नं. 29:
مَنْ ظَلَمَ قِيدَ شِبْرٍ مِنَ الأَرْضِ طُوِّقَهُ مِنْ
سَبْعِ أَرَضِينَ.
‘‘अगर कोई किसी पर ज़ुल्म करता है चाहे यह एक ज़मीन के टुकड़े,
जिस की लम्बाई एक हाथ के बराबर हो, तो उससे उसकी गर्दन में सात जमीनो का फन्दा डाल दिया
जाएगा। (बुखारी व मुस्लिम)
हदीस नं. 30:
مَنْ أَخَذَ مِنَ الأَرْضِ شَيْئًا
بِغَيْرِ حَقِّهِ خُسِفَ بِهِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ إِلَى سَبْعِ أَرَضِينَ.
जो कोई भी बिना हक़ के ज़मीन का कुछ किस्सा ले लेगा तो उसे क़यामत के दिन उस ज़मीन
के टुकड़े के साथ सात ज़मीनो में धंसा दिया जाएगा। (बुखारी)
तश्रीह: इन हदीसों से किसी का नाजायज़ तरीक़े से हक़ दबा लेने की तरदीद की गई है और अज़ाब
से डराया गया है. इन हदीसों से एक और हुक्मे शरई निकलता है वोह यह है की
ग़ैर-इस्लामी क़ुव्वत को मुस्लमानों की एक बालिश्त सर-ज़मीन भी पर क़बिज़ होने की इजाज़त
नहीं है.
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