हदीस नं. 31:
لَتُنْتَقَضُ عُرَى الإِسْلاَمِ
عُرْوَةٌ عُرْوَةٌ فَكُلَّمَا انْتَقَضَتْ عُرْوَةٌ تَشَبَّثَتْ بِالَّتِي
تَلِيهَا وَأَوَّلُ نَقْضِهَا الْحُكْمُ وَآخِرُهَا الصَّلاَةُ.
इस्लाम की गिरह (गिठान) एक के बाद एक खुल जाएगी. हर बार जब एक गिठान खुलेगी तो
दूसरी गिरह (गिठान) पकड़ ली जाएगी। पहली (गिरह) जो खुलेगी वो हुक्मरानी (शासन
व्यवस्था) की होगी और आखरी सलात (नमाज़) की होगी। (हाकिम और अहमद)
तश्रीह: वो अल्लाह के रसूल صلى الله عليه وسلم
थे, जिन्होने इस्लाम की कई
गिरहो (गिठाने) को एक साथ बांधा था, जिसमें सबसे पहली गिठान
हुक्मरानी की थी जब उन्होने यसरब (मदीना) में इस्लामी रियासत क़ायम की थी। यह गिठान
अन्सार, मुहाजिरीन और गैर-मस्लिमो के बीच मदीने की इस्लामी रियासत के समाज के तौर पर
बान्धी थी। यह हदीस इस बात की तरफ इशारा करती है कि वो सबसे पहली गिठान है (इस्लामी
रियासत) जो दूसरी गिठानो को खुलने से महफूज़ रखेगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि वो हुक्मरां
है जो इस्लाम को पूरी तरह से नाफिज़ करने के लिए ज़िम्मेदार है और अल्लाह की हुदूद को
नाफिज़ करने के लिए और समाज की हिफाज़त करने के लिए. इमाम अहमद बिन हम्बल फरमाते है कि
बिना इमाम (खलीफा) के चारो तरफ फित्ना होगा और इस्लाम की अलामतो को तबाह कर दिया जाएगा, जिसकी आखरी अलामत नमाज़ होगी और यह बहुत बड़ा फित्ना है।
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