19 लालच और बुख़्लः
अल्लाह (سبحانه وتعالیٰ) का इरशाद हैः
وَ مَنْ يُّوْقَ شُحَّ نَفْسِهٖ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ
और जो अपने नफ़्स के बुख़्ल-ओ-हिर्स से मेहफ़ूज़ रहा तो ऐसे ही लोग कामयाब हैं। (तर्जुमा मआनिये क़ुरआने करीमः तग़ाबुन-16)
अल्लाह (سبحانه وتعالیٰ) का मज़ीद इरशाद हैः
وَ اَمَّا مَنْۢ بَخِلَ وَ اسْتَغْنٰىۙ۰۰۸ وَ كَذَّبَ بِالْحُسْنٰى ۙ۰۰۹ فَسَنُيَسِّرُهٗ لِلْعُسْرٰى ؕ۰۰۱۰
जिस ने बुख़्ल किया और बेनियाज़ी बरती, और ख़ुशतर शए को झुटला दिया, हम उसे सहज ही मुश्किल और सख़्ती में डालने वाली शए का एहल बना देंगे। (तर्जुमा मआनिये क़ुरआने करीम: अल लैल- 8 से10)
मुस्लिम शरीफ़ में हज़रत जाबिर (رضي الله عنه) से मरवी है के रसूले अकरम ने फ़रमायाः
((۔۔۔واتقوا الشح أھلک من کان قبلکم،حمھلم علی أن سفکوا دماءھم والستحلوا محارمھم))
बख़ीली से बचो बेशक इसने तुम से पहली वाली उम्मतों को हलाक कर दिया और उन्हें ख़ून बहाने पर उभारा और महारिम की पामाली तक करवा दी।
मुस्लिम शरीफ़़ ही में हज़रत अनस (رضي الله عنه) से मरवी है के नबी अकरम (صلى الله عليه وسلم) फ़रमाया करते थेः
((اللھم إني أعوذبک من البخل۔۔۔))
ऐ अल्लाह मैं बुख़्ल से तेरी पनाह चाहता हूं।
हज़रत अबू हुरैराह (رضي الله عنه) से मुसनद अहमद, सुनन अबू दाऊद और इब्ने हिब्बान मैं मरवी है के रसूले अकरम (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((شر ما في الرجل شح ھالع و جبن خالع))
आदमी के अंदर बहुत बड़ी बुराई ये है के वो बे इंतिहा बख़ील और सख़्त बुज़दिल हो।
हज़रत अबू हुरैराह (رضي الله عنه) से मुसनद अहमद, इब्ने हिब्बान और हाकिम की मुस्तदरक में रिवायत है के हुज़ूर अकरम (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((۔۔۔ولا یجتمع شح وایمان في قلب عبد أبداً))
बुख़्ल और ईमान बंदे के दिल में कभी यकजा नहीं हो सकते।
20 तहाजुर और तदाबुर (क़ता कलामी और बेरुख़ी):
हज़रत अनस (رضي الله عنه) से बुख़ारी ओ मुस्लिम शरीफ़ में रिवायत नक़ल हैः
((لا تقاطعوا ولا تدابروا ولا تباغضوا ولا تحاسدوا وکونوا عباد اللّٰہ إخواناً ولا یحل لمسلم أن یھجر أخاہ فوق ثلاث))
तुम एक दूसरे से ताल्लुक़ात मुनक़ता मत करो, ना एक दूसरे से मुंह मोड़ो, ना एक दूसरे से बुग़्ज़ रखो, ना आपस में हसद करो और ऐ अल्लाह के बन्दो! भाई भाई बन जाओ और किसी मुस्लिम के लिए जायज़ नहीं के वो अपने भाई से तीन दिन से ज़्यादा बोल चाल बंद रखे। (मुत्तफिक़ अ़लैह)
मुस्लिम शरीफ़़ में हज़रत अबू हुरैराह (رضي الله عنه) से मरवी है के रसूले अकरम ने फ़रमायाः
((تعرض الأعمال في کل اثنین وخمیس،فیغفر اللّٰہ ل في ذلک الیوم لکل امريء لا یشرک باللّٰہ شیئاً إلا امروؤ کانت بینہ و بین أخیہ شحناء،یقول:اترکوا ھذین حتی یصطلحا))
हर दो शंबा और जुमेरात को आमाल अल्लाह के हुज़ूर पेश किए जाते हैं। अल्लाह उस दिन हर शख़्स के आमाल माफ़ कर देते हैं जिस ने अल्लाह के साथ किसी को शरीक ना किया हो सिवाए उस शख़्स के जिस के दरमियान और उसके भाई के दरमियान कीना और नफ़रत हो, अल्लाह سبحانه وتعالیٰ फ़रमाता है उनको छोड़ दो हत्ता के ये दोनों आपस सुलह कर लें। (मुस्लिम)
बुख़ारी और मुस्लिम शरीफ़़ में हज़रत अबू अय्यूब (رضي الله عنه) से मरवी है के रसूले अकरम (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमाया:
((لا یحل لمسلم أن یھجر أخاہ فوق ثلاث لیال،یلتقیان فیعرض ھذا ویعرض ھذا وخیرھما الذي یبدأ بالسلام))
मुस्लिम के लिए दुरुस्त नहीं के वो अपने भाई से तीन रातों से ज़ाइद बात ना करे और ऐसे मिलें के ये उस से ऐराज़ करे और वो इस से ऐराज़ करे और उनमें बेहतर वो है जो सलाम करने में पहल करे।
अलबत्ता अगर बोल चाल का बंद होना अल्लाह की ख़ातिर हो तो ये जायज़ है क्यों के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) से सही अहादीस से मरवी है के आप ने तीन लोगों से बोल चाल बंद रखने का हुक्म दिया था जो जंग तबूक में पीछे रह गए थे।
21 गाली गलोच और बेहूदा गोईः
बेगुनाहों और मासूमों को लान करना और बुरा भला कहना इज्माअ़न हराम है। अलबत्ता मज़मूम औसाफ़ के हामिल लोगों को लान करना जायज़ है, जैसे के ज़ालिमों पर अल्लाह की लानत, काफ़िरों पर अल्लाह की लानत, यहूद ओ नसारा पर अल्लाह की लानत, फ़ासिक़ों पर अल्लाह की लानत और तस्वीर बनाने वालों पर अल्लाह की लानत वग़ैरा।
मोमिन को लान ओ तान करने की हुर्मत के शवाहिदः
1: हज़रत अबू ज़ैद साबित बिन ज़हाक अंसारी (رضي الله عنه) से बुख़ारी और मुस्लिम शरीफ़़ मे नक़ल किया है के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((۔۔۔ولعن المؤمن کقتلہ))
और मोमिन को लान करना उसके क़त्ल करने के बराबर है ।
2: हज़रत अबू दरदा (رضي الله عنه) से मुस्लिम शरीफ़ में मरवी है के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((لا یکون اللعانون شفعاء ولا شھداء یوم القیامۃ))
लान करने वाले क़यामत के दिन ना तो शफ़ाअत वालों में होंगे और ना ही शुहदा में।
3: हज़रत इब्ने मसऊ़द (رضي الله عنه) से बुख़ारी और मुस्लिम शरीफ़़ में मरवी है, कहते हैं के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((سباب المسلم فسوق۔۔۔))
मुस्लिम को गाली देना फ़िस्क़ है। (मुत्तफिक़ अ़लैह)
4: हज़रत अ़ब्दुल्लाह बिन उ़मर (رضي الله عنه) से बुख़ारी शरीफ़ में नक़ल किया है के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((من أکبر الکبائرأن یلعن الرجل والدیہ،قیل یا رسول اللّٰہ و کیف یلعن الرجل والدیہ؟ قال: یسب أبا الرجل فیسب أباہ ویسب أمہ فیسب أمہ))
अकबरुल कबाइर (बड़े गुनाह का काम है) के आदमी अपने वालिदैन को गाली दे। सवाल किया गयाः ऐ अल्लाह के रसूल! आदमी अपने वालिदैन को गाली कैसे दे सकता है? आप (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः किसी दूसरे आदमी के वालिद को गाली दे तो वो उल्टा उसके वालिद को गाली दे। वो उसकी माँ को गाली दे और ये उसकी माँ को गाली दे। (बुख़ारी)
अलबत्ता जो लोग मज़मूम और बुरी ख़सलत-ओ-सिफ़ात से मुत्तसिफ़ हों उनको लान करना जायज़ है जिस के लिए क़ुरआन हकीम में अल्लाह سبحانه وتعالیٰ का इरशाद हैः
لُعِنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْۢ بَنِيْۤ اِسْرَآءِيْلَ عَلٰى لِسَانِ دَاوٗدَ وَ عِيْسَى ابْنِ مَرْيَمَ١ؕ ذٰلِكَ بِمَا عَصَوْا وَّ كَانُوْا يَعْتَدُوْنَ
बनी इसराईल में से जिन लोगों ने कुफ्र किया उन पर दाऊद अलैहिस्सलाम और ईसा इब्ने मरियम अलैहिस्सलाम की ज़बानी लानत पड़ी। इसलिए के उन्होंने नाफ़रमानी की और वो हद् से आगे बढ़े जा रहे थे। (तर्जुमा मआनीये क़ुरआने करीमः माइदा-78)
और अल्लाह (سبحانه وتعالیٰ) ने फ़रमायाः
اِنَّ اللّٰهَ لَعَنَ الْكٰفِرِيْنَ
यक़ीनन अल्लाह ने एहले कुफ्र पर लानत की है। (तर्जुमा मआनिये क़ुरआनः अहज़ाब- 64)
كَمَا لَعَنَّاۤ اَصْحٰبَ السَّبْتِ١ؕ
जिस तरह हम ने सब्त वालों पर लानत की थी। (तर्जुमा मआनिये क़ुरआनः अन्निसा -47)
और अल्लाह سبحانه وتعالیٰ ने फ़रमायाः
لَّعْنَتَ اللّٰهِ عَلَى الْكٰذِبِيْنَ
झूठों पर अल्लाह की लानत भेजी। (तर्जुमा मआनीये क़ुरआने करीमः आले इमरान- 61)
और अल्लाह سبحانه وتعالیٰ ने फ़रमायाः
اَلَا لَعْنَةُ اللّٰهِ عَلَى الظّٰلِمِيْنَۙ
सुन लो ऐसे ज़ालिमों पर अल्लाह की लानत है। (तर्जुमा मआनीये क़ुरआने करीम: हूद-18)
(اُولٰٓءِک یَلْعَنُھُمُ اللّٰہُ وَیَلْعَنُھُمُ اللّٰعِنُوْنَ خلا )
वही हैं जिन पर ख़ुदा लानत करता है और तमाम लानत करने वाले भी उन पर लानत करते हैं। (तर्जुमा मआनिये क़ुरआने करीम: अल बक़रा-159)
नीज़ यही बात सुन्नत से भी साबित है, हज़रत आईशा (رضي الله عنها) से बुख़ारी और मुस्लिम में हदीस मरवी है के हुज़ूर अक़दस (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((لعن اللّٰہ الیھود والنصاریٰ اتخذوا قبور انبیاء ھم المساجد))
यहूद-ओ-नसारा पर अल्लाह की लानत हो उन्होंने अन्बिया की कब्रों को मस्जिद बना लिया। (मुत्तफिक़ अ़लैह)
हज़रत उ़मर (رضي الله عنه) से बुख़ारी और मुस्लिम शरीफ़ में नक़ल है के रसूले अकरम (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((لعن اللّٰہ الیھود حرمت علیھم الشحوم فجملوھا فباعوھا))
यहूद पर अल्लाह की लानत हो उन पर चर्बी हराम की गई तो वो इसको पिघला कर बेचने लगे। (मुत्तफिक़ अ़लैह)
((لعن اللّٰہ السارق،یسرق البیضۃ فتقطع یدہ ویسرق الحبل فتقطع یدہ))
अल्लाह लानत करता है उस चोर पर जो अंडा चुराए और उसका हाथ काट दिया जाये मगर वो रस्सी चोरी करे फिर उसका दूसरा हाथ भी काट दिया जाये।
बुख़ारी और मुस्लिम शरीफ़ में हज़रत इब्ने उमर (رضي الله عنه) से मरवी है के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((لعن النبي الواصلۃ والمستوصلۃ والواشمۃ والمستوشمۃ))
रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने नक़्ली बाल लगाने वाली और लगवाने वाली औरतों पर और गोदना गुदवाने और गोदने वाली औरतों पर लानत की है।
हज़रत इब्ने अ़ब्बास (رضي الله عنه) से बुख़ारी शरीफ़ में नक़ल किया है के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((لعن الرسول المتشبھین من الرجال بالنساء،والمتشبھات من النساء بالرجال))
रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने उन मर्दों पर लानत की जो औरतों की मुशाबहत इख़्तियार करते हैं और उन औरतों पर जो मर्दों की मुशाबहत इख़्तियार करती हैं।
इसी तरह हज़रत इब्ने अ़ब्बास (رضي الله عنه) से एक दूसरी रिवायत में है के रसूले अकरम (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((لعن النبی ا المخنثین من الرجال والمترجلات من النساء وقال أخرجوھم من بیوتکم))
नबी (صلى الله عليه وسلم) ने मुख़न्नस मर्दों और मर्दों की सूरत इख़्तियार करने वाली औरतों पर लानत फ़रमाई है, और फ़रमाया के उनको अपने घरों से निकाल दो।
((لعن الرسول ا من مثل باحیوان))
अल्लाह के रसूल (صلى الله عليه وسلم) ने उस पर लानत फ़रमाई जो हैवानों के बुत बनाता है।
नीज़ मुस्लिम शरीफ़ में है के इब्ने उमर (رضي الله عنه) रिवायत करते हैं के रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने फ़रमायाः
((لعن اللّٰہ من اتخذ شیئاً فیہ الروح غرضاً))
अल्लाह लानत करता है उस शख़्स पर जिस ने किसी ज़ीरूह को बांध कर शिकार किया। (मुस्लिम)
मुस्लिम शरीफ़ में हज़रत जाबिर (رضي الله عنه) से मरवी है के हुज़ूरे अकरम ने फ़रमायाः
((لعن الرسول ا آکل الربا وموکلہ وکاتبہ وشاھدہ وقال ھم سواء))
रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) ने सूद खाने वाले, खिलाने वाले और इसको लिखने वाले और इसके गवाह पर लानत की है और फ़रमाया के ये सब (गुनाह में) बराबर हैं। (मुस्लिम)
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