हदीस 3:
مَنْ خَلَعَ يَدًا مِنْ طَاعَةٍ
لَقِىَ اللَّهَ يَوْمَ الْقِيَامَةِ لاَ حُجَّةَ لَهُ وَمَنْ مَاتَ وَلَيْسَ فِى
عُنُقِهِ بَيْعَةٌ مَاتَ مِيتَةً جَاهِلِيَّةً
जो कोई भी अपना हाथ (हुक्मरान या खलीफा
की) इताअत से हटा लेगा तो वोह अल्लाह से इस हाल मे मिलेगा की उसके पास कोई दलील
नहीं होगी. और जो कोई (हुक्मरान या खलीफा से) बैत का तोक़ अपनी गर्दन पर लिये बिना
मरा तो वोह जाहिलियत की मौत मरा. (मुस्लिम)
हदीस 4:
مَنْ خَرَجَ مِنَ الْجَمَاعَةِ
قِيدَ شِبْرٍ فَقَدْ خَلَعَ رِبْقَةَ الإِسْلاَمِ مِنْ عُنُقِهِ حَتَّى
يُرَاجِعَهُ وَمَنْ مَاتَ وَلَيْسَ عَلَيْهِ إِمَامُ جَمَاعَةٍ فَإِنَّ مَوْتَتَهُ
مَوْتَةٌ جَاهِلِيَّةٌ
जिस किसी ने अपने आप को जमात (मुत्तहिद
मुस्लिम उम्मत से) से एक बालिश्त भी दूर किया तो उसने इस्लाम को अपनी गर्दन से
उतार दिया यहाँ तक की वोह वापस लौट आये. और जो कोई मर गया इस हालत मे की उसके उपर जमात
का लीडर न हो, तो वोह जहालत की मौत मरा. (हाकिम)
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