अ़क़बा की पहली बैअ़त - 8

अ़क़बा की पहली बैअ़त - 8

इस वाक़िअे के आगे साल मदीने से बारह अफ़्राद पर मुशतमिल एक जमाअत आई और आप (صلى الله عليه وسلم) से मुक़ामे अ़क़बा पर मुलाक़ात की और येह बैअ़त की के अल्ला तआला के साथ किसी को शरीक नहीं करेंगे, ज़िना नहीं करेंगे, अपनी औलाद को क़त्ल नहीं करेंगे, किसी पर बोहतान नहीं घडेंगे, अल्लाह के रसूल की हर मअ़रूफ़ में इताअ़त करेंगे। अगर उन्होंने इस अ़हद का ईफ़ा किया तो उनके लिये जन्नत है और अगर इनमें से कोई गुनाह किया तो अल्लाह तआला की मर्ज़ी पर है के वोह उन्हें सज़ा दे या मआफ़ करे’’। अपने इस अहद के बाद, जब मौसम हज पूरा हो गया तो येह लोग मदीने लौट आये।
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इस्लामी एक मब्दा (ideology) है जिस से एक निज़ाम फूटता है. सियासत इस्लाम का नागुज़ीर हिस्सा है.

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इस्लाम एक मुकम्म जीवन व्यवस्था है जो ज़िंदगी के सम्पूर्ण क्षेत्र को अपने अंदर समाये हुए है. इस्लामी रियासत का 1350 साल का इतिहास इस बात का साक्षी है. इस्लामी रियासत की गैर-मौजूदगी मे भी मुसलमान अपना सब कुछ क़ुर्बान करके भी इस्लामी तहज़ीब के मामले मे समझौता नही करना चाहते. यह इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी की खुली हुई निशानी है.