अ़क़बा की पहली बैअ़त - 8
इस वाक़िअे के आगे साल मदीने से बारह अफ़्राद पर मुशतमिल एक जमाअत आई और आप (صلى الله عليه وسلم) से मुक़ामे अ़क़बा पर मुलाक़ात की और येह बैअ़त की के अल्ला तआला के साथ किसी को शरीक नहीं करेंगे, ज़िना नहीं करेंगे, अपनी औलाद को क़त्ल नहीं करेंगे, किसी पर बोहतान नहीं घडेंगे, अल्लाह के रसूल की हर मअ़रूफ़ में इताअ़त करेंगे। अगर उन्होंने इस अ़हद का ईफ़ा किया तो उनके लिये जन्नत है और अगर इनमें से कोई गुनाह किया तो अल्लाह तआला की मर्ज़ी पर है के वोह उन्हें सज़ा दे या मआफ़ करे’’। अपने इस अहद के बाद, जब मौसम हज पूरा हो गया तो येह लोग मदीने लौट आये।
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