✳ सवाल नं. (11) क्या खिलाफत सिर्फ 30 साल ही रही?
➡ कुछ लोगों के मुताबिक़ खिलाफत सिर्फ 30 साल ही रही थी जिसकी दलील वो मुसनद अहमद की एक हदीस से लेते है, जिसमें अल्लाह के नबी (صلى الله عليه وسلم) ने फरमाया :
🍁 '' मेरे बाद मेरी उम्मत में खिलाफत 30 साल रहेगी, उसके बाद फिर मुल्क होगा'' 🍁
कुछ लोगों ने इस मुल्क शब्द का तर्जुमा बादशाहत किया। इसलिए उनके मुताबिक वो बादशाहत थी, खिलाफत नहीं।
✔ खिलाफते राशीदा 30 साल रही, इसमें हज़रत अबू बक्र (رضي الله عنه) की 2 साल 3 महीने, हज़रत उमर (رضي الله عنه ) का 10 साल 6 महीने, हज़रत उस्मान (رضي الله عنه ) का 12 साल, हज़रत अली (رضي الله عنه ) का 4 साल 9 महीने और हज़रत ईमाम हसन (رضي الله عنه ) का 6 महीने दौरे हुकुमत रही।
✅ खिलाफत तुर्की में 3 मार्च 1924 तक रहीं जिसे मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने इस्तेमारी साज़िश के तहत खात्म किया था । खिलाफत सिर्फ 30 साल रही है ये एक गलत राय है, क्योंकि ''मुल्क'' शब्द के कई अर्थ है, फैरूज़ अल- अबदी की मशहूर अरबी डिक्शनरी ''अल-मुहीत'' ने इसकी वाज़ेह (स्पष्ट) व्यख्या की है। इसके मायने बादशाहत भी होता है, किसी का शख्स दूसरो पर उत्तरदायित्व होना, और हुक्म यानी शासन होता है। हुक्म सुल्तान का पर्यायवाची होता और मुल्क के मआने प्रधानता के भी होते है ।
✅ इसी तरह खिलाफत सिर्फ 30 साल में खत्म नही हुई, इसकी दलील कई मुख्य उल्मा की राय हैं, जैसे इमाम अबू हनीफा और उनके शागिर्द इमाम अबू युसुफ । दूसरे दलायल से मिलाने पर यह बात वाज़ेह हो जाती है कि इस्लामी हुकुमत 30 साल के बाद भी जारी रही, सिर्फ खिलाफते राशीदा 30 साल रही ।
✅ जैसा कि अल्लाह के रसूल (صلى الله عليه وسلم) ने एक जगह फरमाया :
🍁 “क़यामत उस वक़्त तक नही होगी जब तक तुम्हारे दर्मियान 12 खुलफा न हो जाए और वोह सभी क़ुरैश से होंगे।” 🍁
✅ हालांकि इतिहास में इस्लामी हुकुमत मुख्तलिफ (विभिन्न) चरणों से (स्थितियों से) गुज़री जिसमें मज़बूत अहकाम का गलत निफाज़ किया गया, मगर हम पाते है कि खिलाफत के आखिरी दौर तक (उस्मानी खिलाफत तक) सिर्फ इस्लामी नस यानी शरियत ही क़ानून का स्रोत रहा ।
🌙🌙खिलाफ़ते राशिदा सानी पर 100 सवाल 🌙🌙
➡ सवाल नं. (12) क्या खिलाफत ईमाम महदी के आने के बाद क़ायम होगी या उनसे पहले?
✳ लोग समझते है कि ईमाम महदी से पहले खिलाफत क़ायम नहीं होगी।
✅ दर हक़ीक़त ईमाम महदी जब मौजूद होंगे तो उससे पहले ही खिलाफत मौजूद होगी। अबू दाऊद की एक हदीस है जो उम्मे सलमा से रिवायत है जिसमें अल्लाह के रसूल (صلى الله عليه وسلم) फरमाते है :
🌜 ''एक खलीफा की मौत के बाद लोगों में इख्तिलाफ हो जायेगा तो एक शख्स मदीने से मक्का की तरफ आयेगा और मक्का के लोग उस शख्स की तरफ आयेंगे और उसकी मर्जी़ के खिलाफ उसको बैअत देगें जबकि वोह राज़ी नहीं होगा फिर भी उसको बैअत दे दी जायेगी। काबे के कोने में वोह लोग इक्टठा होगें और उसे मक़ामें इब्राहीम पर बैअत दी जायेगी, ऐसे में शाम से एक फौज उसको खत्म करने के लिए रवाना होगी। मक्का और मदीना के बीच ज़मीन उस फौज को खा जायेगी (यानी बीच में तूफान वगैराह आ जायेगा) जिससे वोह फौज ज़मीन में धस जायेगी। इस बात को देखकर लोगों को यकीन हो जायेगा और शाम से अब्दाल इसको बैअत देने के लिए निकलेगें और फिर वो उसे बैअत देंगे, उसके बाद फिर क़ुरैश का एक आदमी उठेगा, जो ईमाम महदी के खिलाफ बगावत करेगा, ये शख्स कल्ब कबीले से ताल्लुक रखता होगा। ईमाम महदी भी एक फौज भेजेगें, और कल्ब क़बीले की फौज हार जायेगी, उसके बाद जब माले गनीमत बटेगा तो जो लोग उस माले गनीमत को हासिल करने में शामिल नहीं होगें वो पछतायेगें
✅ 'ये हक़ीक़त में अल्लाह के नबी (صلى الله عليه وسلم) के तरीके पर होगा और बिल्कुल अल्लाह के नबी (صلى الله عليه وسلم) की सुन्नत के मुताबिक हुक्मरानी करेगा और यह ज़मीन पर इस्लाम को उसकी गर्दन के बल फेकेगा। (कहावत है कि जब किसी को गर्दन के बल फेका जाता है तो बिल्कुल चित गिरता है यानी कि इस्लाम इस तरीके से पूरी दुनिया के अंदर फैल जायेगा।) और यह 7 साल के लिए रहेगा, फिर उसका इंतकाल हो जायेगा, पूरी दुनिया में मुसलमान उसके जनाज़े की नमाज़ पढे़गें।”📚
✅ इस हदीस से ज्ञात हुआ कि खिलाफत पहले से मौजूद होगी और एक खलीफा के इंतकाल के बाद ईमाम महदी को बैअत दी जायेगी।
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