खिलाफते राशिदा सानी (IInd) पर 100 सवाल (53-54)

➡ सवाल नं. (53) क्या खिलाफत में इंटरनेट का इस्तिमाल ग़ैर-क़ानूनी होगा?












👉 नही, इस्लाम साइंसी और तकनीकी तरक्की के मुखालिफ नही है। खिलाफत का इतिहास बताता है कि मुसलमान तकनीक और साइंस के मैदान में सबसे आगे रहें है। खिलाफत न सिर्फ इंटरनेट का इस्तिमाल करेगी बल्कि तमाम तकनीकी तरक्की का इस्तिमाल करेगी।

खिलाफत में अर्थव्यवस्था


इस्लामी अर्थव्यवस्था दौलत और माल की तक़्सीम पर तवज्जोह देती है ना कि उसके उत्पादन पर। इसके साथ ही यह पैदावार (उत्पादन) को एक वैज्ञानिक मामला मानती है जिसे रिर्सच (खोज बीन) और एक्सपेरीमेंट्स (शोध) के ज़रिए बेहतर बनाया जा सकता है।
इस्लामी अर्थव्यवस्था का मक़सद यह सुनिश्चित करना है कि तमाम शहरीयों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी हो जाए, इसे ही इस्लामी अर्थ व्यवस्था अपना बुनियादी मक़सद मानती है। इस बुनियाद मक़सद को हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (صلى الله عليه وسلم) ने इस हदीस में इस तरह से बयान फरमाया :
''आदम की औलाद को ये हक़ है कि उसके पास एक घर हो जिसमें वह रहे, एक कपड़ा जिससे वह तन ढांके, रोटी, हवा और पानी हो'' (तिर्मीजी)

इस हदीस में वोह तमाम बुनियादी ज़रूरतें गिनाई गई है, जिनमे मे से किसी एक भी चीज़ की भी कमी होने पर इंसान की ज़िन्दगी दुश्वार हो जाती है और इसमें से हर एक चीज़ इंसान के अस्तितव के लिए बेहद ज़रूरी है जिन्हें उपल्ब्ध कराने इस्लाम पहली फिक्र की होती है।

सवाल नं. (54): खिलाफत की अर्थव्यवस्था में और पूंजीवादी डेमोक्रेसी की अर्थव्यवस्था में क्या फर्क है?


पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में मिलकियत की आज़ादी (जिसे संपत्ति कि आज़ादी भी कहते है) किसी फर्द (व्यक्ति) को अपने फायदे और ज़्यादा से ज़्यादा माल हासिल करने के लिए आर्थिक गतिविधियों में धकेलती है। इसी तरह पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में, संपत्ति कि आज़ादी पर आधारित फ्री मार्केट ही गुड्स (वस्तुओं) और सर्विस (सेवाएं) का उत्पादन और खपत तय करता है।

इस्लाम में प्राइवेट और पब्लिक दोनों तरह की हक़े मिल्कियत (संपत्ति का अधिकार) होती है, जिनके ज़रिए उत्पादन क़ट्रोल किया जाता है. क़ीमते (मूल्य) और लोगो के वेतन उत्पादन और खपत को बढ़ावा देते है। इस्लाम, धन (दौलत) के पुन: वितरण (Redistribution) और उसकी गर्दिश (Circulation) के ज़रिए बुनियादी तौर पर गरीबी की समस्या को हल करता है।
Share on Google Plus

About Khilafat.Hindi

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments :

इस्लामी सियासत

इस्लामी सियासत
इस्लामी एक मब्दा (ideology) है जिस से एक निज़ाम फूटता है. सियासत इस्लाम का नागुज़ीर हिस्सा है.

मदनी रियासत और सीरते पाक

मदनी रियासत और सीरते पाक
अल्लाह के रसूल (صلى الله عليه وسلم) की मदीने की जानिब हिजरत का मक़सद पहली इस्लामी रियासत का क़याम था जिसके तहत इस्लाम का जामे और हमागीर निफाज़ मुमकिन हो सका.

इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी का इतिहास

इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी का इतिहास
इस्लाम एक मुकम्म जीवन व्यवस्था है जो ज़िंदगी के सम्पूर्ण क्षेत्र को अपने अंदर समाये हुए है. इस्लामी रियासत का 1350 साल का इतिहास इस बात का साक्षी है. इस्लामी रियासत की गैर-मौजूदगी मे भी मुसलमान अपना सब कुछ क़ुर्बान करके भी इस्लामी तहज़ीब के मामले मे समझौता नही करना चाहते. यह इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी की खुली हुई निशानी है.