फ़्रांस ने भी अपने
एजैंट वाली मिस्र मुहम्मद अली के ज़रीए रियासते इस्लामी को पीछे से ज़र्ब लगाने की कोशिश
की। उन्होंने सियासी तौर पर खुल्लम खुल्ला उस की मुआवनत की जिस से वो ख़लीफ़ा से अलैहदा
हो गया और इसके ख़िलाफ़ जंग का ऐलान कर दिया। 1831 में शाम को फ़तह करने के लिऐ हमला कर दिया और फिलस्तीन लुबनान और सीरिया पर भी क़ब्ज़ा
कर लिया और अनातोलिया तक बढ़ने लगा, लेकिन ख़लीफ़ा ने इसके ख़िलाफ़ लड़ने के लिऐ एक ताक़तवर लश्कर भेजा।
बर्तानिया और रूस, नीज़, जर्मनी
के दो सूबे भी मुहम्मद अली के मुख़ालिफ़ हो गऐ और जुलाई 1840 में बर्तानिया, रूस और जर्मनी के दो सूबों के दरमियान एक मुआहिदा हुआ जिस को बाद में चार मुल्की
मुआहिदे (Quadrilateral
Alliance) के नाम से पेहचाना गया जिस के तहत उन्होंने अह्द किया के वो
रियासते उस्मानी की सर ज़मीन की वहदत के लिऐ मुशतर्का दिफ़ा करेंगे नीज़ ज़रूरत के वक़्त
मुहम्मद अली को असलेहा के ज़ोर पर सीरिया से दस्तबरदार होने के लिऐ मजबूर किया जाऐगा।
इस तरह मुहम्मद अली की मुज़ाहिमत हुई और उसे सीरिया, फिलस्तीन और लुबनान से दस्तबरदार होकर मिस्र लौटना पड़ा जहाँ ख़लीफ़ा का ताबे हो कर
ख़िलाफ़त का वाली रहने पर रजामंद हो गया।
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