इस्लाम और ओद्यौगिक विकास

 इस्लाम और ओद्यौगिक विकास
आज एक ओर जहॉ पष्चिम जगत उद्यौगिक क्रांति ( Industrial Revolution ) के बाद से असाधारण तरक्की हासिल करने में कामयाब रहा है वहीं दूसरी ओर मुस्लिम दुनिया काफी पीछे रह गयी है। आज मुस्लिम दुनिया तस्वीर है एक अर्ध्दविकसित बुनियादी ढांचे, गरीबी, बेरोजगारी और न के बराबर तकनकीकी विकास की। इसी के साथ आज विष्व के कुछ सबसे विषाल बेहद जरूरी खनिजों के भंडार मुस्लिम दुनिया के पास है। मुस्लिम दुनिया अकेली विष्व के 74 प्रतिषत तेल के भंडार के मालिक है, जो विष्व की सबसे जरूरी चीज हैं। मुस्लिम दुनिया की अर्थव्यवस्थाए ( economies ) की खासियत निर्यात (export) की बजाए आयात  ( import ) है और वह भी सबसे मूलभूत वस्तुओं (Basic commodities) की। पाकिस्तान मुख्य खाद्यान्न (Food staples) का आयात करता है हांलाकि वह खुद हर साल 40 बिलियन कृषि उत्पाद (agricultural products) का उत्पादन करता है। मध्य पूर्व जहॉ तेल की कोई कमी नहीं, हर साल परिष्कृत उत्पादों (refined products) का आयात करता है क्योंकि इतना पैसा होने के बावजूद वहॉ तेल रिफाईनरियों की कमी है। कई मुस्लिम देषों की अर्थव्यवस्थाए केवल एक-दो वस्तुओं की गिर्द घूमती हैं, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्थाओं में विविधता (diversification) की कमी है जो एक बहुत बड़ा कारण है बेरोजगारी और निपुण मजदूरों (Skilled labour) का। मुस्लिम दुनिया अपने निर्यात का बढ़ाने के लिए योजनाएॅ बनाई लेकिन उसके नतीजे तबाहकुन रहे। क्योंकि निर्यात में भी उनका केन्द्र केवल एक-दो चीजों पर ही रहा, जिसकी वजह से ज्यादातर जनसंख्या बेरोजगार और गरीब ही रही।

मुस्लिम तारीख और उद्यौगिक विकास :-इससे अलग इस्लामिक आर्थिक इतिहास उद्यौगिक विकास से भरपूर रहा है। मध्यपूर्व में रेगिस्तान की प्रधानता और पानी की कमी व पानी के स्त्रोत (resources) की भी कमी वजह बनी। कृषि (agriculture) में कई मील के पत्थर स्थापित होने की। मानव इतिहास सबसे पहले ज्यारभाटों और पवन की ताकतों का इस्तेमाल मुसलमानों ने ही किया। इस वजह बड़े कारखाने (तिराज) वजूद में आये। चूंकि पानी ऐसी विषम परिस्थ्यिों (odd conditions) में पानी सबसे जरूरी चीज था और वजह बना कि मध्य पूर्व में दूर-दूर फैली नदियों और कुछ एक सोतों (streams) का बहतरीन उपयोग किया जाए। मुस्लिम इंजिनियरों ने जलचक्की के उपयोग में निपुणता हासिल की और समानान्तर पहिये ( horizontal- co heeled ) और लम्बत् पहियों (Vertical wheeled) वाली जल-चक्कियों ( Water mills ) बनाई। इस वजह से कइ्र किस्मों उद्योगिक चक्कियों (industrial mills) अस्तित्व में आई, जिसमें शामिल थी अनाज पीसने की चक्की, जहाज की चक्कियॉ, कागज की मीलें, लकड़ी चीरने की चक्की, धातु काटने-पीटने की चक्की (Stamp mills), इस्पाल मिले, शक्कर की मीलें, पवन चक्कियॉ और ज्वारभाटे से चलने वाली चक्कियॉ। 11वीं शताब्दी तक, इस्लामिक दुनिया के हर प्रदेष में इस तरह की चक्कीयॉ उपयोग में थी, अन्दलुस (Spain) से उत्तरी अफ्रीका तक और मध्य पूर्व से मध्य एषिया तक। मुस्लिम इंजीनियरों पानी के टरबाईन पर भी निपुणता हासिल किया और 12वीं सदी में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की। अल-जजारी अपने शोध के जरिए क्रेंकषाफ्ट (Crankshaft) का आविष्कार करने में कामयाब रहें और छड़ो और बेलन  (Cylinder) के जरिए घूरण गति  (rotary motion) का उपयोग किया। वह पहले शख्स थे जिन्होंन इनको एक मषीन का रूप दिया। ब्रिटिष साम्राज्य ने इसी समझ का इस्तेमाल कर भाप और कोयले से पिस्टन  (Pistons) चलाये और आखिरकार घूर्णीय गति से इंजन चलाये। यही चीज आगे चलकर वाहनों  (automobiles) के विकास की वजह बनी क्योंकि ज्वलनषील इंजन  (combustion engine) में ईधन  (fuel) जलकर pistons को चलाता है और वो वाहन के ठोस हिस्सों को।

जैसे-जैसे और जमीनें इस्लामिक सभ्यता में शामिल होती गयी, शहरीकरण के कारण कई विकास हुए। अरब के रेगिस्तान में बहुत कम पानी के सोते थे, जिसकी वजह से ज्यादातर इलाका रहने-बसने के लायक ही नहीं था। इस कमी पर मुस्लिम इंजनियरों ने काबू पाया Tigris  और Euphrates  (दजला फरात) नदियों से नहरें बनाकर। बगदाद के चारों और मौजूद दलदली इलाकों को सुखाया गया ताकि शहर मलेरिया जैसी बीमारियों से आजाद हो। इंजनियरों ने जल चक्कीयों को आौ आधुनिक बनाया और जमीन के काफी नीचे विस्तृत  (elaborate) पानी के जलमार्ग बनाये जो कनात  (Qanats) कहलाते हे, बनवाये। इनमें कई स्त्रोतों से पानी आता था और यह कनाते उसे शहर तक ले जाती थी। इस तरह की कई कनाते आज भी अरब में मौजूद हैं। इस वजह से एक उन्नत घरेलु जलतंत्र व्यवस्था का विकास हुआ, जिसमें जनता के लिए गुलसखाने, पानी की फव्वारें, पाईपों के जरिए पानी सप्लाई, सब तरफ मौजुद शौचालय और गंदे पानी की निकासी के लिए गटर और नालियों की बहतरीन व्यवस्था। ऐसी उन्नति से वह उद्यौगिक काम भी संभव हो सके जो पहले इंसानी हाथ किया करते थे और अब यांत्रिक होकर मषीनों के जरिए होने लगा। इससे पता चलता है कि इस्लाम सांइस का दुष्मन नहीं है जैसा कुछ लोग पेष करते हैं। तारीखी सच्चाई तो यह है कि इस्लाम ही वह उत्प्रेरक  (catalyst) था, जिसने मुसलमानों की साइंस में रूचि पैदा की।

इस्लाम और उद्यौगिक विकास के लिए प्रेरणा :- अल्लाह  (سبحانه وتعالى ) ने इस्लामिक राज्य का नस्बुलेन बहुत साफ तौर पर वाजेह किया है। दाखिली तौर पर अल्लाह  (سبحانه وتعالى ) शरीअत के अहकामों व कानूनों को नाफिस करना लाजीम  (फर्ज) करार दिया है जबकि खारिजी तौर पर इस्लाम की दावत और उसका प्रचार-प्रसार राज्य के लिए जरूरी  (फर्ज) है। इस्लाम ने अमीर पर यह फर्ज करार दिया है कि वह उम्मत के मसाइल की देखरेख करें क्योंकि इस बारें में उससे पूछा जएगा। अल्लाह के रसूल  (सल्ल0) ने फरमाया : ''तुममें से हर एक गड़रिया है और उससे उसके अहवाल  ( flock ) के बारें में पूछा जाएगा।''  (बुखारी)

कुरआन की कई आयतों के जरिए अल्लाह  (سبحانه وتعالى ) उम्मत पर इस्लाम की दावत को पूरी दुनिया तक पहुंचाना फर्ज करार देता है, ताकि इंसानियत को अंधेरों से निकाल उजाले की तरफ लाया जा सके जबकि दूसरी आयतों में अल्लाह  (سبحانه وتعالى ) मुस्लिम उम्मत को तमगा-ए-इमतियाज देकर बेहतरीन उम्मत से नवाजता है क्योंकि वो यह काम  (दावत का) करती है।

''अलीफ0 लाम0 रा0। यह एक 'किताब' है जिसे हमने तुम्हारी ओर उतारा है ताकि तुम  (ऐ मुहम्मद) लोगों को उनके रब की आज्ञा से अधेरों से निकाल कर उजाले की ओर ले आओ, अर्थात् प्रभुत्वषाली और प्रषंसा के अधिकारी के रास्ते की तरफ।''  (इब्राहिम 14:1)

इस्लाम की दावत पूरी दुनिया में इस्लाम की एक ताकतवर छवि बनाकर ही हासिल की जा सकती है, ताकि वे जिनके दिलों में उम्मत के लिए बुरे मनसूबे हैं, ये जान ले कि उम्मत की ऐसी ताकतवर और हर मनसूबें से निपटने वाली ताकत मौजूद है कि हमले में दुष्मन की कामयाबी के आसार है ही नहीं अल्लाह  (سبحانه وتعالى ) कुरआन में फरमाता है।

''जहॉ तक हो सके तुम लोग  (फौज) उनके खिलाफ जितनी तुममें कुवत हों और तैयार बंधे हुए घोड़े तैयार रखों, ताकि इस के जरिए अल्लाह के दुष्मनों और अपने दुष्मनों और इनके सिवा दूसरों को भयभीत कर दो जिन्हें तुम जानते नहीं। अल्लाह उन्हें जानता है और अल्लाह के रास्ते में जो चीज भी तुम खर्च करोगे, उसका पूरा-पूरा बदला तुम्हें दिया जाएगा, और तुम्हारें साथ कोई नाईसाफी नहीं होगी।''  (अल-अनफाल : 60)इस सब से यह जरूरी हो जाता है कि इस्लामिक राज्य के पास उन्नत फौज् हो और एक ऐसा ताकतवर निर्माण करने वाला खेमा हो जा न केवल दुष्मनों के दिलों में खौफ भर दे बल्कि आर्थिक गतिविधियों भी उत्पन्न करें।

उद्यौगिकरण और आर्थिक वृध्दि ( Industrialization and economic growth ½ :-इतिहासकार उद्यौगिक क्रंाति  (The industrial revolution) को वैष्विक इतिहास  (global history) का एक अहम मोड़ मानते है। इस क्रांति की वजह से यूरोपिय समाज के हर पहलू में तेजी से बदलाव आये। उद्यौग खुद समाज व आर्थिक जीवन का जरूरी स्तून बन गयी 1700 ई.सी. के मध्य तक उद्यौग केवल मानव श्रम तक सीमित थे। तब ब्रिटिष साम्राज्य ने भाप से पिस्टन चलाये और घूर्णीय गति  (rotary motion) पैदा कर मषीनें चलाई, जिसने उद्यौगिक क्रांति को चिंगारी दी। अब मानव की जगह ले ली यांत्रिक  (mechanical) फैक्टि्रयों ने और उत्पादन 20 प्रतिषत तक बढ़ गया। इससे भारी मात्रा में बड़े पैमाने पर तेजी से वस्तुए बनने लगी। ईधन की बढ़ती जरूरत ने लौहे और कोयले का इस्तेमाल बढ़ा दिया। इसी तरह कच्चे माल की फैक्ट्रीयो तक लाने के लिए रेल का विकास हुआ। रेल का विकास वजह बना ज्वलनषील इंजन  (combustion engine) के विकास की। इस तरह यूरोपिय परिदृष्य कृषि  (agriculture) से बदल कर उत्पादन की ओर हो गया। कुलीन वर्ग  (aristocracy) का असर घटने लगा और उनकी जगह व्यापारी और उद्योगपति आ गये। यद्यपि यूरोप के उदय और शुरूआती विकास का कारा उद्यौगिक क्रांति  ( industrial revolution ) था, आज खपत पर आधारित आर्थिक वृध्दि के नमूने आर्थिक परिदृष्य पर हावी हैं और अपर्याप्त सिध्द हो रहे हैं। पष्चिम दुनिया की खपत पर आधारित अर्थव्यस्थाएं कर्ज/उधार  (debt) और जीबे की जरूरत व क्षमता से परे खर्च पर आधारित है। इस वजह से ऐसे हालात बन गये हैं कि आर्थिक मंदी अब आम बात बन गयी है। 1870 की पहली मंदी से आज तम, पष्चिम अर्थव्यवस्थाएॅ नियमित रूप से आर्थिक मंदी, बाजार के अचानक उतार, वैष्विक मंदी आदि का सामना कर रही है। पष्चिम अब उद्योग पर आधारित विकास से हट चुका हैं और बड़े सर्विस सेक्टर पर निर्भर हो गया है - जिस पर खुद फाईनेंस सेक्टर हावी है। ग्लोबल के्रडिट संकट ने सभी को सिध्द कर दिया है कि पूंजीवादी आर्थिक वृध्दि एक धोखा है और कायम नहीं रह सकती है।

मुस्लिम दुनिया के लिए एक ओद्यौगिक दृष्टिकोण  ( Industrial vision ) :-ओद्यौगिक विकास की 3 आम विषेषताएॅ और कुछ खास भौगोलिक विषेषताएॅ होती है :-
1-    ओद्यौगिकरा के लिए कच्चा माल और खनिजों की जरूरत होती है। यह मुख्यत: भारी उद्योग होते है जो खनिज को उपयोगी वस्तुओं में बदलते हैं। सही खनिजों के निषकर्षण  (extraction) शुध्दिकरण ही रिफायनरीज और भारी उद्योग की स्थापना व विकास की वजह बनता है।
2-    ये रिफाइनरीज, भारी उद्योग की कच्चे माल को स्टील, सीमेंट तथा अन्य वस्तुओं जैसे तैयार उत्पादों में बदलते हैं।
3-    इस प्रक्रिया का हासिल करने के लिए तकनीकी ज्ञान की जरूरत होती है। इसी तकनीक के लिए पष्चिमी जगत अरबों रूपये शोध और विकास में निवेष करता है ताकि वे हमेक्षा दूसरों से आगे बने रहें।

एक चौथा मसला भी है और संभवत: सबसे जरूरी भी क्योंकि यह सभी चीजें इसी तरहे से संभव हो पाती हैं, और वह है उद्देष्य व प्रेरणा। औद्यौगिकरा जैसी प्रक्रिया के लिए ढेर सारे लोगों का गहन योगदान पैसा व त्याग जरूरी होता है। ब्रिटेन में औद्यौगिकरण के पीछे प्रेरणा थी साम्राज्यवाद  (colonialism) और लोगों में प्रधानता  (superiority) की भावना, अमेरीका में वजह थी आजादी और गृह युध्द और सोवियत संघ के सुपर पावर बनने के पीछे प्रेरणा थी समाजवाद के लक्ष्यों को हासिल करना। मुस्लिम जगत ने भी 1950 में समाजवाद के लिए कोषिष की, लेकिन कुछ एक बड़ी योजनाओं को छोड़, इस्लामिक वहीं रही जहॉ वह पहले थी। दक्षिण पूर्व एषिया में इंडोनेषिया, उपमहाद्विप और अफ्रीका में कई देषों ने निर्यात पर आधारित नीतियों को अमली जामा पहनाने की कोषिषें की लेकिन नतीजा वर्ल्ड बैंक का भारी कर्ज, घाटा, परेषानी और गरीबी के रूप में आया। आज मुस्लिम अर्थव्यवस्थाएॅ मुख्यत: सेवा व वस्तु पर आधारित है बिना किसी स्थापित उद्योग के। हम देखते हैं कि इसके विपरित पष्चिम पूंजीवादी दुनिया में मुख्यत: सेवा पर आधारित अर्थव्यवस्थाएॅ हैं, जो उन्होंने हासिल की एक बेहतरीन औद्यौगिक बेस  (base) की स्थापना के बाद।

आज ओद्यौगिकरण के लिए मुस्लिम जगत में खनिज संसाधनों की कोई नहीं। हकीकत में मुस्लिम दुनिया पर अल्लाह की रहमत है कि उनके पास दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण खनिजों के बड़े भण्डार है। आज मुस्लिम जगत के पास पूरी दुनिया के 74 प्रतिषत तेल के भण्डार हैं। पूरी दुनिया के कुल से भी ज्यादा और पूरे विष्व के 54 प्रतिषत प्राकृतिक गैस के भण्डार है व दुनिया की 30 प्रतिषत गैस का निषकर्षण करते हैं। साथ ही दुनिया के सबसे बड़े तेल और गैस के क्षेत्र हैं। इस तरह मुस्लिम सरजमीं में किसी तरह कच्चे माल की कमी नहीं। आज सही और सटीक दिषा व लक्ष्यों के साथ काम नहीं करने के फलस्वरूप मुस्लिम अर्थव्यवस्थाएॅ बेहद कम विकास कर पायी हैं। आज ओद्यौगिकरण्ा पर केवल पष्चिम का ही एकाधिकार  (monopoly) नहीं है, पिछले 100 सालों में कई राष्टों ने तेजी से अपने आप को ओद्यौगिक विकास के पथ पर लाये हैं और इसकी वजह उनके पास इसका ब्ल्यू प्रिंट उपलब्ध था। ब्रिटेन को इसमें 100 साल लगे, जर्मनी और यू.एस. को 60 साल। जापान के इसे 50 साल में ही हासिल कर लिया, चीन तो केवल 30 साल में ही इस मुकाम पर पहुंच गया और भारत अभी भी इस राह पर है। इस्लामिक दुनिया अपनी जमीनों में पाये जाने वाले संसाधनों को बेहतर इस्तेमला कर विकसित दुनिया के इस तकनीकी उन्नति को आसानी से हासिल कर सकती है। तकनकी ज्ञान की कमी की भरपाई सालों इंतजार करने की बजाए बाहर से उसे खरीद कर की जा सकती है। आर्थिक विकास का इस्लामिक नमूना एक स्थिर अर्थव्यवस्थाएॅ को जन्म देता है और यह वस्तुओं के उत्पादन और सेवाओं के जरिए वास्तविक अर्थव्यवस्था पर निर्मित है, यह आर्थिक वृध्दि का भी जनक है। अर्थव्यवस्था में से संदिग्ध वित्तीय पूंजीयॉ वाले बाजारों की भूमिका को हटा, केवल बचती है वास्तविक अर्थव्यवस्था जहॉ व्यापार, निवेष, तनख्वाहें और पैसा बनाया और गर्दिष कराया जा सकता है। यह पैदा करती बेहद जरूरी स्थिरता जो नियंत्रण मुक्त अर्थव्यवस्थाओं में नहीं होती है क्योंकि हर तरह के जुए या सट्टेबाजी को असरदार तरह से हटाया गया होता है।

ओद्यौगिक विकास का महत्व :-पूंजीवाद पर आधारित ओद्यौगिक विकास तुलनात्मक फायदे के लिए शोषण का रास्ता है। निर्यात पर आधारित वृध्दि और खपत वाली ये अर्थव्यवस्थाएॅ ज्यादा समय तक कायम नहीं रह सकती हैं और उनका पतन मंदी या किसी ओर रूप में हो जाता है। उद्योग का विकास कई वजहों से बेहद जरूरी है। ये किसी भी मुल्क को विष्व में सम्मानजनक स्थान पर खड़ा करती है और किसी भी ऐसे दुष्मन से बचाती है जो उसका आर्थिक शोषण करना चाहता हो। इसी के लिए सभी विष्व की ताकतों ने जंगी उद्योग विकसित किये हैं। ये जंगी उद्योग न केवल रक्षा क्षमताएॅ बढ़ाते है बल्कि उंचा तकनिकी मॉडल भी तैयार करते है, जिसमें विविधता होती है। आम चीजे जैसे इन्टरनेट, नॉनस्टिक बर्तन, प्लाजमा टी.वी., रेडियो, कम्प्यूटर, हवाईजहाज आदि सभी जंगी उद्योगों के विकास का नतीजा है। अत: इन्डस्ट्रीयल बैस की वजह से एक राष्ट्र आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनता है। ये न केवल इसके लिए जरूरी वस्तुओं का उत्पादन करता है बल्कि रोजगार और आर्थिक वृध्दि को बढ़ावा देता है। इससे कोई भी देष सिर्फ विष्व में शक्तिषाली बनता है बल्कि उसको अन्दर से भी मजबूत अर्थव्यवस्था का रूप देता है, खुषहाल बनता है।

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