➡ सवाल नं. (65): क्या खिलाफत परमाणु हथियार डेवलप (विकसित) करेगी?

  •  मुस्लिम सरज़मीनों के खिलाफ साज़िशे करने वाले को दूर रखने और उनकी कार्यवाहीयों को रोकने के लिए खिलाफत को कुछ चीज़ों के निर्माण की ज़रूरत होगी। चूँकि परमाणु हथियार बहुत बडी़ तबाही मचाने में सक्षम होते है, और इसे इस वक़्त दुनिया के कई देशों ने इख्तियार (बना लिये है) किया हुआ है।
  • ऐसे में खिलाफत के लिए लाज़मी हो जाता है कि वोह भी परमाणु हथियार हासिल करें क्योंकि इस सूरत में की अगर उसके पास परमाणु हथियार नही होते है तो कोई भी विदेशी ताक़त उसे बन्धक बना सकती है। अल्लाह सुबाहनहू व तआला ने क़ुरआन की आयत में किसी मुसलमान के क़त्ल पर दुश्मन को बराबर रद्दे अमल देने का हुक्म दिया है :


وَإِنۡ عَاقَبۡتُمۡ فَعَاقِبُواْ بِمِثۡلِ مَا عُوقِبۡتُم بِهِۦۖ وَلَٮِٕن صَبَرۡتُمۡ لَهُوَ خَيۡرٌ۬ لِّلصَّـٰبِرِينَۖ

अगर तुम्हें सजा दी जाए तो तुम उनको भी उसी तरह से सज़ा दो जिस तरह से उन्होंने तुम्हें सज़ा दी है और अगर तुम सब्र करते हो तो सब्र करने वालों के लिए बेहतर है''(सूरह अल नहल :125)

यह आयत जंगें ओहद के वक़्त नाजिल हुई थी जब कुफ्फार ने मुसलमानों के चेहरो को मुसला (खराब) कर दिया था। इसी तरह बायोलोजिकल, रसायनिक और रेडियोलोजिकल हथियार दुशमनों को खौफज़दा रखने के लिए और खिलाफत पर हमले की सूरत में जवाबी कार्यवाहीं के लिए रखे जा सकते है । यह बात याद रखी जाए कि खिलाफत की फोरेन पॉलिसी (विदेश नीति) का बुनियादी मक़सद दुनिया तक इस्लाम की दावत पहुंचाना है। खिलाफत को एक महाशक्ति के तौर पर पेश करना रणनितिक तौर पर ज़रूरी है.

खिलाफते राशीदा सानी (II nd) पर 100 सवाल


➡ सवाल नं. (66): क्या खिलाफत का स्पेस (अंतरिक्ष) प्रोगाम होगा?


  • हॉ, आज के आधुनिक युग में स्पेस रिसर्च (अंतरिक्ष शोध) और इसमें की जाने वाली खोजें, धरती पर ज़िन्दगी मेहफूज रखने के लिए ज़रुरी है। आज के आधुनिक समाज मे टेक्नोलोजी को अपनाना विकास का एक हिस्सा है, उसके साथ-साथ इसको एक ऐसी अर्थव्यवस्था की बुनियाद बनाने के लिए भी ज़रूरी है जो कि नॉलेज (शिक्षा) पर आधारित हो और साइंस व मानव संसाधन के लिए आकर्षण का केन्द्र बनता है।
  • आज सेटेलाइट्स मिलिट्री और सुरक्षा से संबधित गतिविधियों में मदद के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे फौजी कार्यवाहीयों में भी इस्तिमाल में लाया जाता हैं, इससे खिलाफत को अपने दुश्मनों पर एक फोकियत हासिल होगी। 
  • पाकिस्तान और ईरान अब तक मुस्लिम देशों में सबसे उन्नत (Advance) स्पेस प्रोग्राम रखते है। जिन्हें इस वक़्त सूचना प्रसारण (दूरसंचार) और मिसाईल प्रोग्राम के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • नाइजीरिया, मिस्र, इण्डोनेशिया, तुर्की, अल्जीरिया, मलेशिया, ट्यूनिशिया, बंगलादेश और सोवियत रूस से अलग हुए कई मुस्लिम देश, यह सभी बुनियादी स्पेस ऐजेंसी रखते है जिनके शुरूआती चरणो में वायुमंडल शोध प्रोग्राम पहले से चल रहे है और कुछ मुस्लिम देशों के सेटेलाईट लांच करने के भी प्रोग्राम चल रहे है।  खिलाफत, एक सुसंघठित व प्रभावशाली स्पेस पॉलिसी के साथ खुद को तकनीकी तरक्की के मैदान में एक बहुत ऊंचे मर्तबे पर पहुंचाएगी। इस तरह खिलाफत उम्मत में मौजूद बेहतरीन क़िस्म के इंजीनियर, टेक्नीशियन, फिजिसिस्ट और रणनितिज्ञ को एक साथ लाकर ज़्यादा शक्तिशाली रोकेट्स विकसित कर सकेगी ।
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