➡ सवाल नं. (83): खिलाफत बाकी दुनिया से अपने सम्बन्ध किस तरह से क़ायम करेगी?
(1) खिलाफत, मुस्लिम दुनिया के सभी देशों को अपना हिस्सा समझती है, चाहे वह माद्दी (भौतिक) तौर पर खिलाफत का हिस्सा न भी हो। इसलिए उनके साथ सक़ाफती, विदेश नीति से संबधित, ताल्लुक़ात नही रखे जायेगें।
खिलाफत के इन मुस्लिम देशों के साथ क़ायम होने वाले संबध को यह नही माना जाएगा कि यह किसी ग़ैर-मुल्क के साथ संबध है और न ही यह माना जाएगा कि यह संबध खिलाफत कि विदेश नीति का हिस्सा हैं। इसलिए खिलाफत इन्हे मुत्तहिद करने का काम करेगी यानी इस्लामी रियासत में इसे ज़म (जोड़ने) करने के लिए काम करेगी।
(1) खिलाफत जिन देशो से अपने आर्थिक, सांस्कृतिक, खरीद व फरोख्त, तिजारती (व्यापारिक), दोस्ताना, मुआहिदे करेगी उनसे उसी मुआहिदे के बिन्दुओं तक ताल्लुक़ात रखेगी। खिलाफत को ताक़त और मज़बूती बख्शने के लिए इन देशों से आर्थिक और तिजारती (व्यापारिक) ताल्लुक़ात रखे जाएगें।
(2) खिलाफत अपनी आम पॉलिसी (General Policy) के तहत उन देशों के साथ किसी भी तरह की संधि और मुआहिदे नही करेगी, जो इस्लामी रियासत से दुश्मनी रखते है या साज़िशें करते है, ऐसे देशों की जनता इस्लामी रियासत में आ सकती है, मगर इसके लिए उन्हें पासपोर्ट और वीज़ा लेना पडे़गा।
(3) जिन देशों से खिलाफत जंग कि हालत में है, जिन्हें दारुल हरब भी कहा जाता है, खिलाफत उनके साथ मामला इसी बुनियाद पर करेगी। यानी इनसे ऐसे मामला होगा कि जैसे की जंग हालात चल रहे है, भले ही उनसे जंग नही चल रही हो। उनकी जनता में से किसी को भी पासपोर्ट के ज़रिए भी इस बात की इजाजत नही होगी कि वोह इस्लामी रियासत में दाखिल हो।
(3) जिन देशों से खिलाफत जंग कि हालत में है, जिन्हें दारुल हरब भी कहा जाता है, खिलाफत उनके साथ मामला इसी बुनियाद पर करेगी। यानी इनसे ऐसे मामला होगा कि जैसे की जंग हालात चल रहे है, भले ही उनसे जंग नही चल रही हो। उनकी जनता में से किसी को भी पासपोर्ट के ज़रिए भी इस बात की इजाजत नही होगी कि वोह इस्लामी रियासत में दाखिल हो।
➡ सवाल नं. (84): खिलाफत विदेशी ताक़तें जो खिलाफत के साथ ज़्यादतिया करती है, उनसे किस तरह से मामला करेगी?
खिलाफत खारजी जारिहियत (Foreign Aggression) कि स्थिति में वही मामला करेगी जो कि आम तौर पर दुनिया का हर देश करता है यानी उससे जंग की हालत में होगी। और हर वोह क़दम उठायेगी जिससे कि दुश्मन पलटने पर मजबूर हो जाए।
किसी विदेशी ताक़त के ज़रिये खिलाफते पर ज़्यादती की स्थिति पैदा ना हो, इसके लिए खिलाफत अपने आपको सक्षम बनाने की कोशिश करेगी और साथ ही इतनी शक्ति हासिल करने की कोशिश करेगी कि कोई उस पर जाहिरियत करने की जुर्रत न करे । खिलाफत अपनी ज़मीनो और लोगो पर किसी भी क़िस्म का हमला बर्दाश्त नही करेगी। ताक़त के मुज़ाहिरे का जवाब ताक़त से ही दिया जाएगा, अगर वह राजनैतिक है तो राजनैतिक तरीक़े से और सैन्य है तो सैन्य तरीक़े से।
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