➡सवाल नं. (61): क्या खिलाफत में बैंकों को बर्खास्त (Abolish) कर दिया जायेगा?\
बैंक, आज की आधुनिक दुनिया की अर्थव्यवस्था का केन्द्र बिन्दु बन चुका है। जिसका अहम मक़सद ब्याज (सूद) को एक उत्पादन के तौर पर इस्तिमाल करके ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा कमाना होता है। आज बैंकें पैसे को सेवाएं और उत्पादन (Services and Products) के तौर पर ब्याज से मुनाफा कमाने के लिए बतौर उपकरण भी इस्तिमाल करती हैं। यह ना सिर्फ हराम है बल्कि यही वोह मुख्य वजह है जिससे बहुत कम समय में गरीब और अमीर में बहुत बडी़ खाई पैदा होती है। इसलिए खिलाफत मौजूदा बैंको को उनकी असल के साथ मंसूख (खत्म) करेगी।
खिलाफत, गै़र-सूदी बुनियादों पर लोगों को पैसा उधार देने वाली बैंके (Lenders) स्थापित करेगी जिसमें यह बैंके निवेश घर (Investment House) का किरदार भी अदा करेगी जो वास्तविक सेवाएं और सामान (Goods and Services) उपलब्ध करा कर व्यापार के ज़रिए मुनाफा कमाती हैं ।
➡ सवाल नं. (62): क्या खिलाफत पूरी मुस्लिम दुनिया में यूरो की तरह एक करंसी (एक मुद्रा) जारी करेगी?
✅ नही, खिलाफत तमाम मुस्लिम सरज़मीनों को सिर्फ एक राजनैतिक प्रभुत्व (सियासी ऑथारिटी) के ज़ेरे साए एक ही अर्थव्यवस्था में मुत्तहिद करने के लिए काम करेगी । इस तरह खिलाफत उन तमाम रियासत में एक ही मुद्रा जारी करेगी जिस पर उसका मुकम्म्ल इख्तियार होगा। इस्लाम में किसी वाहिद सियासी ऑथारिटी के क़याम के बग़ैर जिसका तमाम इलाक़ो पर मुकम्मल कंट्रोल होता है, एक ही मुद्रा जारी करना हराम है। बल्कि यह यूरो के नाकाम होने की मुख्य वजह रही है।
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