सवाल (11) : खिलाफत के दुबारा क़याम से मुताल्लिक सीरिया में क्या संभावनाएँ हैं?

सवाल (11) : खिलाफत के दुबारा क़याम से मुताल्लिक सीरिया में क्या संभावनाएँ हैं?
जवाब : सीरिया के मौजूदा विदेश मंत्री ''वलीद अल मोअल्‍लम'' नें जून 2013 में एक प्रेस कॉन्‍फ्रेस की, जिसमें उसनें इस बाताया कि देश और इलाक़े की क्या चीज़ खतरे में हैं।

और कहा कि ''हम जानते हैं कि जो लोग सीरिया के लिए बुरा चाह रहे हैं, और जो लोग खिलाफत के क़याम की मांग कर रहे हैं, वो सिर्फ सीरिया तक ही नहीं ठहरेगें इसलिए हम सिर्फ सीरिया को ही नही बल्कि जॉर्डन, लेबनान और तुर्की को भी बचा रहें है।'' यह बयान बताता हैं कि आवाम सीरिया में सिर्फ खिलाफत का क़याम चाहती, वोह खिलाफत जो बिना रुके सरहदो को तोड़ते हुई और आगे जाएगी ।

सीरिया में खिलाफत के क़याम से मुताल्लिक दो पहलू हैं। (1) जनमत (पब्लिक ऑपिनियन) (2) सीरिया की काबलियत यानी क़ामयाब इस्‍लामिक राज्‍य बनानें के लिए सीरिया की क्षमता।

पहला पहलू : सीरिया में बाग़ी गिरोह और अवाम की तरफ से यह बात साफ हो चुकी हैं कि वोह अल असद हुकूमत को खत्‍म करके उसकी जगह इस्‍लाम की बुनियाद पर हुकूमत क़ायम करना चाहते हैं।

रूस के विदेश मंत्री सर्गी लार्वो नें जीनिवा-2 कॉन्‍फ्रेस के बाद एक साक्षात्‍कार में कहा कि ''कुछ ऐसी परिस्थिति हैं जिस पर सीरिया के सारे देशभक्‍तों को समझना चाहिए कि क्या ज्‍़यादा महत्‍वपूर्ण हैं, सीरिया में खिलाफत के क़याम के लिए लड़ना या एक होकर अपनी  मातृभूमी की तरफ लौटना, जिसके लिए सीरिया एक सदी से मशहूर रहा हैं। हक़ीक़त में सैक्‍यूलर राज्‍य का मुद्दा, असली और बुनियादी मुद्दा हैं जिसके बारे में हम लोग जीनिवा कॉन्‍फ्रेस में चर्चा करेगें।''

दूसरा पहलू : सीरिया के लिए बतौर इस्‍लामिक राज्‍य यानी खिलाफत होना एक संजीदा चुनौती हैं क्‍योंकि ताक़त के ऐतबार से सीरिया कमज़ोर राज्‍य हैं। मश्‍रीके वुस्‍ता (मध्‍य-पूर्व) के सभी देशो को इस तरह बनाया गया कि वोह हमेंशा कमज़ोर और अपनें  वजूद के लिए पश्‍चिमी देशो के ग़ुलाम रहे, अत: उनके मातहत चलते रहे। इतिहास में, सीरिया की सरहद आज की सरहद से बहुत ज्‍़यादा बड़ी थी, जिसमें फिलीस्‍तीन, इज़रायल, लेबनान, जॉडर्न, द्क्षिणी तुर्की के हिस्से मिलकर अश्‍शाम कहे जाते थे।

सीरिया मामूली मात्रा में तेल और गैस का उत्पादन करता हैं मगर उसकी भौगोलिक स्थिति बहुत अहम हैं इसलिए दूसरे देशों से तेल और उर्जा के संसाधन निर्यात करनें का रास्ता सीरिया से गुज़रता हैं। ऑयल प्रोसेसिंग के बाद सीरिया की अर्थ व्यवस्था का सबसे महत्‍वपूर्ण उद्योग कृषि हैं।

उत्तरी सीरिया, दज़ला नदी से पानी प्राप्त करता हैं। दज़ला नदी की वजह से यह ईलाक़ा कृषि (खेती-बाड़ी) में सक्षम हैं। देश का ज्‍़यादातर निर्यात कृषि पर निर्भर हैं और वहॉ पर कृषि से सम्‍बन्धित इण्‍डस्‍ट्री भी चलती हैं जिनका उत्‍पादन दूसरे देशों को निर्यात जाता हैं। सीरिया के पास कहनें को कुछ ही रक्षा उध्योग (Defence Industry) है इसलिए हथियार और देश की सुरक्षा के लिए ज़रूरी सामानो के लिए, सीरिया दूसरे देशों पर निर्भर हैं।

इन तथ्‍यों मद्दे नज़र सीरिया के लिए एक मज़बूत खिलाफत होना मुश्किल है। हालांकि इसके आप-पास के, इलाक़ो के मिल जानें से सीरिया खिलाफत का अहम मर्कज़ बन सकता हैं। हमें यह नही भूलना चाहिए कि जब अल्‍लाह चाहता हैं तो सभी ज़मीनी रूकावटें और मुश्किलें हट जाती हैं। अल्‍लाह के नबी (صلى الله عليه وسلم) नें मदीनें में एक छोटी सी इस्‍लामी रियासत क़ायम की थी, जो दुनिया की दो बड़ी महा शक्तियाँ, रोम और फारस से घिरी हुई थी। फिर भी थोडे़ ही समय में इन दोनों बड़ी रियासतों पर इस्‍लामी रियासत हावी हो गई और इनको अपनें में ज़म कर लिया। इसलिए भौतिक कारको को, हमेंशा भविष्य में होनें वाली घटनाओं और तरक्‍की से जोड़कर नही देखा जा सकता हैं।
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