अशिया का असल हुक्म

अल्लाह سبحانه وتعال का फ़रमान है: 
 
هُوَ ٱلَّذِى خَلَقَ لَكُم مَّا فِى ٱلۡأَرۡضِ جَمِيعً۬ا
अल्लाह वही है जिस ने सब कुछ तुम्हारे लिए पैदा किया है (अल बक़राह-29)

यहां अल्लाह سبحانه وتعال ने हमारे लिए तमाम चीज़ों को मुबाह कर दिया है और यहीं से अशिया का मुन्दर्जा ज़ैल क़ायदा अख़ज़ किया गया है :

الأصل في الأشیاء الإباحۃ ما لم یرد دلیل التحریم 
 (तमाम चीज़ें मुबाह हैं जब तक उनके हराम होने की कोई दलील ना हो) यानि अशिया की इबाहत का हुक्म आम है, फिर इस से इस्तिस्ना (exception) के लिए कोई दलील दरकार है।
मिसाल :

إِنَّمَا حَرَّمَ عَلَيۡڪُمُ ٱلۡمَيۡتَةَ
तुम पर मुर्दार हराम कर दिया गया है (अल नहल-115)

पस हमारे लिए मुर्दार हराम ठहरा। फिर इस हराम चीज़ से मुताल्लिक़ा तमाम अफ़आल हराम होंगे मसलन उसे खाना या बेचना वग़ैरा, मासिवा जब कोई फ़ेअले जाइज़ होने की दलील हो अल्लाह سبحانه وتعال ने अशिया को बस हलाल या हराम से मौसूफ़ किया है, ना कि मंदूब, मकरूह या फ़र्ज़ होने के हुक्म से।

وَلَا تَقُولُواْ لِمَا تَصِفُ أَلۡسِنَتُڪُمُ ٱلۡكَذِبَ هَـٰذَا حَلَـٰلٌ۬ وَهَـٰذَا حَرَامٌ۬
किसी चीज़ को अपनी ज़बान से झूट मूट ना कह दिया करो कि ये हलाल है और ये हराम है (अल नहल-116)

قُلۡ أَرَءَيۡتُم مَّآ أَنزَلَ ٱللَّهُ لَكُم مِّن رِّزۡقٍ۬ فَجَعَلۡتُم مِّنۡهُ حَرَامً۬ا وَحَلَـٰلاً۬
आप कहीए कि ये तो बताओ कि अल्लाह ने तुम्हारे लिए जो कुछ रिज़्क भेजा था फिर तुम ने इस का कुछ हिस्सा हराम और कुछ हलाल क़रार दिया (यूनुस-59)


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