जिन उमूर (मुआमलात) पर किसी हुक्म का साबित होना या उसका पूरा होना मौक़ूफ़ हो, तो शारेअ के इस ख़िताब को खिताबे वज़ा (हुक्मे वज़ई) कहा जाता
है। दूसरे लफ़्ज़ों में ये अहकाम के बारे में अहकाम (मुअय्यन औसाफ़) हैं क्योंकि ये
इंसान के अफ़आल से मुताल्लिक़ शारे के ख़िताब को बयान करते हैं और इसी ताल्लुक़ की वजह
से ये अहकामे शरईया में से हैं। खिताबे वज़ा की पाँच इक़साम हैं:
1) सबब
2) शर्त
3) मानेअ
4) सेहत-व-बुतलान-व-फ़साद
5) अज़ीमत-व-रुख़सत
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