सीरिया के खिलाफ अमरीका के सीमित हमलों का क्या मतलब है?
(यह मज़मून khilafah.com पर सन 2013 मे प्रकाशित हुआ)
(यह मज़मून khilafah.com पर सन 2013 मे प्रकाशित हुआ)
(1). ओबामा ने सीरिया के खिलाफ “अनुशासित करने वाले हमलों” के बारे मे कहा, इससे ओबामा का क्या मतलब है? इस सवाल का जवाब समझने के लिये ज़रूरी है की कुछ हक़ीक़तों को साफ कर दिया जाये: 1. सीरियाई क्रांती दूसरे तमाम मुस्लिम देशों की क्रांती से अलग है क्योंकि इसने इस्लाम को अपनाया है, इसलिये इसको सहीह मायनो मे इस्लामी क्रांती कहा जाना चाहिये.
(2). चूंकी यह क्रांती इस्लामी क्रांती है, इसलिये इसको अपने मक़सद से तब्दील होने या पश्चिमी ताक़तो के ज़रिये इसे उचक लिये जाने से बचाया गया है, जैसे की अमरीका ने मिस्त्र मे किया की 18 दिनों के अन्दर जो हांसिल कर लिया वोह सीरिया मे ढाई साल गुज़रने के बार और बडी क्रूरता से अपने ऐजेंट हुक्मरान बशारुल असद के हाथों क़त्लेआम करने के बाद भी वोह इस मक़सद को हांसिल करने मे ना कामयाब है.
(3). बशार के बाद की हुकूमत के लिये उसने जितने भी विकल्प निकाले जिसमे उसके कई नये ऐजेंट शामिल हैं, उन सब को क्रांतिकारियों ने मुस्तरद कर दिया और इन्होने इस सन्घर्ष को अच्छी तरह समझ और पहचान लिया है.
(4). क्रांतिकारी ने खिलाफत की दावत बुलन्दी पर पहुचा दिया, इसका नारा बुलन्द किया, इस बात का ऐलान करते हुए की उनका मक़सद खिलाफत का क़याम है और यही इस क्रांत्ती का मक़सद है. न सिर्फ यह बल्कि वोह इस क्रांती को फिलस्तीन की आज़ादी से जोड रहे हैं. इस हक़ीक़त को देखते हुये यह बात साफ हो जाती है की हमारे सामने आज़ादी की एक सच्ची क्रांती है. अमरीका की बेवक़ूफी ने इस क्रांती की और अधिक मदद की है जिससे यह क्रांती को अपने आखरी चरण मे पहुच गई है ताकि यह कामयाब हो जाये और इसे अपना मक़सद हांसिल हो जाये. इसलिये हमारे सामने सीरिया मे ऐसी हुकूमत है जिसके पास राज्य का 30% से ज़्यादा कंट्रोल नहीं है, वाकी बचा हुआ इलाक़ा क्रांतिकारियों के हाथों मे है.
पिछले कुछ हफ्तों मे हमने देखा की क्रांतिकारियों के कई फौजी फतह और कामयाबी हांसिल की जो हमे फतह के करीब पहुंचाने की खुशखबरी दे रही है की इस अमरीकी ऐजेंट के गिरने का वक्त आ चुका है. ऐसे समय मे और इन हालात मे रसायनिक हथियारों का यह कार्ड (चाल) उस वक्त तक खेला नहीं जा सकता था जब तक की अमरीका के ज़रिये इस काम को करने की (रसायनिक हथियारों के इस्तेमाल करने की) अमरीका की तरफ से हरी झंडी न दिखाई गई हो ठिक उसी तरह जिस तर अमरीका ने सद्दाम हुसैन को क़ुव्वैत पर हमला करने की इजाज़त दी थी.
उपनी हक़ीक़तो को देखने के बात अमरीका इस बात को समझ चुका है की बशार की हुकूमत किसी भी वक्त गिर सकती है. उसकी हुकूमत के गिरने का मतलब है की क्रांतिकारी इस हुकूमत को अपने क़ब्ज़े मे ले लेंगे साथ ही उनका क़ब्ज़ा उन हथियारों पर भी हो जायेगा जिन्हे पहले पश्चिमी ताक़तों ने असद हुकूमत को मुहय्या कराये थे. पूरी रियासत पर उनका क़ब्ज़ा होगा जिसमे केन्द्र मे मौजूद ताक़त के स्रोत भी शामिल होंगे.
इन तथ्यों के आधार पर यह समझना आसान हो जाता है की अमरीका का सीमित हमला करने का क्या मतलब है. इसका मतलब होगा की जितने भी शक्ति के स्त्रोत और केन्द्र है उनको क्रांतिकारियों के हाथों मे पढने देने से रोकना. जिस तरह से यहूदियों ने इससे पहले भी कई बार ऐसा किया जिसमे शक्ति के स्त्रोत और केन्द्रों पर हमला किया गया ताकि इस्लामी क्रांतिकारियों के हाथ न लग सके.
इसका यह भी मतलब हो सकता है की वोह क्रांतिकारियों और उनके रणनितिक केन्द्रों पर हमला करे. पर हमे यह नहीं भूलना चाहिये की पहले ही अमरीका ने जुब्बतुल नुसरा (नुसरा फ्रंट) को आतंकवादी गिरोह घोषित कर दिया है.
इसलिये अमरीका का सीरिया मे हस्तक्षेप का मक़सद सीरिया के लोगों की मदद करना नहीं है जैसा की उसने दावा किया और जैसा की बहुत से नादान लोग ऐसा समझ रहे हैं. बल्कि इस मुदाखलत का मक़सद उम्मत के खिलाफ जंग है जिस तरह से इराक़, अफगानिस्तान और दूसरे इलाक़ों मे हुआ.
हम अल्लाह सुबहानहु व तआला से दुआ करते हैं वोह इन साज़िशों को बेनक़ाब करे और उन्हे अपनी ही खाईयों मे ग़र्क़ कर दे और इस उनकी खुद की तबाही का सबब बना दे.
आमीन या रब्बुल आलमीन
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