इस्लाम के खिलाफ जंग में सऊदी बादशाह मिलियन डॉलर खर्च करता है।
न्यूज ऐजेन्सी से यह रिपोर्ट आ रही है के सऊदी बादशाह अब्दुल्लाह बिन अजीज़ ने एक सौ मिलियन डॉलर यूनाईटेट नेशन (संयुक्तराष्ट्रसंघ) के सेंटर ऑफ कोम्बेटिंग (जंग का मर्कज़) के सहयोग के लिए दिया है जिसको वोह “दहशतगर्दी” कहते है। अपने बयान में बादशाह ने ईदुल फितर के मौके पर कहा ''मैं 100 मिलियन डॉलर संयुक्त राष्ट्र संघ के छतर-छाया तले चलने वाले केन्द्र को देने का ऐलान करता हॅू।'' यह सऊदी न्यूज़ एजेन्सी के मुताबिक है इसके अलावा बादशाह ने अर्न्तराष्ट्रीय समुदाय को सेंटर की मदद करने के लिए कहा है ताकि उसके मुताबिक लोगों को इस ''नफरत, शिद्दत और जुर्म की ताक़तो'' से छुटकारा मिले।
इससे पहले भी सऊदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ सन 2011 में एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये थे ताके वोह इस सेंटर को जो ''दहशतगर्दी के खिलाफ लड रहा है'' को क़ायम कर सके और उस वक्त उन्होंने उसको क़ायम करने के लिए 10 मिलियन डॉलर दिये थे। यह बात काबिले ज़िक्र है के सऊदी बादशाह ही इस सेंटर के क़याम के आईडिये का दरहक़ीक़त बानी है। यह आईडिया उसने सबसे पहले सन 2005 में दिया था और उसने दशहतगर्दी के खिलाफ जंग को अपनी सबसे बडी़ तर्जीह रखी थी।
कमेंट्स : सऊदी बादशाह की तरफ से दहशतगर्दी के खिलाफ जंग का आईडिया और उसके लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र की रचना करना और उसका फंड देना यह एक अमरीकी पश्चिमी आईडिया (विचार) है जिसको अपनाया गया है और इसमें कोई बहस नहीं कर सकता के यह एक विदेशी नज़रिया है जो कि अमरीका और पश्चिमी ताक़तों के एक हथियार के रूप में जो इस्लाम के खिलाफ जंग मे इस्तमाल किया जाता है और वही से यह निकलता है। इसके ज़रिए मुसलमानों के इत्तेहाद को पारा-पारा किया जाता है और इसके ज़रिए मुस्लिम देशो के अंदर फौजी कार्यवाही करने के ज़वाज (औचित्य) निकाले जातें है और मुस्लिम सरज़मीनों पर हमले किये जाते है और मुसलमानों को अंदरूनी तौर पर बांटा जाता है और मुसलमानों को आपस में लडा़या जाता है।
बादशाह ने एक ऐसी चिडिया (तोते) के तौर पर इसको अपनाया है जो कि उन बातों को दोहराती है जो पश्चिम इस्लाम और मुसलमानों की दुश्मनी से भरे “नारो” के तौर पर मार्केट मे भेजता है और इस तरह यह लोग यह इस्लाम के दुश्मनों की सफो में खडे़ हो जाते है जो कि मुसलमानों के दुश्मन है और जो उनके ख्निलाफ साज़िशे रचते है और शैतानी इरादें रखते है । और यह गुमराह बादशाह सिर्फ इस बात पर इत्तेफा नही करता के अपनी पूरी ताक़त से इस नज़रिये को वोह फैलाए बल्के इसके अलावा वोह इस पर बहुत बडी़ रक़म भी खर्च करता है. जबकि इतना ही वोह उम्मत के गरीब व ज़रूरतमंद पर खर्च करता तो उम्मत में शायद कोई गरीब नही बचता। इस मौके पर बादशाह ने एक कमेंट भी दिया जो इस्लाम के दुश्मन के अलावा कोई नही कह सकता, कहा, ''के यह नफरत, शिद्दत और जुर्म की ताक़ते है''।
क्या बादशाह हमें बता सकते है के नफरत की ताक़तें कौन है? वोह साफ तौर पर और खास तौर से बताए? या फिर वोह डरता है उन लेबलो से जिसे वोह इस्तेमाल करता है उन लोगों के लिए जो नज़्द, अल हिज़ाज और बाक़ी मुस्लिम दुनिया में इस्लाम के समर्थन में आज सबसे ज़्यादा जनमत रखते है । क्या यह उनको मुखातिब है ? आज यह बात बिल्कुल खुली है और किसी से भी छुपी नही है के यह सब वोह इस्लामी अन्दोलन व पार्टीयां है जो कि इस्लामी क़ानून को लागू करना चाहती है और उसके लिए संघर्ष कर रही है, इस्लामी खिलाफत राज्य को क़ायम करना चाहती है और जो उम्मत के काफिराना दुश्मन के खिलाफत जिहाद का ऐलान करती है। यह बात किसी से छुपी नही है यह वोह लोग है जिनको ''ताक़ते/शक्तियॉ'' कहा जा रहा है और इन्ही के बारे में यह बात कही जा रही है जिनके लिए पश्चिम पहले यह शब्द इस्तमाल कर रहा था.
तो कहाँ है अल हिज़ाज और नज़्द के औलमा और क्या कहते है वोह इन काबिले नफरत और जाहिराना जुर्म के बारे में जो सऊदी खानदान के लोगों ने उम्मत के खिलाफ दिन-रात किये हैं ? वोह बयान क्यो नही देते इस ताल्लुक से और हम उनकी तरफ से कोई अवाज़ नही सुनते ? मीडिया और सेटेलाईट स्टेशन हर वक़्त उनके वही घिसे-पिटे और दोहराते हुए बयानो से भरे रहते है!
उम्मत के ऊपर यह सबसे बडा़ फर्ज़ है के वाह इन ज़ालिम हुक्मरानों का और एजेण्ट हुक्मरानों का मुकाबला करे जो अमरीका और पश्चिम के पीछे चलते है और इनकी नियतों को खोलकर सामने लेकर आए और ऐसा उस वक़्त तक नही होगा जब तक की इनके खिलाफ बग़ावत नही होगी और यह बग़ावत बहुत जामेह (विस्तृत) बग़ावत होनी चाहिए जो एक इनके खिलाफत क्रांति का रूप ले ताके इनके पैरो के निचे की ज़मीन हिल जाए। यह उम्मत की ज़िम्मेदारी है के वोह इसी वक़्त से काम करें जो भी साधन उनके पास मौजूद है ताकि इनकी हुकूमतों को गिराया जा सके और इनके असर व रसूख को खत्म किया जा सके और इनके आकाओं की साज़िशों को हरमेन और शरीफेन की सरज़मीन से और बाक़ी मुस्लिम दुनिया की सरज़मीन से नेस्त व नाबूद किया जा सके और और लोगों को निजात दिलाई जा सके ताकि वोह चेन की सांस ले सके इनके जा़लिमाना और शैतानी आमाल के फित्ने से।
यह बयान सेंटर मीडिया ऑफिस से अबू हमज़ा अल खतवानी की तरफ से रेडियो पर दिया गया।
15 अगस्त 2013, 8 शव्वाल 1434
स्त्रोत: खिलाफा डोट कॉम
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