सवाल (16) 2014 में सीरिया के हालात कैसे होने के इम्कान हैं?

सवाल (16) 2014 में सीरिया के हालात कैसे होने के इम्कान हैं? 
 
जवाब : इसमें कोई शक़ नही हैं कि सीरिया के लोगों के सामने सबसे बडा चेलेंज अमरीका के द्वारा हालात को इसी तरह बनाये रखना है ताकी सीरिया मे वास्तविक क्रांती का उदय नहीं हो सके. अमरीका की रणनीति हैं यह हैं कि वो इस उल्‍झी हुई हालत को सीरिया में लगातार बनाए रखे, जिससे यह पता नहीं लगता कि कौन जीत रहा कौन हार रहा हैं। अमरीका नें यही निती इराक़ में भी अपनाई थी। जब उसकी पसंद की हुकूमत के गिरनें का वक्‍त आता हैं तो वहॉ पर ना सुलझने वाली स्थिती पैदा कर देते हैं। ऐसे में जो जितनें ज्‍़यादा सब्र से काम लेगा और जितनें ज्‍़यादा दिन निकाल देगा, उसके जीतनें के चांस ज्‍़यादा होगें। हक़ीक़त में यहॉ पर अमरीका की रणनीति यही हैं कि लोगों को रोका जा सके कि वो असली बदलाव ला सके और इस लडा़ई को बहुत लम्‍बा कर दिया जाए ताकि लोगों का सब्र टूट जाए। और इसके साथ-साथ उसको वक्‍त भी मिले कि वो दूसरा विकल्‍प ला सके।

हालांकि अमरीका अब तक दूसरे विकल्प लाने मे नाकाम रहा है और इसके नतीजे मे वह उल्टी दिशा मे लगातार देखता रहेगा और बशर की हुकूमत को अपने पडोस मे क़त्लेआम मचाने का मौका मिलता रहेगा. इस तरह उसका मक़सद बागी गिरोहों को हुकूमत के साथ वार्तालाप पर मजबूर करना है और वास्तविक परिवर्तन को लाने की कोशिशो को नाकाम बनाना है.

बाग़ी गिरोहों का एक छोटा हिस्सा भी इस दिशा मे मददगार साबित होगा जैसे की आई.एस.आई.एस की तरदीद तमाम बाग़ी गिरोहे ने करदी है. जुब्भत अल-नुसरा ने इस भी एक क़दम आगे बढ कर आई.एस.आई.एस के एक लीडर को देर-अल-ज़ोर मे 8 फरवरी 2014 को क़त्ल कर दिया. इस मोड के नतीजे खतरनाक हो सकते है क्योंकि आई.एस.आई.एस इसके बाद हर किस्म की बातचीत से इंकार कर दिया है. और इस आपसी इंतशार मे बाग़ी गिरोहों के वसाईल बरबाद होंगे जिसका फायदा बशर की हुकूमत को मिलेगा.

संयुक्त राष्ट्र संघ के एक अन्दाज़े के मुताबिक तक़रीबन 2,50,000 सीरिया के लोग इस घेराबन्दी मे फंसे हुए हैं. अल-असद की हुकूमत इस रणनिती “आत्मसमर्पण करने तक भूखे मरो” को कस्बों की घेराबन्दी के ज़रिये पूरे 2014 मे जारी रखेगी. इस वक्त सबसे नाज़ुक इलाके जहाँ शहरियो के भूखे मरने का रिस्क सबसे ज़्यादा है वोह होम्स और दमिश्क के अन्दर और आस-पास है. अल-असद हुकूमत इसी तरह की घेराबन्दी एलप्पो मे भी कायम करना चाहती है जहाँ वोह विपक्षी दल की सप्लाई लाईन बेरल बमों के हमले से काटना चाहती है. यग घेराबन्दी असद हुकूमत की जंग की रणनिती के मामले मे बहुत अहम किरदार अदा कर सकती है.  
 
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