सवाल (6): ईराक़ में जो कुछ हो रहा हैं, उसका संबन्ध सीरिया से हैं या नही?
जवाब : सन 2014 में ‘फल्लोज’ नाम के शहर के बारे में मीडिया में काफी चर्चा रही। सीरिया में ''जुब्बतुल नुसरा'' गिरोह उन लोगों से मिलकर बना जो ईराक़ में संघर्ष कर रहे थे। बाद में चलकर वोह बशर उल असद के खिलाफ लड़ने के लिए सीरिया आए और इन लोगो का ताल्लुक़ इराक़ और सीरिया दोनों से हैं। इसके अलावा जो कुछ ईराक़ में चल रहा हैं वो अलग हैं। ईराक़ में जो कुछ चल रहा हैं, उसकी वजह मालिकी नाम का हुक्मरॉ हैं, जिसे अमरिका ने ज़बरदस्ती बिठाया हुआ हैं। उसकी सरकार बहुत भ्रष्ट हैं। इराक़ के फल्लोज और अंबर नाम के शहर में अमरीका के खिलाफ लगातार विद्रोह और बगावतें चलती रही हैं। बहुत हद तक शियाओं को अपने पक्ष में कर लिया हैं। अमरीका ने ईराक़ के दक्षिणी हिस्से में रहने वाले शियाओं को अपने पक्ष में कर लिया हैं लेकिन ईराक़ के केन्द्रीय हिस्से मे रहने वाले सुन्नीयों को अपने हक़ में करने में कामयाब नही हुआ हैं।
हक़ीक़त यह हैं कि ईराक़ की सरकार के भ्रष्ट होने की वजह से फल्लोज में गरीबी दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैं। सन 2003 से, जब से यह जंग शुरू हुई हैं तब से फल्लोज में ही सबसे ज़्यादा जंगें हुई हैं जिस की वजह से इस शहर के हालात बिल्कुल खराब हो गए हैं और ज़िन्दगी बिल्कुल तबाह हो गई हैं। इसकी दुबारा शुरूआत सन 2014 में हुई, जब ईराक़ की सुरक्षा बलों ने फल्लोज में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला दी। इस तरह फिर से ईराक़ में, सरकार और जनता के बीच संघर्ष शुरू हो गया। जबकि प्रदर्शन करने वाले, सभी अहिंसावादी थे। इस गोली बारी के नतीजे में मालिकी गिरोह के खिलाफ पहले से मौजूद दूसरे जिहादी गिरोहो ने फिर से जनता के साथ मिल कर मालिकी सरकार के खिलाफ लडा़ई शुरू कर दी।
इस सबसे पता लगता है कि, 2014 में ईराक़ की सभी घटनाओं का सीधा सम्बन्ध सीरिया से नही था बल्कि यह सब निजी हालात की वजह से हुआ। मीडिया ने इस बात को उस वक्त भी काफी बड़ा चड़ाकर पेश किया कि खिलाफत क़ायम हो गई हैं, जब बहुत से जिहादी गिरोहों ने आम जनता का साथ देकर अमरीकी साम्राज्यवादियों के खिलाफ लड़ना शुरू किया। यह इसलिए किया गया ताकि मालिकी हुकूमत को उनके खिलाफ हमला करनें का मौका मिल सके।
इसका सबूत यह हैं कि फौरत अलानी नाम के एक फ्रेंच ईराक़ी जर्नलिस्ट जो परिवार के साथ फल्लोज में रहते हैं, ने फल्लोज के बारे में अपनी रिपोर्ट में लिखा कि ''इस्लामी स्टेट ऑफ ईराक़ एन्ड शाम'' नाम के गिरोह हैं का फल्लोज की लड़ाई में कुछ खास किरदार नही था, इस गिरोह के लोगो ने मकानों पर खिलाफत के झण्डे लगाये हैं। मगर जैसे ही वहाँ के क़बीलों के लीडरों नें इस गिरोह का साथ नही दिया तो उन्होंने फौरन झण्डे हटा दिये।
इससे पता लगता हैं कि, आइ.एस.आइ.एस नाम की संस्था का ईराक़ में कोई ज़्यादा असर नही हैं बल्कि हक़ीक़त में वहाँ के अलग-अलग कबीलें के लोगो का ही ज़्यादा असर हैं।
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