सवाल (14) सीरिया के पडो़सी मुस्लिम देशों का इस क्रांति मे क्या किरदार हैं?

सवाल (14) सीरिया के पडो़सी मुस्लिम देशों का इस क्रांति मे क्या किरदार हैं? 

सवाल (14) सीरिया के पडो़सी मुस्लिम देशों का इस क्रांति मे क्या किरदार हैं?

जवाब : सीरिया के पडो़सी मुस्लिम देश ईरान, सऊदी अरब, जॉर्डन, क़तर और तुर्की सभी अमरीका की शतरंज की मौहरे हैं जिन्हें वोंह समय-समय पर इस्तिमाल करता रहता हैं।

कई मीटिंगो और कांफ्रेंसो के बाद मुस्लिम देशों नें समस्या का कोई समाधान पेश नही किया सिवाय उसके जो लंदन, पेरिस और वाशिंगठन नें उनके लिए तय किए थें।

सऊदी अरब : सऊदी अरब का इस बग़ावत में किरदार, बाग़ी गिरोहो को हथियार देना और उन्हें अपना मौहताज बनाए रखनें का हैं। इस वक़्त बागियों को हथियार और आर्थिक मदद देनें में सऊदी अरब सबसे अहम देश हैं। सीरिया में ईरान के असर को दूर रखनें और खित्ते में अपनें मफाद की रक्षा के लिए वो ऐसा कर रहा हैं। लम्बे अर्से से सऊदी अरब और ईरान में रस्‍साकशी चली आ रही हैं.

सऊदी अरब बहुत बड़ी तादाद में बाग़ीयों का थल सेना के हथियारों का खर्चा उठा रहा है। जो उसनें क्रोशिया से खरीदें, यह जॉडर्न से गुज़रते हुए जहाज़ के ज़रिए बाग़ीयों तक पहुंचतें हैं। बाज़ दफा, सऊदी अरब नें कंफ्यूज़न पैदा करनें के लिए इस लड़ाई को फिरक़ावारियत कि लड़ाई बताया।

तुर्की : तुर्की भी इस बगावत में एक अहम किरदार रखता हैं। तुर्की नें सीरिया में हमेंशा अमरीकी वफादार गिरोह को ताक़त में लानें और हुकुमत में स्‍थापित करनें कि कोशिशें की। इस मक़सद के मद्देनज़र तुर्की नें, सीरियन आर्मी से टूटकर आए लोगो को अपनें यहाँ ट्रेनिंग दी। इन्हीं टूटे हुए लोगो नें टर्किश मिलिट्री इंटेलिजेंस कि देख रेख में जुलाई 2011 में “फ्री सीरियान आर्मी” का ईलान किया। तुर्की नें फ्री सीरियन आर्मी की लीडरशीप को अपनें यहाँ पनाह दी और रहनें को घर दिए, एंव दक्षिणी तुर्की के इलाके से सीरिया में कई हथियार भेजे गए। इस तरह तुर्की ही सबसे पहला देश था जिसनें इनकी फौजी मदद दी.

क़तर : क़तर सीरिया के बागियों पर तक़रिबन 3 बिलियन के करीब फण्‍ड खर्च कर चुका हैं। क़तर, सऊदी अरब की तरह पश्‍चिम का वफादार और यूरोपिय संघ का ऐजेंट है  क़तर उन सभी गिरोहों की मदद कर रहा है जो अमरीका के खिलाफ हैं। क़तर नें इस ईलाक़े में किसी भी तरह का कोई नया हल पेश नही किया।
जॉडर्न : जॉडर्न का इस इलाक़े में पश्‍चिमी मफाद के लिए काम करनें का पुराना इतिहास रहा हैं। जून 2013 में अमरीका और जॉडर्न की सेनाओं की सम्मिलित एक्सरसाईज़ (joint military exercise) के बाद अमरीका फौज की टुकड़ी, फाईटर जेट्स और मिसाईल वगैराह छोड़कर गया।

हालांकि जॉडर्न का मुख्‍य काम अमरीका की इंटेलिजेंस एजेंसी (सी.आई.ए.) और अमरीका की स्‍पेशल फोर्स को अपनें देश में मुकिम रखना और सहूलियते देना हैं। अमरिका की यह स्पेशल फोर्स सीरिया कें दक्षिणी इलाक़े में लड़नें वाले बागियों को तर्बियत देती हैं। जॉडर्न भी सीरिया तक हथियार पहुंचानें का एक मुख्य रास्‍ता हैं। क़तर की ही तरह जॉडर्न भी  ''वस्‍टर्न फ्रेण्‍डली मोडरेट रेबल ग्रुपस'' पश्चिम से दोस्ताना सम्बन्ध रखने वाले ऐतदालपसन्द गिरोह की मदद का केन्द्र रहा हैं।

ईरान : ईरान का असद हुकूमत को बाक़ी रखनें में सबसें अहम किरदार रहा है। ऐसा उसनें अपनें हितों की रक्षा के लिए किया, क्योंकि ईरान के सीरियाई हुकूमत के साथ फौजी, आर्थिक और राजनैतिक सम्‍बन्‍ध रहें हैं। ईरान नें असद हुकूमत की मदद कें लिए बहुत बड़ी संख्या में हथियार मुहैंया कराए अथवा असद की हुकूमत जब गिरनें ही वाली थी इसने अपनी रिवोलुशनरी गार्डस नाम की फौजी टुकड़ी असद की मदद के लिए भेजी।
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